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Wednesday, 30 October 2024

Managing Diabetes And Heart Risks: A Guide to Safe Festive Feasting



Festival time has begun. With the joyous celebration, the season can present challenges for managing blood sugar levels and maintaining heart health. Over-eating, unhealthy lifestyles, and irregular sleep patterns can exacerbate these risks.

The Public Health Foundation of India, in a report, found that 25% of people with diabetes in India have high risks of cardiovascular diseases. The Global Burden of Disease Study 2024 reports that heart disease is one of India’s leading causes of mortality.

What’s the connection between heart disease and diabetes? How do you manage both during festive feasting? This informative article will provide practical tips for managing diabetes and heart risks during the festival season, ensuring you enjoy the celebration without compromising your health.

Diabetes and cardiovascular diseases (CVDs) have a close connection with increased risk of CVDs in people with higher blood sugar levels. A study by the Indian Council of Medical Research (ICMR) in 2024 found that 101 million people in India have diabetes, making India the diabetic capital of the world and aiding in mortality at a younger age.

Centers for Disease Control and Prevention (CDC) found that high blood pressure, high cholesterol, and high blood sugar levels significantly contribute to the increased risks of heart disease. People with diabetes may experience inflammation, cholesterol increases clogging, and high blood pressure restricts adequate oxygen flow, leading to heart diseases.

Dr. Geetanjali Gupta, Director of Technical Operations and Quality Assurance, Redcliffe Labs, says Cardiovascular Health is a rising concern in India, and the risks are higher post festivities due to overexertion, diet with higher oil and sugar content, lack of sleep, and exercise. It is highly recommended that people start taking proactive measures to protect their health with preventive health checks to monitor their vitals and consume a balanced diet.

For healthier and happier celebrations, some common switchovers in the eating habits are further discussed in the article:

Mindful Portion Control:

Festive time often leads to overeating. However, portion control is the key to managing diabetes and heart risks. Opt for smaller portions with a balance of vegetables, whole grains, and lean proteins.

Opt For Healthier Alternatives

The National Diabetes and Diabetic Retinopathy Survey 2024 conducted by the Ministry of Health and Family Welfare revealed that approximately 11.5% of India’s adult population is pre-diabetic.Sweets are common during festival time, which can increase your sugar levels and risk of cardiovascular diseases. Instead of sweets on the market, cooking healthier alternatives at home is better.

Watch Out For Your Hydration Levels

Staying hydrated is important, especially when heavy meals surround you. Drink water before and after meals to aid in digestion. Ensuring to avoid or limit alcohol intake to maintain and manage blood sugar levels and prevent the risk of CVDs. A study conducted from 2008 to 2020 found that 14% of self-reported diabetes cases in rural India consumed alcohol. So, making the right decisions for your better health is essential.

Limit Carbohydrate Intake

Festivals often feature carb-heavy foods like rice, sweets, fritters, and breads. These complex carbohydrates have a direct impact on sugar levels, which makes it essential to monitor your intake. So, regardless of the occasion, balancing your meals with the right proportion of carbohydrates, proteins, vegetables, and fruits is necessary to stabilize your blood sugar levels.

Take Care of Your Mental Well-Being

Chronic stress may lead to unhealthy habits such as overeating, lack of sleep, no physical activity, anxiety, and depression.

In a 2020 study by The Lancet, people who manage stress were 24% less likely to experience cardiovascular diseases than those with chronic anxiety. As per the expert professionals, practicing yoga, mindfulness, or meditation can relax your mind. Sleep properly and set realistic goals while prioritizing self-care to avoid feeling overwhelmed.

Regular Health Check-ups

The Indian Journal of Endocrinology and Metabolism in 2017 highlighted that people with diabetes who underwent regular health checkups were 35% more likely to have controlled blood sugar levels and 25% less likely to develop cardiovascular diseases than those who didn’t attend any health screening.

A pre-festival health checkup or, if not taken due to a busy schedule, a post-festival check ensures your health is on track by understanding your blood sugar levels, cholesterol, blood pressure, and other vitals as per your personalized health conditions.

It is recommended to seek tests like the HBA1C test, glucose fasting test, or a full-body check to keep your health intact. You can enjoy the festive season carefree with your entire family by keeping your health in check. Moreover, a preventive check is a savior for your time, health, and pocket. Treating the diseases post symptoms is emotionally, physically, mentally, and financially draining.

