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Monday, 30 September 2024

Hyper Sensitive: क्या बला है हाइपर सेंसटिव, कोई बीमारी या मन का भ्रम

 

Hyper Sensitive : कुछ लोग हद से ज्यादा सेंसेटिव होते हैं, जल्दी-जल्दी बीमार हो जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान हो जाते हैं, इससे उन्हें कई तरह की समस्याएं होने लगती है. इसे साइकोलॉजिकल भाषा में 'हाइपर सेंसटिव' कहते हैं. 

एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाइपर सेंसटिव इंसान वह होता है, जिसमें किसी चीज को गहराई से समझने की कोशिश करते हैं. हालांकि, सेंसिटिविटी हद से ज्यादा बढ़ने पर लाइफ नेगेटिव तरह से प्रभावित होने लगती है. बहुत से लोग हाई सेंसिटिव लोगों को मेंटल डिसऑर्डर (Mental Disorder) मानते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हाइपर सेंसटिव कोई बीमारी है? 

हाइपर सेंसटिव क्या कोई बीमारी

डॉक्टर का कहना है कि यह एक तरह का नेचर है लेकिन जब आपका यह बिहैवियर सोशल, प्रोफेशन और डेली लाइफ पर असर डालने लग जाए तो यह बीमारी बन जाती है. इसमें रिलेशन बनाने से लेकर काम करने तक में काफी दिक्कतें होती हैं.

कोई इतना ज्यादा सेंसेटिव क्यों हो जाता है

डॉक्टर्स का कहना है कि इसके पीछे एक नहीं कई कारण हो सकते हैं. जैसे अगर कोई तनाव में है या किसी बात को लेकर परेशान है या बार-बार किसी चीज के बारें में सोचता है तो वह सेंसेटिव हो जाता है. इसके अलावा ऐसा पारिवारिक माहौल जहां सिर्फ अभाव की बाते हों या एक-दूसरे पर तंज कसा जाए या नीचा दिखाया जाए या बहुत ज्यादा जिम्मेदारी बढ़ जाए तो भी इंसान बहुत ज्यादा सेंसेटिव हो जाता है.

क्या पढ़ा लिखा होना भी सेंसेटिव बनाता है

डॉक्टर्स का कहना है कि आमतौर पर ज्यादा पढ़ा-लिखा होना भी किसी के नेचर को सेंसेटिव बना सकता है, क्योंकि इस तरह के इंसान को किसी सब्जेक्ट को लेकर अलग तरह से देखने, गहराई से समझने की क्षमता होती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि ज्यादा पढ़ना बेकार ही है. 

क्या रिस्पांसिबिलिटी भी सेंसेटिव बिहैवियर का कारण

डॉक्टर्स बताते हैं कि अगर कोई हाई पोस्ट पर है तो उस पर अच्छे रिजल्ट की साइकोलॉजिकल रिस्पांसिबिलिटी होती है, जो उसे सेंसेटिव बना सकती है. इसके अलावा, ऐसे बच्चे, जिन्हें बचपन में पैरेंट्स का ज्यादा प्यार मिला हो, वे आगे चलकर अक्सर इस बिहैवियर के हो जाते हैं. ऐसे लोगों को अपनी लाइफ में कई तरह की दिक्कतें होती हैं. ओवरथिंकिंग उन्हें परेशानी में डाल सकता है.

By : ABP News | Updated at : 30 Sep 2024 07:05 AM (IST)

Body Pain: शरीर में दिनभर बना रहता है दर्द तो नजरअंदाज करने की न करें गलती, हो सकता है सेहत के लिए खतरनाक

 Body Pain Reasons

 : शरीर में दर्द कई कारणों से हो सकता है. शरीर हेल्दी होने के बावजदू कई बार हाथ-पैर, गर्दन-पीठ का दर्द होता है, जो नॉर्मल हो सकता है लेकिन अगर दर्द लगातार बना रहता है तो नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, वरना क्रॉनिक पेन (Chronic Body Pain Reason) का कारण बन सकती है. इसमें शरीर में अक्सर ही और लंबे समय तक दर्द होता है. डॉक्टर्स पर इसे हल्के में लेने की बजाय सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या करना चाहिए और क्या नहीं...

क्रॉनिक बॉडी पेन कितनी खतरनाक

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दुनियाभर में 1.5 बिलियन से ज्यादा लोग क्रॉनिक पेन की चपेट में हैं. इसकी वजह से दिव्यांगता और लाइफ क्वॉलिटी में खराबी आ सकती है. पिछले कुछ सालों में पीठ, गर्दन, पेल्विक पेन और गठिया के दर्द कॉमन बन गया है. इसकी वजह से फिजिकल ही नहीं इमोशनल हेल्थ भी बिगड़ रही है. सबसे बड़ी चिंता की बात है कि ज्यादातर लोग इसका इलाज ही नहीं करवा रहे हैं.

शरीर में दर्द बना रहने का कारण क्या है

डॉक्टर्स का कहना है कि शरीर में कई वजहों से दर्द हो सकता है. ऑटोइम्यून बीमारी, गठिया, पुराना इंफेक्शन या विटामिन-प्रोटीन की कमी से भी शरीर में दर्द अक्सर ही बना रहता है. कुछ दर्द ऐसे होते हैं, जिनका अगर समय पर इलाज न कराया जाए तो बाद के लिए खतरनाक बन सकते हैं.

शरीर में दर्द का इलाज 

डॉक्टर्स के मुताबिक, PRP थेरेपी जैसी रीजेनरेटिव मेडिसिन से दर्द से छुटकारा मिल सकता है. यह जॉइंट पेन में ज्यादा कारगर है. क्रॉनिक पेन के लिए कई तरह से डॉक्टर इलाज करते हैं. कुछ मरीज दवाईयों से ही ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ को एपिड्यूरल स्टेरॉयड इंजेक्शन,रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन और ट्रिगर पॉइंट इंजेक्शन देने की जरूरत पड़ सकती है. पर्सनलाइज्ड फिजिकल थेरेपी से भी इसका इलाज किया जाता है.

क्रॉनिक पेन का इलाज AI से

आजकल एआई काफी चर्चा में है. इसकी मदद से भी क्रॉनिक पेन का ट्रीटमेंट किया जा रहा है. अगर आपके शरीर के भी किसी हिस्से में दर्द बना रहता है तो इसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है. अगर कई सालों से दर्द की समस्या है तो तुरंत जाकर डॉक्टर से मिलना चाहिए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.