Thursday, 3 October 2024

Why having a cup of papaya leaf water thrice a week is recommended


While papaya fruit has long been known for its digestive benefits, the leaves of the papaya tree are packed with even more powerful nutrients that can help combat various health issues. Papaya leaf water is becoming increasingly popular due to its incredible health benefits. Drinking papaya leaf water or consuming its extract is highly recommended for several reasons.

How much should you consume?

While it is recommended to have only one cup of papaya extract thrice a week, this can vary as per individual basis. Always consult your doctor before consuming papaya leaf extract and make sure you are taking the right dose.

Here are a few health benefits of papaya leaf extract:

It fights dengue fever by increasing platelet count

Papaya leaf water is believed to boost platelet count in dengue. Studies have shown that regular consumption of papaya leaf extract, when one is infected with the infection, can help to increase platelet levels. Dengue causes a rapid decline in platelet count, which can be dangerous if not managed properly and many people resort to papaya leaf extract for remedy making it a natural, low-risk treatment option alongside traditional medicine.



It has powerful antioxidants

Papaya leaves are rich in powerful antioxidants, including vitamin C, vitamin E, and various flavonoids that protect the body from oxidative stress and prevent cellular damage. Drinking papaya leaf water regularly can help your body neutralize these free radicals, protecting your cells from damage. The antioxidants in papaya leaf water may reduce the risk of chronic conditions like heart disease, diabetes, and certain types of cancer.

It supports digestive health

Papaya leaf extract is highly recommended for those experiencing digestive issues, like bloating, constipation, or irritable bowel syndrome (IBS).

Drinking water from papaya leaves has cleansing effects on the digestive system, reduces inflammations, and even helps growth of healthy gut bacteria.

It has anti-inflammatory properties

Inflammation is the root cause of many chronic diseases, including arthritis, asthma, and autoimmune disorders. Papaya leaf water has significant anti-inflammatory compounds like alkaloids and flavonoids that can help reduce inflammation in the body. Regular consumption of papaya leaf water can provide relief for those suffering from joint pain, muscle aches, and other inflammatory symptoms.

It promotes liver health

The liver plays a vital role in detoxifying the body, metabolizing nutrients, and regulating various bodily functions.

Papaya leaves contain acetogenins, which help detoxify the liver and protect it from damage caused by toxins, medications, and excess alcohol consumption. These compounds enhance liver function by promoting the removal of harmful waste products and improving the liver’s ability to regenerate.



It enhances skin health

The antioxidants and vitamins present in papaya leaves, like vitamin A and C, are essential for healthy skin. These nutrients help to repair damaged skin cells, promote the production of collagen, and reduce signs of aging such as wrinkles and fine lines. Papaya leaf water also has natural anti-bacterial and anti-fungal properties that can help combat skin infections, acne, and eczema.



It manages diabetes

Papaya leaf water is known for its ability to regulate blood sugar levels and improve insulin sensitivity, making it a helpful natural remedy for managing diabetes. Studies have shown that papaya leaf extract can help lower fasting blood sugar levels and improve overall glucose metabolism. Regular consumption of papaya leaf water may prevent spikes in blood sugar levels, thus helping individuals with type 2 diabetes manage their condition more effectively.

It boosts immunity

Papaya leaf water is packed with immune-boosting nutrients such as vitamins A, C, and E. The combination of antioxidants and anti-inflammatory compounds in papaya leaves supports the immune system and it reduces oxidative stress and promotes the production of immune cells. By drinking papaya leaf water regularly, you can help protect your body from infections, viruses, and other harmful pathogens.

It boosts hair growth

Papaya leaf water can also promote hair health. The vitamins and minerals of the leaves of papaya, such as calcium, iron, and zinc, feed the scalp and promote hair growth. The antioxidants will reduce hair fall and prevent premature graying by nourishing the hair follicle. In addition, papaya leaf water can be a natural remedy against dandruff and itchy scalp. This is because the antimicrobial properties of leaves cleanse the scalp, remove extra oil, dirt, and bacteria that may cause irritation.

It detoxifies body

The extract from papaya leaves happens to be an excellent natural detoxifier, and it helps in cleansing the body from harmful toxins and waste through the liver and kidneys. Drinking papaya leaf water will help increase toxin elimination from the body, reduce the retention of water inside the system, and at the same time let the organs function properly. It aids in detoxification, thus improving digestion, and skin conditions.