Monday, 21 October 2024

क्या होता है Orthosomnia, जिसमें उड़ जाती है नींद? दिनभर सोने का करता है मन


 Orthosomnia : अच्छी नींद के चक्कर में अपनी नींद बिगाड़ लेना भी एक तरह की बीमारी है. जिसे ऑर्थोसोमनिया कहते हैं. इसमें लोग नींद को लेकर ओवर कॉन्शियस हो जाते हैं. नींद पूरी करने का उनमें जुनून सा हो जाता है. ऑर्थोसोमनिया (Orthosomnia) दो शब्दों से लेकर मिलकर बना है.

ऑर्थो का मतलब सीधा और सोमनिया का मतलब नींद होता है. इस बीमारी की चपेट में ऐसे लोग ज्यादा आते हैं, जो फिटनेस ट्रैकर की मदद से अपनी नींद को घड़ी-घड़ी ट्रैक करने की कोशिश करते रहते हैं. आइए जानते हैं ऑर्थोसोमनिया कितनी बड़ी समस्या है और इससे कैसे बच सकते हैं...

ऑर्थोसोमनिया बीमारी क्यों होती है?

2020 में एक रिसर्च में पाया गया कि एक तरफ दुनिया में नींद की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, लोग स्मार्टफोन और वर्क प्रेशर जैसे फैक्टर्स के चलते नींद पूरी नहीं कर पा रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी नींद को कंट्रोल करके उसे परफेक्ट बनाने में जुटी हैं.

इसके लिए वे हद से ज्यादा कॉन्शियस हो जाते हैं. अच्छी नींद के लिए डाइट से लेकर हर चीज करते हैं. परफेक्ट नींद के लिए नींद पैर्टन चेक करते हैं. इसके लिए स्लीप ट्रैकिंग डिवाइस, फिटनेस ट्रैकर, स्मार्टवॉच, माइक्रोफोन और एक्सेलेरोमीटर जैसे डिवाइस और स्लीप ऐप का सहारा लेते हैं.

ऑर्थोसोमनिया के क्या खतरे हैं?

नींद को ट्रैक करने के चक्कर में ज्यादातर लोग अच्छी नींद ही नहीं ले पा रहे हैं. ऐसे लोग सोने से लेकर जागने तक का पैटर्न चेक करते हैं. नींद को सही करने के लिए अच्छी नींद भी खराब कर बैठते हैं. जिसकी वजह से उन्हें कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ रहा है.

इसके लिए वे हद से ज्यादा कॉन्शियस हो जाते हैं. अच्छी नींद के लिए डाइट से लेकर हर चीज करते हैं. परफेक्ट नींद के लिए नींद पैर्टन चेक करते हैं. इसके लिए स्लीप ट्रैकिंग डिवाइस, फिटनेस ट्रैकर, स्मार्टवॉच, माइक्रोफोन और एक्सेलेरोमीटर जैसे डिवाइस और स्लीप ऐप का सहारा लेते हैं.

ऑर्थोसोमनिया के क्या खतरे हैं?

नींद को ट्रैक करने के चक्कर में ज्यादातर लोग अच्छी नींद ही नहीं ले पा रहे हैं. ऐसे लोग सोने से लेकर जागने तक का पैटर्न चेक करते हैं. नींद को सही करने के लिए अच्छी नींद भी खराब कर बैठते हैं. जिसकी वजह से उन्हें कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ रहा है.

Wednesday, 16 October 2024

अब आपके आसपास भी नहीं फटकेगा मोटापा, इस बीमारी को जड़ से ही खत्म कर देगी यह खास तकनीक

 


हालांकि, यह थेरेपी अभी शुरुआती चरण में है. लेकिन अगर यह मनुष्यों में प्रभावी साबित होती है. तो आहार संबंधी मोटापे के इलाज के रूप में इसकी बहुत संभावना है. 2022 में, दुनिया भर में 43% वयस्क अधिक वजन वाले थे. इनमें से 16% मोटापे से ग्रस्त थे। जैसा कि बहुत से लोग पहले से ही जानते होंगे. अधिक वजन और मोटापे से टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और कुछ कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.



