Wednesday 18 September 2024

Kidney Disease: किडनी की बीमारी का बढ़ रहा है खतरा, दिल्ली के पानी में है हद से ज्यादा नमक

 

report reveals that over 25 percent of water samples in Delhi have high salt content cause kidney disease Kidney Disease: किडनी की बीमारी का बढ़ रहा है खतरा, दिल्ली के पानी में है हद से ज्यादा नमक

दिल्ली के पानी में नमक की मात्रा काफी ज्यादा मिलती है. हर 4 में से 1 पानी के सैंपल में नमक की मात्रा काफी ज्यादा मिली है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के 25% से ज्यादा पानी में नमक काफी ज्यादा मात्रा में है. यह पानी इंसान के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. 

इस रिपोर्ट में दिल्ली से आगे राजस्थान है

देश की राजधानी दिल्ली की पानी का यह हाल काफी ज्यादा समस्या का विषय है. 'सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी' (CGWA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 25 प्रतिशत से ज्यादा पानी के सैंपल में नमक की मात्रा मिली है. इस मामले में दिल्ली से आगे राजस्थान है. वहां के पानी में 30% पानी के सैंपल में नमक मिले हैं. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि पानी में नमक की मात्रा काफी ज्यादा जो इंसान के पीने लायक पानी नहीं है. 

दिल्ली में 95 जगहों से लिया गया पानी का सैंपल

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने CGWA की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022-23 में दिल्ली के 95 जगहों से पानी की सैंपल लिए गए थे. इनमें से 24 सैंपल में EC 3,000 माइक्रो सीमेंस प्रति सेंटीमीटर से ज्यादा मिला है. EC का मतलब है इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी जो बताता है कि पानी में कितना नमक घुला हुआ है. नई दिल्ली, उत्तर, उत्तर पश्चिम, दक्षिण पश्चिम और पश्चिम दिल्ली से इकट्ठा किए गए थे.

सबसे ज्यादा कहां खारा पानी?

सबसे ज्यादा EC वाले इलाके हैं रोहिणी का बरवाला (9,623 यूनिट), पीतमपुरा का संदेश विहार (8,679 यूनिट) और टैगोर गार्डन (7,417 यूनिट)  शामिल है. नजफगढ़ टाउन, सुल्तानपुर दाबास, छावला, अलीपुर गढ़ी, हिरन कुदना गांव और सिंघू गांव में भी EC का लेवल काफी ज़्यादा बढ़ा हुआ पाया गया है.

पानी में घुले नमक का कैसे लगाया जाता है पता?

रिपोर्ट के मुताबिक EC पानी में घुले हुए नमक का पता लगाया जाता है. यह पता लगाने का आसान और तेज तरीका है. EC का काम है पानी में घुले ठोस पदार्थ (टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स - TDS)  से जुड़ा हुआ है. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मुताबिक पानी में TDS की मात्रा 500 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. यह EC के लगभग 750 माइक्रो सीमेंस प्रति सेंटीमीटर के बराबर है.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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