Navratri Fasting Tips: नवरात्रि में हर गर्भवती महिला को इन टिप्स को करना चाहिए फॉलो


 

Navratri 2024: 3 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू है इस दौरान कई लोग ऐसे हैं जो उपवास रखते हैं. प्रार्थना और पारिवारिक समारोहों के साथ इसे मनाने के लिए एक्साइटेड रहते हैं. हालांकि, गर्भवती महिलाओं के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है. जबकि उपवास को अक्सर शरीर और मन को साफ और शरीर की गंदगी निकालने के रूप में देखा जाता है. लेकिन गर्भवती महिला को इस दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. 

गर्भवती महिला को करना चाहिए ये काम

गर्भवती महिलाओं को पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेना चाहिए. नवरात्रि के दौरान यह सुनिश्चित करना सबसे जरूरी  है कि आपके शरीर को कितना प्रतिशत पोषक तत्व मिल रहा है.  पूरे दिन उपवास रखने के बजाय अपने डाइट को स्वस्थ, पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें.

'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ हेल्थ पॉलिसी एंड मैनेजमेंट' के अनुसार गर्भावस्था के दौरान उपवास करने से मां को तेजी से भूख लग सकती है और भ्रूण को नुकसान हो सकता है. ऐसा करने से भ्रूण को नुकसान हो सकता है. सिर्फ इतना ही नहीं ऐसा करने से बच्चे और मां को दूसरी कई तरह की बीमारियां हो सकती है जैसे-गुर्दे की बीमारियों, टाइप 2 मधुमेह और कोरोनरी हृदय रोग सहित कई सारी बीमारियां.

गर्भवती महिलाओं को पूरे दिन खाते-पीते रहना चाहिए

पूरी तरह से भोजन से परहेज करने के बजाय, गर्भवती महिलाएं को आंशिक उपवास या फल उपवास करना चाहिए. आप अपने आहार में आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ जैसे फल, मेवे और दही शामिल कर सकते हैं. विटामिन और खनिज से भरपूर डाइट लें.

उपवास के दौरान ये चीजें जरूर खाएं

 फल: केले, सेब और अनार विटामिन और फाइबर प्रदान करते हैं मेवे: बादाम और अखरोट स्वस्थ वसा और प्रोटीन के उत्कृष्ट स्रोत हैं डेयरी: दही या पनीर कैल्शियम और प्रोटीन के अच्छे स्रोत हो सकते हैं हाइड्रेटेड रहें हाइड्रेशन महत्वपूर्ण है, खासकर गर्भावस्था के दौरान उपवास करते समय, बहुत सारे तरल पदार्थ पीना महत्वपूर्ण है.

2023 के एक अध्ययन के अनुसार, पोषक तत्वों के चयापचय में पानी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह पोषक तत्वों के पाचन, अवशोषण, परिसंचरण और उत्सर्जन के लिए महत्वपूर्ण है. गर्भावस्था के दौरान, शरीर को भोजन और ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है, जिसके लिए पानी का अधिक सेवन भी आवश्यक है.

By : एबीपी लाइव | Edited By: Swati Raj Laxmi | Updated at : 03 Oct 2024 07:36 AM (IST)

इस तरह नवरात्रि में रखेंगे व्रत तो रहेंगे एनर्जी से भरपूर, छू भी नहीं पाएगी थकान, Dietician से जानें सही तरीका


 

Shardiya Navratri Diet Plan: हिंदुओं के प्रमुख त्योहार में से एक शारदीय नवरात्रि की आज से शुरुआत हो रही है. 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. बड़ी संख्या में लोग व्रत रखते हैं. नवरात्रि में व्रत रखना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है लेकिन इस दौरान कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए. क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही आपकी हेल्थ बिगाड़ सकती है. यहां आपको बता रहे हैं नवरात्रि के व्रत को करने का सही तरीका, जिससे आप व्रत भी रख पाएंगे और हेल्दी भी रहेंगे..

डाइटीशियन से जानें व्रत का सही तरीका

डाइटीशियन अंजू विश्वकर्मा का कहना है कि अगर आप सही तरीके से फास्टिंग (Fasting Tips For Navratri) करते हैं तो आपकी बॉडी डिटॉक्स होती है और इंटेस्टाइन रिलैक्स होती है. फास्टिंग से वेट भी काफी हद तक कंट्रोल हो सकता है. हालांकि ये बात भी है कि अगर आप ज्यादा देर तक भूखे रहते हैं तो सेहत को नुकसान भी पहुंच सकता है. इससे एसिडिटी, वीकनेस और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं. लंबे समय तक भूखा रहने से माइग्रेन ट्रिगर भी हो सकता है.