रिसर्च के बावजूद यह समझ में आया कि शरीर में वसा का चयापचय कैसे होता है. आंत में इसके अवशोषण को रोकने का एक प्रभावी तरीका पहचानना पहुंच से बाहर है. हालांकि, एक नए अध्ययन में इसका उत्तर हो सकता है. मौखिक नैनोकण जो वसा अवशोषण के लिए जिम्मेदार एंजाइम के उत्पादन को कम करने के लिए सीधे छोटी आंत पर काम करते हैं.


शंघाई के टोंगजी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. वेंटाओ शाओ और अध्ययन के लेखकों में से एक ने कहा, सालों से, शोधकर्ता वसा चयापचय का अध्ययन कर रहे हैं. लेकिन वसा अवशोषण को रोकने का एक प्रभावी तरीका खोजना मुश्किल रहा है.जबकि अधिकांश रणनीतियां आहार वसा के सेवन को कम करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं. हमारा दृष्टिकोण शरीर की वसा अवशोषण प्रक्रिया को सीधे लक्षित करता है.


एंजाइम स्टेरोल ओ-एसाइलट्रांसफेरेज़ 2 (SOAT2) है, जो SOAT2 जीन द्वारा एन्कोड किया गया है. यकृत कोशिकाओं (हेपेटोसाइट्स) और आंत की परत में अवशोषक कोशिकाओं (एंटरोसाइट्स) में विशिष्ट रूप से उपस्थित SOAT2 का, धमनियों में एथेरोस्क्लेरोसिस या प्लाक निर्माण के विकास में इसकी भूमिका के संबंध में व्यापक रूप से अध्ययन किया गया है.


यह तकनीक वसा कोशिकाओं को मारने के लिए प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों को उत्पन्न करने के लिए प्रकाश-संवेदनशील अणुओं का उपयोग करती है.




यह तकनीक सफेद वसा ऊतक को भूरे वसा ऊतक की विशेषताओं को प्राप्त करने का कारण बनती है

Sunday, 13 October 2024

20 से 50 की उम्र के बीच दांत हो सकते हैं सेंसिटिव, जानें इसके कारण और इलाज का तरीका

 


जिस तरह शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से भोजन करना जरूरी है. उसी तरह सही समय पर दांतों की सफाई करना भी एक स्वस्थ आदत है. दांतों का ख्याल न रखने की वजह से कुछ भी गर्म या ठंडा खाते ही सनसनी महसूस होने लगती है.

इससे दांत दर्द के साथ-साथ परेशानी भी बढ़ जाती है. आइए जानते हैं दांतों की संवेदनशीलता (ओवरसेंसिटिव टीथ) के कारण और इससे राहत पाने के उपाय भी.नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, दांतों की संवेदनशीलता के मामले 10 से 30 फीसदी आबादी में पाए जाते हैं. ज्यादातर 20 से 50 साल की उम्र के लोग इस समस्या से ग्रसित होते हैं, इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है.


दांतों की अतिसंवेदनशीलता एक आम दंत समस्या है. इसके कारण दांतों में दर्द और झुनझुनी का सामना करना पड़ता है. दांतों की परत मुलायम होती है, जो इनेमल को सुरक्षित रखने में मदद करती है. लेकिन अम्लीय पेय पदार्थों और खाद्य पदार्थों का सेवन करने और माउथवॉश (माउथवॉश के साइड इफेक्ट) का अधिक इस्तेमाल करने से इनेमल को नुकसान पहुंचता है और यह खराब होने लगता है.इसका असर नसों पर दिखता है.


इनेमल दांतों को चमकदार और मजबूत बनाए रखता है. लेकिन इसके खराब होने से दांतों की समस्याएं बढ़ने लगती हैं. दांतों की संवेदनशीलता के कारण: अम्लीय खाद्य पदार्थों और बेरीज का सेवन: जो लोग बहुत अधिक अम्लीय खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों का सेवन करते हैं, उनके दांतों का रंग, चमक और परतें खराब होने लगती हैं. इससे इनेमल को नुकसान पहुंचता है और दांत संवेदनशील हो जाते हैं. इसके अलावा, अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड का सेवन करने से भी दांतों को नुकसान पहुंचने लगता है.


एसिडिटी की समस्या: जिन लोगों को एसिडिटी की समस्या होती है, उन्हें अक्सर दांतों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. गैस्ट्राइटिस से पीड़ित लोगों की लार अम्लीय हो जाती है और पीएच लेवल प्रभावित होने लगता है. इसका असर दांतों पर दिखने लगता है, जो संवेदनशीलता को नुकसान पहुंचाता है. डीप बाइट की समस्या: डीप बाइट से दांतों की परत को नुकसान पहुंचता है. जिन मरीजों को डीप बाइट की समस्या है यानी अगर ऊपरी दांत मसूड़ों को छू रहे हैं, तो यह डीप बाइट की श्रेणी में आता है.




Saturday, 12 October 2024

Mental Health: भारतीय युवाओं में बढ़ रही हैं मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं, ज्यादातर लोगों को ये दिक्कत

 


मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं वैश्विक स्तर पर बढ़ती हुई रिपोर्ट की जा रही हैं। भारतीय लोगों के लिए भी ये बड़ी चिंता का कारण है। डेटा से पता चलता है कि भारत में युवा आबादी में मनोरोगों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर 2022 में लॉन्च होने के बाद से भारत की टोल-फ्री मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन, टेली-मानस को 3.5 लाख से अधिक कॉल प्राप्त हुए हैं। इनमें से मानसिक स्वास्थ्य की अधिकांश शिकायतें नींद की गड़बड़ी से संबंधित थीं। 

गौरतलब है कि टेली मानस हेल्पलाइन, देशभर में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर परेशान लोगों को मुफ्त सहायता प्रदान करने का माध्यम है। इसपर सहायता के लिए जितने कॉल्स आ रहे हैं उनमें से ज्यादातर समस्याओं के लिए नींद में कमी को जिम्मेदार पाया जा रहा है।

टेलीमानस पर आने वाली सभी कॉल में से 14 फीसदी से अधिक में नींद से संबंधित दिक्कतों को प्रमुख कारण पाया गया है।



तनाव-चिंता विकार के भी केस

टेली मानस पर मानसिक स्वास्थ्य की सहायता के लिए आ रही कॉल्स में से मूड की गड़बड़ी की 14% शिकायतें, तनाव की 11% और चिंता विकार के करीब 9% केस सामने आए हैं। करीब 3 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्हें मानसिक स्वास्थ्य विकारों के कारण आत्मघाती विचार आ रहे हैं। 

हेल्पलाइन पर कॉल करने वाले पुरुषों की संख्या काफी अधिक है, जो कुल कॉल का 56% है। इनमें से ज़्यादातर कॉल करने वाले (72%) 18 से 45 आयु वर्ग के हैं, जो दर्शाता है कि युवा आबादी में मानसिक स्वास्थ्य विकारों के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। 


वीडियो कॉल पर डॉक्टर देंगे सहायता

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर केंद्र सरकार ने तीन राज्यों से वीडियो कॉल पर डॉक्टर की सलाह लेने की सुविधा शुरू की। बृहस्पतिवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टेली मानस मोबाइल एप का अपडेट वर्जन लॉन्च किया। अभी तक इसमें ऑडियो की सेवा शामिल थी लेकिन अब वीडियो को भी इसमें शामिल किया है।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव आराधना पटनायक ने बताया कि अभी कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु में मोबाइल एप सेवा शुरू की जा रही है। 

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली


Saturday, 5 October 2024

6 benefits of consuming olive oil and the correct ways to use it

 


There’s a lot of noise around the right kind of oil one must use to ensure they get the nutritional benefits of the food that is cooked in it without the ill effects of using too much oil. When it comes to oils, olive oil emerges to be the most stable and reliable oil option for cooking. Olive oil is celebrated as one of the healthiest oils globally, due to its remarkable fat profile and plays a crucial role in the Mediterranean diet.

Comprising about 75% mono-unsaturated fatty acids (MUFA), it may support heart health by raising HDL (the good cholesterol) and lowering LDL (the bad cholesterol). Additionally, it is rich in antioxidant like polyphenols, which may help reduce inflammation, may help regulate blood sugar level and may help promote gut health. While presence of Vitamin E may help keep skin and hair healthy.
Drishya Ale, Dietitian, Paras Health Gurugram said, “Olive oil is a powerhouse of health benefits and must be present in every kitchen. Firstly, olive oil is highly beneficial for heart health because of its anti-inflammatory properties and the fact that it improves blood vessel functions, thereby reducing the risk of heart disease. Apart from that, olive oil helps support bone health as it increases bone density and prevents their breakdown. Its high content of monounsaturated fats, along with vitamins E and K enhances brain health, improving memory and cognitive functions. Antioxidants and anti-inflammatory compounds present in olive oil ensure that there is prevention of cancer through reduction of oxidative stress. It may also help in controlling the blood sugar level as it may lower the glucose level when taken. Olive oil also promotes good skin and hair health and helps combat dryness.