नवरात्रि में व्रत रखने के 5 Tips

1. नवरात्रि में व्रत के दौरान शरीर को जितना हो सके हाइड्रेट रखें. दिनभर में 2-3 लीटर पानी पीते रहें. खुद को हाइड्रेटेड रखने से बॉडी में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस रहता है और परेशानी नहीं होती है.

2. व्रत रहने के दौरान खूब फ्रूट्स खाएं. समय-समय पर ड्राई फ्रूट्स का सेवन भी करें. ऐसा करने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होगी और वीकनेस की समस्या भी नहीं होगी.

3. नवरात्रि व्रत में प्रोटीन फूड्स पनीर, दही और बादाम जैसी चीजों को भी खाते रहें. चूंकि प्रोटीन को पचने में काफी वक्त लगता है. ऐसे में लंबे समय तक आपका पेट भरा रहेगा और सेहत भी दुरुस्त रहेगी.

4. फास्टिंग में फ्राइड आइटम्स खाने से बचना चाहिए. इसकी जगह आप बिना तली-भुनी चीजों का सेवन कर सकते हैं. ऑयली चीजें खाने से सेहत को नुकसान पहुंचता है.

5. नवरात्रि का व्रत करते समय सबसे खास बात जिसका ध्यान रखना चाहिए, वह यह कि ज्यादा देर खाली पेट नहीं रहना चाहिए. हर 2-3 घंटे में कुछ न कुछ खाते रहें. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो एसिडिटी, सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती है और कमजोरी भी हो सतकी है.

ऐसे लोग व्रत रखने से बचें

डाइटिशियन अंजू विश्वकर्मा के मुताबिक डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, टीवी, कैंसर या अन्य किसी बीमारी से परेशान हैं तो 9 दिन का व्रत नहीं रखना चाहिए. अगर आप इस कंडीशन में भी व्रत रखते हैं तो आपकी तबीयत बिगड़ सकती है. प्रेगनेंट महिलाओं को भी 9 दिन का व्रत नहीं रखना चाहिए. अगर वे व्रत रखना चाह रही हैं तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही ऐसा करें. इस दौरान सेंधा नमक के बजाय सादा नमक खाएं ताकि सोडियम का मात्रा कम न होने पाए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

Tuesday, 1 October 2024

Health Alert: देशभर में बढ़ रहे हैं डेंगू-मलेरिया के मामले, दोनों के लक्षण बिल्कुल एक जैसे; कैसे करें अंतर?


 

देश के कई राज्य इन दिनों मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप झेल रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इस साल मानसून का असर अधिक रहने के कारण बाढ़-जलजमाव जैसी स्थिति भी अधिक देखी गई है जिसके कारण बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। जुलाई-अगस्त के माह में कर्नाटक और फिर असम में डेंगू के कारण पिछले कई सालों के रिकॉर्ड टूट गए। राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भी मच्छरों से होने वाली बीमारियों के केस पिछले कुछ हफ्तों में बढ़े हैं।


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डेंगू के साथ-साथ मलेरिया के रोगियों की संख्या भी अधिक देखी जा रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) द्वारा शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अकेले शुक्रवार को ही लखनऊ में डेंगू के 39 और मलेरिया के तीन नए मामले सामने आए। इसके साथ अब शहर में मच्छर जनित बीमारियों का आंकड़ा 837 पहुंच गया है। इसमें डेंगू के 429 और मलेरिया के 408 मामले हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को मच्छरों के काटने से बचने के लिए प्रयास करते रहने की सलाह दी है। 

दिल्ली-एनसीआर में कैसे हैं हालात?