Olive oil is a versatile, nutritious, and flavourful ingredient that deserves a place in every kitchen. To make the most out of these benefits, use olive oil as a base in making salad dressings with a mix of vinegar or lemon juice, or regularly add it to your cooking for a healthy pick-me-up. To ensure, you’re getting all the nutritional goodness of olive oil, it’s important to understand the different types of olive oils available. Many people don’t know that there are 3 types of olive oils: Extra virgin olive oil, olive oil for Indian cooking, and classic olive oil.

According to Vishal Gupta, managing director, Borges India, “There are also many myths surrounding olive oil. For instance, extra virgin olive oil isn’t limited to salad dressings; it can be used for low-heat cooking, such as sautéing, grilling, and roasting, and makes a great butter substitute on toast. Olive oil for Indian cooking is ideal for everyday cooking, as its neutral flavour and high smoke point ensures that the flavour of your food remains intact & you can make all types of dishes, for example it is perfect for tadkas, preparing curries and sabzis or deep frying puris & Koftas. Classic olive oil is perfect for specialty dishes like pizza and pasta, offering a rich flavour and high smoke point.”

Simrat Kathuria the CEO and Head Dietitian at The Diet Xperts said, “The health and wellness sector lauds olive oil, sometimes known as "liquid gold," for its many health advantages and robust flavor. Because of its adaptability, it is a common ingredient in kitchens all over the world, where chefs and nutritionists are always coming up with new ways to include it in everyday meals. Olive oil is more than just a cooking oil; it's a nutritional powerhouse that can do everything from strengthen heart health to improve brain function. Health-conscious people love it for its anti-inflammatory qualities, antioxidants, and potential to help with digestion and skin. Olive oil's extensive use is revolutionizing healthy cooking.

Heart health

Improving cardiovascular health is one of olive oil's most well-known advantages. Olive oil, which is rich in monounsaturated fats, lowers bad cholesterol (LDL) while raising good cholesterol (HDL), which lowers the risk of heart disease.

Packed with antioxidants

Antioxidants abound in extra virgin olive oil, especially polyphenols. These potent substances aid in the fight against inflammation and oxidative stress, both of which are connected to long-term illnesses including diabetes and cancer.

Properties that reduce inflammation

Oleocanthal, a substance found in olive oil, is a molecule that resembles ibuprofen's anti-inflammatory properties. This organic characteristic aids in the reduction of inflammation, which is crucial in averting a number of illnesses, including Alzheimer's and arthritis.


Supports brain health



Frequent use of olive oil has been linked to enhanced cognitive performance and a lower risk of neurodegenerative illnesses like Alzheimer's.

Promotes Skin Health

Because olive oil has a high vitamin E level, it protects the skin, provides moisture, and lessens the look of fine lines and wrinkles.

Aids in digestion



By promoting bile production, relieving constipation, and enhancing nutritional absorption, olive oil aids with digestion.



The use of olive oil must be done appropriately to get these benefits to the fullest. Steer clear of overheating it when cooking because high heat might destroy some of the nutrients. To retain the full nutritious content of extra virgin olive oil, drizzle it over cooked vegetables, salads, or as a finishing touch.

Thursday, 3 October 2024

Why having a cup of papaya leaf water thrice a week is recommended


While papaya fruit has long been known for its digestive benefits, the leaves of the papaya tree are packed with even more powerful nutrients that can help combat various health issues. Papaya leaf water is becoming increasingly popular due to its incredible health benefits. Drinking papaya leaf water or consuming its extract is highly recommended for several reasons.

How much should you consume?

While it is recommended to have only one cup of papaya extract thrice a week, this can vary as per individual basis. Always consult your doctor before consuming papaya leaf extract and make sure you are taking the right dose.

Here are a few health benefits of papaya leaf extract:

It fights dengue fever by increasing platelet count

Papaya leaf water is believed to boost platelet count in dengue. Studies have shown that regular consumption of papaya leaf extract, when one is infected with the infection, can help to increase platelet levels. Dengue causes a rapid decline in platelet count, which can be dangerous if not managed properly and many people resort to papaya leaf extract for remedy making it a natural, low-risk treatment option alongside traditional medicine.



It has powerful antioxidants

Papaya leaves are rich in powerful antioxidants, including vitamin C, vitamin E, and various flavonoids that protect the body from oxidative stress and prevent cellular damage. Drinking papaya leaf water regularly can help your body neutralize these free radicals, protecting your cells from damage. The antioxidants in papaya leaf water may reduce the risk of chronic conditions like heart disease, diabetes, and certain types of cancer.

It supports digestive health

Papaya leaf extract is highly recommended for those experiencing digestive issues, like bloating, constipation, or irritable bowel syndrome (IBS).

Drinking water from papaya leaves has cleansing effects on the digestive system, reduces inflammations, and even helps growth of healthy gut bacteria.

It has anti-inflammatory properties

Inflammation is the root cause of many chronic diseases, including arthritis, asthma, and autoimmune disorders. Papaya leaf water has significant anti-inflammatory compounds like alkaloids and flavonoids that can help reduce inflammation in the body. Regular consumption of papaya leaf water can provide relief for those suffering from joint pain, muscle aches, and other inflammatory symptoms.

It promotes liver health

The liver plays a vital role in detoxifying the body, metabolizing nutrients, and regulating various bodily functions.

Papaya leaves contain acetogenins, which help detoxify the liver and protect it from damage caused by toxins, medications, and excess alcohol consumption. These compounds enhance liver function by promoting the removal of harmful waste products and improving the liver’s ability to regenerate.



It enhances skin health

The antioxidants and vitamins present in papaya leaves, like vitamin A and C, are essential for healthy skin. These nutrients help to repair damaged skin cells, promote the production of collagen, and reduce signs of aging such as wrinkles and fine lines. Papaya leaf water also has natural anti-bacterial and anti-fungal properties that can help combat skin infections, acne, and eczema.



It manages diabetes

Papaya leaf water is known for its ability to regulate blood sugar levels and improve insulin sensitivity, making it a helpful natural remedy for managing diabetes. Studies have shown that papaya leaf extract can help lower fasting blood sugar levels and improve overall glucose metabolism. Regular consumption of papaya leaf water may prevent spikes in blood sugar levels, thus helping individuals with type 2 diabetes manage their condition more effectively.

It boosts immunity

Papaya leaf water is packed with immune-boosting nutrients such as vitamins A, C, and E. The combination of antioxidants and anti-inflammatory compounds in papaya leaves supports the immune system and it reduces oxidative stress and promotes the production of immune cells. By drinking papaya leaf water regularly, you can help protect your body from infections, viruses, and other harmful pathogens.

It boosts hair growth

Papaya leaf water can also promote hair health. The vitamins and minerals of the leaves of papaya, such as calcium, iron, and zinc, feed the scalp and promote hair growth. The antioxidants will reduce hair fall and prevent premature graying by nourishing the hair follicle. In addition, papaya leaf water can be a natural remedy against dandruff and itchy scalp. This is because the antimicrobial properties of leaves cleanse the scalp, remove extra oil, dirt, and bacteria that may cause irritation.

It detoxifies body

The extract from papaya leaves happens to be an excellent natural detoxifier, and it helps in cleansing the body from harmful toxins and waste through the liver and kidneys. Drinking papaya leaf water will help increase toxin elimination from the body, reduce the retention of water inside the system, and at the same time let the organs function properly. It aids in detoxification, thus improving digestion, and skin conditions.

Friday, 20 September 2024

Curd And Pomegranate: मीठे दही में अनार के दाने मिलाने पर फायदा होगा या नुकसान? यहां है जवाब



 Curd With Pomegranate : दही और अनार के दाने पोषक तत्वों से भरपूर हैं. दोनों ही शरीर के लिए जबरदस्त तरीके से फायदेमंद हैं. दही में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो शरीर के एनर्जी लेवल को बनाए रखता है. इसके अलावा इसमें कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6 और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्व भी खूब मिलते हैं.

वहीं, अनारदाना खून बढ़ाने का काम करता है. इससे भूख बढ़ती है, आंतों का सूजन खत्म होता है, त्वचा का रुखापन और गठिया का दर्द भी दूर हो जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि मीठी दही में अनार के दाने मिलाकर खाने फायदा होगा या नुकसान. यहां जानिए...