उत्तर प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी भी डेंगू-मलेरिया का प्रकोप झेल रही है। सितंबर-अक्तूबर में हर बार इस रोग के कारण बड़ी संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार राजधानी में सितंबर के आखिरी हफ्तें में डेंगू के 300 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। इस साल 20 सितंबर तक दिल्ली में डेंगू के कुल 1229 मामले दर्ज किए गए और दो लोगों की मौतें भी हुई।

डेंगू के साथ मलेरिया के आंकड़े भी स्वास्थ्य विशेषों के लिए चिंता बढ़ा रहे हैं। 26 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में मलेरिया के 363 मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में ये आंकड़ा 294 था। 


क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल के डॉ अरविंद कुमार बताते हैं, डेंगू हो या मलेरिया इसका खतरा सभी उम्र के लोगों को होता है। बच्चों में डेंगू के गंभीर रूप लेने का जोखिम अधिक देखा जाता है। डेंगू की गंभीर स्थिति में प्लेटलेट्स काउंट कम होने और आंतरिक रक्तस्राव का खतरा रहता है जिसके जानलेवा दुष्प्रभाव हो सकते हैं। वहीं मलेरिया के कारण भी स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है।

डेंगू और मलेरिया के शुरुआती लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं, ऐसे में इसमें अतंर कर पाना कठिन हो सकता है।आइए जानते हैं कि इसकी पहचान कैसे की जा सकती है।
डेंगू में क्या होते हैं लक्षण?

डेंगू की स्थिति में अचानक तेज बुखार आने के साथ सिरदर्द, आंखों में जलन, भूख न लगने की समस्या, मसूड़ों से खून आने और त्वचा पर चकत्ते-दाने निकलने की दिक्कत हो सकती है। गंभीर स्थितियों में डेंगू के कारण ब्लड प्लेटलेस्टस काउंट कम होने लग जाता है। प्लेटलेट्स खून का थक्का बनाने में मदद करते हैं, ऐसे में इसकी कमी हो जाने के कारण रक्तस्राव होने लगता है जिसके कारण स्थिति बिगड़ सकती है।
मलेरिया में क्या होता  है?

मलेरिया भी मच्छरों के काटने से होने वाला बुखार है, इसमें भी अधिकतर लक्षण डेंगू के जैसे ही होते हैं। मलेरिया के कारण बुखार के साथ ठंड लगने, उल्टी, सूखी खांसी, पसीना आने और बेहोशी की समस्या होने का खतरा रहता है। गंभीर स्थितियों में मलेरिया के कारण चेतना में कमी, सांस लेने में कठिनाई, गहरे रंग का या पेशाब से खून आने की समस्या हो सकती है।
डेंगू और मलेरिया में क्या अंतर है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इन दिनों अगर आप तेज बुखार की समस्या के साथ परेशान हैं तो पहले ये जानना जरूरी है कि आपको डेंगू है या मलेरिया? 

मलेरिया में शाम को बुखार बढ़ने के साथ कमजोरी और ठंड लगने की दिक्कत हो सकती है जबकि डेंगू में तेज बुखार के साथ जोड़ों, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द के साथ त्वचा पर चकत्ते और दाने होने लगते हैं। इन लक्षणों के साथ आप बीमारी में आसानी से अंतर कर सकते हैं। हालांकि बीमारी की पुष्टि के लिए डॉक्टर के सलाह पर ब्लड टेस्ट जरूर कराएं। इन दोनों बीमारियों का समय पर इलाज प्राप्त करना बहुत जरूरी है।

नोट: यह लेख डॉक्टर्स का सलाह और मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 





Coffee Day 2024: कॉफी पीना इतना फायदेमंद हो सकता है सोचा भी नहीं होगा आपने, शोध में सामने आई बड़ी जानकारी


 चाय या कॉफी के शौकीन निश्चित तौर पर आप भी होंगे। पर ये फायदेमंद है या नुकसानदायक, लंबे समय से बड़ा सवाल रहा है। इस संबंध में किए गए अध्ययनों में बताया गया है कि अगर इनका सीमित मात्रा में सेवन किया जाए तो शरीर को कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं। विशेषतौर पर कॉफी पीने को सेहत के लिए बहुत लाभकारी पाया गया है।


जॉन्स हॉप्किंस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि नियमित रूप से अगर आप दो-तीन कप कॉफी पीते हैं तो इससे लिवर की बीमारियों का तो खतरा कम होता ही है, साथ ही इसे मस्तिष्क से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों से बचाने वाला भी पाया गया है। कॉफी में कई प्रकार के प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जिनसे गंभीर क्रोनिक बीमारियों के जोखिम से भी बचाव किया जा सकता है। 

कॉफी और इससे होने वाले लाभ

आमतौर पर कॉफी को उत्तेजक के रूप में जाना जाता है, कॉफी आपके ऊर्जा को बढ़ाने और तरोताजा महसूस करने में मदद करती है। हालांकि इसके लाभ यहीं तक सीमित नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि नियमित तौर पर अगर इसका सेवन किया जाए तो टाइप-2 डायबिटीज और डिप्रेशन के जोखिमों को कम करने से लेकर, वजन को नियंत्रित रखने, लिवर की बीमारियों से बचाने और कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने में भी इससे लाभ पाया जा सकता है।