दही और अनार के दानों के फायदे या नुकसान

फ्रेश अनार के दानों को खाने के लिए उसे फ्रूट सलाद, दही, ओट्स चाट, जूस के साथ खा सकते हैं. इसके कई फायदे होते हैं. दही और अनार के दानों को मिलाकर खाने से शरीर को फायदा होता है. सुबह ब्रेकफास्ट में इन दोनों को साथ खाने से शरीर दिनभर एनर्जेटिक बना रहता है. इससे कई अन्य फायदे भी हैं.

दही और अनार के दाने खाने से फायदे

1. दही और अनार के दाने विटामिन सी से भरपूर होते हैं, जो सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद हैं. दोनों इम्यूनिटी बूस्ट करते हैं और हर मौसम में इंफेक्शन बचाते हैं. दोनों में पोटेशियम, मैग्निशियम, कैल्शियम और फोलेट भरपूर पाए जाते हैं, जो हार्ट की हेल्थ के लिए बेहद जरूरी हैं.

2. मीठी दही और अनार दोनों में प्रोटीन खूब पाया जाता है, जो हड्डियों को सेहतमंद रखता है. दोनों को मिलाकर खाने से मांसपेशियों में ताकत आ जाती है. ये ब्रेन बूस्टर का भी काम करते हैं. दिनभर शरीर को हेल्दी बनाने में मदद करते हैं. ब्रेकफास्ट में दोनों को साथ खाने से प्रोडक्टिविटी बढ़ती है.

3. दही और अनार के दाने शरीर का खून बढ़ाते हैं. दोनों रेड ब्लड सेल्स को बढ़ावा देने में मदद करते हैं. अगर किसी को हमेशा थकान और कमजोरी रहती है तो उन्हें ब्रेकफास्ट में इन दोनों चीजों को खाना चाहिए. उनकी समस्या झटपट दूर हो जाएगी.

4. दही और अनार से त्वचा को अंदर से मॉइस्चराइज़ेशन मिलता है और त्वचा ग्लोइंग होती है. 

5..दही और अनार का रायता पेट की जलन से आराम दिलाता है.

6. दही और अनार का रायता दिल के मरीज़ों के लिए भी फ़ायदेमंद होता है. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Wednesday, 18 September 2024

थायरॉइड की समस्या से हैं परेशान? तो रोजाना इन चार चीजों के सेवन से मिलेगा फायदा

 हम कैसा खाना खा रहे हैं? हमारा खाना हेल्दी है या नहीं? हमारे खाने में पोषक तत्व हैं या नहीं? हम समय पर खाना खा रहे हैं या नहीं? ऐसी नजाने कितनी बातें हमारे खानपान के लिए बेहद जरूरी हैं, क्योंकि अगर हमें बीमारियों से बचे रहना है तो एक हेल्दी डाइट का होना बेहद जरूरी है। हमारा पौष्टिक आहार हमें स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने में मदद करता है। दरअसल, हमारे आसपास कई ऐसी बीमारियां मौजूद हैं जो पलक झपकते ही हमें अपना शिकार बना लेती हैं। ऐसे में फिर अस्पताल के चक्कर और कई दवाओं का सेवन करना पड़ता है। वहीं, हम चाहें तो अपने खानपान से कई चीजों पर नियंत्रण रख सकते हैं। जैसे- थायरॉइड, क्योंकि कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका सेवन किया जाए, तो हमारा थायरॉइड कंट्रोल होने में मदद मिल सकती है। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में।

एंटीऑक्सीडेंट से भरी सब्जियां और फल
  • हमें ऐसे फलों और सब्जियों का जरूर सेवन करना चाहिए, जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। इनमें टमाटर, शिमला मिर्च और ब्लूबेरी जैसी चीजें शामिल हैं। इनके सेवन से थायरॉइड की ग्रंथि को काफी लाभ पहुंच सकता है।
    कम आयोडीन वाली चीजें
    • आप उन चीजों का सेवन कर सकते हैं, जिनमें आयोडीन कम होता है क्योंकि ये थायरॉइड हार्मोन को कम करने में मदद करता है। इसके लिए आप बिना आयोडीन वाला नमक, कॉफी, नट-बटर, घर का बना ब्रेड, आलू, शहद, वाइट एग जैसी चीजों का सेवन कर सकते है।
      टायरोसिन
      • टायरोसिन अमीनो एसिड का उपयोग थायरॉइड ग्रंथि द्वारा टी3 और टी4 के उत्पादन के लिए किया जाता है। इसलिए आप डेयरी उत्पाद, फलियां और मीट जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं। इनसे आपको थायरॉइड मे काफी लाभ मिल सकता है।गोभी
      aaj ka health tips Eat these four foods to control thyroid
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      • वैसे तो हम कई तरह की सब्जियों का सेवन करते हैं। लेकिन आप गोभी का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि ये थायरॉइड को बढ़ने से रोकने में मदद करती है। इसके लिए आप ब्रोकली, कसावा, गोभी, पत्तागोभी, सरसों, शलजम, बांस की शाखा बोक टी जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं।