लिवर की गंभीर बीमारियों से बचाव करने में भी इसके नियमित सेवन को फायदेमंद पाया गया है।

पेट और लिवर के लिए फायदेमंद

अध्ययनों से पता चलता है कि कॉफी, लिवर को स्वस्थ बनाने और इससे संबंधित बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती है। एक अध्ययन में पाया गया कि प्रतिदिन दो-तीन कप कॉफी पीने से लिवर की बीमारी वाले लोगों में लिवर स्केयर्स और लिवर कैंसर दोनों का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा कॉफी में मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स क्रोनिक लिवर रोगियों में असमय मृत्यु के खतरे को कम करने में भी फायदेमंद है। पेट को स्वस्थ रखने और इससे संबंधित बीमारियों से बचाव के लिए कॉफी पीना बहुत फायदेमंद है।

डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद

कुछ शोध बताते हैं कि नियमित रूप से कॉफी का सेवन आपमें टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने में भी मददगार है। 30 अध्ययनों की एक समीक्षा में शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिदिन 2 कप कॉफी पीने से इस प्रकार के मधुमेह होने का खतरा 6% तक कम हो सकता है। कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स को इंसुलिन संवेदनशीलता को ठीक रखने में भी फायदेमंद पाया गया है। हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि अधिक मात्रा में इसका सेवन शरीर के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक भी हो सकता है। 


अल्जाइमर रोग का कम हो सकता है जोखिम

अध्ययनों से पता चला है कि कॉफी पीने वाली महिलाओं में कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, मधुमेह और किडनी की बीमारियों के कारण मरने की आशंका कम होती है। कॉफी, अल्जाइमर रोग और पार्किंसंस रोग सहित कई अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों से बचाने में भी मदद कर सकती है। 13 अध्ययनों की एक समीक्षा में पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से कैफीन का संयमित मात्रा में सेवन करते थे, उनमें पार्किंसंस रोग विकसित होने का जोखिम काफी कम था।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Tue, 01 Oct 2024 10:37 AM IST 

Monday, 30 September 2024

Hyper Sensitive: क्या बला है हाइपर सेंसटिव, कोई बीमारी या मन का भ्रम

 

Hyper Sensitive : कुछ लोग हद से ज्यादा सेंसेटिव होते हैं, जल्दी-जल्दी बीमार हो जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान हो जाते हैं, इससे उन्हें कई तरह की समस्याएं होने लगती है. इसे साइकोलॉजिकल भाषा में 'हाइपर सेंसटिव' कहते हैं. 

एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाइपर सेंसटिव इंसान वह होता है, जिसमें किसी चीज को गहराई से समझने की कोशिश करते हैं. हालांकि, सेंसिटिविटी हद से ज्यादा बढ़ने पर लाइफ नेगेटिव तरह से प्रभावित होने लगती है. बहुत से लोग हाई सेंसिटिव लोगों को मेंटल डिसऑर्डर (Mental Disorder) मानते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हाइपर सेंसटिव कोई बीमारी है? 

हाइपर सेंसटिव क्या कोई बीमारी

डॉक्टर का कहना है कि यह एक तरह का नेचर है लेकिन जब आपका यह बिहैवियर सोशल, प्रोफेशन और डेली लाइफ पर असर डालने लग जाए तो यह बीमारी बन जाती है. इसमें रिलेशन बनाने से लेकर काम करने तक में काफी दिक्कतें होती हैं.

कोई इतना ज्यादा सेंसेटिव क्यों हो जाता है

डॉक्टर्स का कहना है कि इसके पीछे एक नहीं कई कारण हो सकते हैं. जैसे अगर कोई तनाव में है या किसी बात को लेकर परेशान है या बार-बार किसी चीज के बारें में सोचता है तो वह सेंसेटिव हो जाता है. इसके अलावा ऐसा पारिवारिक माहौल जहां सिर्फ अभाव की बाते हों या एक-दूसरे पर तंज कसा जाए या नीचा दिखाया जाए या बहुत ज्यादा जिम्मेदारी बढ़ जाए तो भी इंसान बहुत ज्यादा सेंसेटिव हो जाता है.

क्या पढ़ा लिखा होना भी सेंसेटिव बनाता है

डॉक्टर्स का कहना है कि आमतौर पर ज्यादा पढ़ा-लिखा होना भी किसी के नेचर को सेंसेटिव बना सकता है, क्योंकि इस तरह के इंसान को किसी सब्जेक्ट को लेकर अलग तरह से देखने, गहराई से समझने की क्षमता होती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि ज्यादा पढ़ना बेकार ही है. 

क्या रिस्पांसिबिलिटी भी सेंसेटिव बिहैवियर का कारण

डॉक्टर्स बताते हैं कि अगर कोई हाई पोस्ट पर है तो उस पर अच्छे रिजल्ट की साइकोलॉजिकल रिस्पांसिबिलिटी होती है, जो उसे सेंसेटिव बना सकती है. इसके अलावा, ऐसे बच्चे, जिन्हें बचपन में पैरेंट्स का ज्यादा प्यार मिला हो, वे आगे चलकर अक्सर इस बिहैवियर के हो जाते हैं. ऐसे लोगों को अपनी लाइफ में कई तरह की दिक्कतें होती हैं. ओवरथिंकिंग उन्हें परेशानी में डाल सकता है.

By : ABP News | Updated at : 30 Sep 2024 07:05 AM (IST)

Body Pain: शरीर में दिनभर बना रहता है दर्द तो नजरअंदाज करने की न करें गलती, हो सकता है सेहत के लिए खतरनाक

 Body Pain Reasons

 : शरीर में दर्द कई कारणों से हो सकता है. शरीर हेल्दी होने के बावजदू कई बार हाथ-पैर, गर्दन-पीठ का दर्द होता है, जो नॉर्मल हो सकता है लेकिन अगर दर्द लगातार बना रहता है तो नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, वरना क्रॉनिक पेन (Chronic Body Pain Reason) का कारण बन सकती है. इसमें शरीर में अक्सर ही और लंबे समय तक दर्द होता है. डॉक्टर्स पर इसे हल्के में लेने की बजाय सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या करना चाहिए और क्या नहीं...

क्रॉनिक बॉडी पेन कितनी खतरनाक

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दुनियाभर में 1.5 बिलियन से ज्यादा लोग क्रॉनिक पेन की चपेट में हैं. इसकी वजह से दिव्यांगता और लाइफ क्वॉलिटी में खराबी आ सकती है. पिछले कुछ सालों में पीठ, गर्दन, पेल्विक पेन और गठिया के दर्द कॉमन बन गया है. इसकी वजह से फिजिकल ही नहीं इमोशनल हेल्थ भी बिगड़ रही है. सबसे बड़ी चिंता की बात है कि ज्यादातर लोग इसका इलाज ही नहीं करवा रहे हैं.

शरीर में दर्द बना रहने का कारण क्या है

डॉक्टर्स का कहना है कि शरीर में कई वजहों से दर्द हो सकता है. ऑटोइम्यून बीमारी, गठिया, पुराना इंफेक्शन या विटामिन-प्रोटीन की कमी से भी शरीर में दर्द अक्सर ही बना रहता है. कुछ दर्द ऐसे होते हैं, जिनका अगर समय पर इलाज न कराया जाए तो बाद के लिए खतरनाक बन सकते हैं.

शरीर में दर्द का इलाज 

डॉक्टर्स के मुताबिक, PRP थेरेपी जैसी रीजेनरेटिव मेडिसिन से दर्द से छुटकारा मिल सकता है. यह जॉइंट पेन में ज्यादा कारगर है. क्रॉनिक पेन के लिए कई तरह से डॉक्टर इलाज करते हैं. कुछ मरीज दवाईयों से ही ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ को एपिड्यूरल स्टेरॉयड इंजेक्शन,रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन और ट्रिगर पॉइंट इंजेक्शन देने की जरूरत पड़ सकती है. पर्सनलाइज्ड फिजिकल थेरेपी से भी इसका इलाज किया जाता है.

क्रॉनिक पेन का इलाज AI से

आजकल एआई काफी चर्चा में है. इसकी मदद से भी क्रॉनिक पेन का ट्रीटमेंट किया जा रहा है. अगर आपके शरीर के भी किसी हिस्से में दर्द बना रहता है तो इसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है. अगर कई सालों से दर्द की समस्या है तो तुरंत जाकर डॉक्टर से मिलना चाहिए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.