      नोट: प्रिया पांडेय योग्य और अनुभवी डायटिशियन (आहार विशेषज्ञ) हैं। उन्होंने कानपुर के सी.एस.जे.एम. विश्वविद्यालय से मानव पोषण में बी.एस.सी. किया है। उन्होंने कानपुर के आभा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आहार विशेषज्ञ के रूप में काम किया है। उन्होंने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में पोषण व्याख्यान के विषय के प्रतिनिधि के रूप में भी भाग लिया है। उनका इस क्षेत्र में 8 वर्ष का लंबा अनुभव है। 

      अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

Kidney Disease: किडनी की बीमारी का बढ़ रहा है खतरा, दिल्ली के पानी में है हद से ज्यादा नमक

 

report reveals that over 25 percent of water samples in Delhi have high salt content cause kidney disease Kidney Disease: किडनी की बीमारी का बढ़ रहा है खतरा, दिल्ली के पानी में है हद से ज्यादा नमक

दिल्ली के पानी में नमक की मात्रा काफी ज्यादा मिलती है. हर 4 में से 1 पानी के सैंपल में नमक की मात्रा काफी ज्यादा मिली है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के 25% से ज्यादा पानी में नमक काफी ज्यादा मात्रा में है. यह पानी इंसान के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. 

इस रिपोर्ट में दिल्ली से आगे राजस्थान है

देश की राजधानी दिल्ली की पानी का यह हाल काफी ज्यादा समस्या का विषय है. 'सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी' (CGWA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 25 प्रतिशत से ज्यादा पानी के सैंपल में नमक की मात्रा मिली है. इस मामले में दिल्ली से आगे राजस्थान है. वहां के पानी में 30% पानी के सैंपल में नमक मिले हैं. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि पानी में नमक की मात्रा काफी ज्यादा जो इंसान के पीने लायक पानी नहीं है. 

दिल्ली में 95 जगहों से लिया गया पानी का सैंपल

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने CGWA की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022-23 में दिल्ली के 95 जगहों से पानी की सैंपल लिए गए थे. इनमें से 24 सैंपल में EC 3,000 माइक्रो सीमेंस प्रति सेंटीमीटर से ज्यादा मिला है. EC का मतलब है इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी जो बताता है कि पानी में कितना नमक घुला हुआ है. नई दिल्ली, उत्तर, उत्तर पश्चिम, दक्षिण पश्चिम और पश्चिम दिल्ली से इकट्ठा किए गए थे.

सबसे ज्यादा कहां खारा पानी?

सबसे ज्यादा EC वाले इलाके हैं रोहिणी का बरवाला (9,623 यूनिट), पीतमपुरा का संदेश विहार (8,679 यूनिट) और टैगोर गार्डन (7,417 यूनिट)  शामिल है. नजफगढ़ टाउन, सुल्तानपुर दाबास, छावला, अलीपुर गढ़ी, हिरन कुदना गांव और सिंघू गांव में भी EC का लेवल काफी ज़्यादा बढ़ा हुआ पाया गया है.

पानी में घुले नमक का कैसे लगाया जाता है पता?

रिपोर्ट के मुताबिक EC पानी में घुले हुए नमक का पता लगाया जाता है. यह पता लगाने का आसान और तेज तरीका है. EC का काम है पानी में घुले ठोस पदार्थ (टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स - TDS)  से जुड़ा हुआ है. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मुताबिक पानी में TDS की मात्रा 500 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. यह EC के लगभग 750 माइक्रो सीमेंस प्रति सेंटीमीटर के बराबर है.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.