ऑर्थो का मतलब सीधा और सोमनिया का मतलब नींद होता है. इस बीमारी की चपेट में ऐसे लोग ज्यादा आते हैं, जो फिटनेस ट्रैकर की मदद से अपनी नींद को घड़ी-घड़ी ट्रैक करने की कोशिश करते रहते हैं. आइए जानते हैं ऑर्थोसोमनिया कितनी बड़ी समस्या है और इससे कैसे बच सकते हैं...
ऑर्थोसोमनिया बीमारी क्यों होती है?
2020 में एक रिसर्च में पाया गया कि एक तरफ दुनिया में नींद की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, लोग स्मार्टफोन और वर्क प्रेशर जैसे फैक्टर्स के चलते नींद पूरी नहीं कर पा रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी नींद को कंट्रोल करके उसे परफेक्ट बनाने में जुटी हैं.
इसके लिए वे हद से ज्यादा कॉन्शियस हो जाते हैं. अच्छी नींद के लिए डाइट से लेकर हर चीज करते हैं. परफेक्ट नींद के लिए नींद पैर्टन चेक करते हैं. इसके लिए स्लीप ट्रैकिंग डिवाइस, फिटनेस ट्रैकर, स्मार्टवॉच, माइक्रोफोन और एक्सेलेरोमीटर जैसे डिवाइस और स्लीप ऐप का सहारा लेते हैं.
ऑर्थोसोमनिया के क्या खतरे हैं?
नींद को ट्रैक करने के चक्कर में ज्यादातर लोग अच्छी नींद ही नहीं ले पा रहे हैं. ऐसे लोग सोने से लेकर जागने तक का पैटर्न चेक करते हैं. नींद को सही करने के लिए अच्छी नींद भी खराब कर बैठते हैं. जिसकी वजह से उन्हें कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ रहा है.
इसके लिए वे हद से ज्यादा कॉन्शियस हो जाते हैं. अच्छी नींद के लिए डाइट से लेकर हर चीज करते हैं. परफेक्ट नींद के लिए नींद पैर्टन चेक करते हैं. इसके लिए स्लीप ट्रैकिंग डिवाइस, फिटनेस ट्रैकर, स्मार्टवॉच, माइक्रोफोन और एक्सेलेरोमीटर जैसे डिवाइस और स्लीप ऐप का सहारा लेते हैं.
ऑर्थोसोमनिया के क्या खतरे हैं?
नींद को ट्रैक करने के चक्कर में ज्यादातर लोग अच्छी नींद ही नहीं ले पा रहे हैं. ऐसे लोग सोने से लेकर जागने तक का पैटर्न चेक करते हैं. नींद को सही करने के लिए अच्छी नींद भी खराब कर बैठते हैं. जिसकी वजह से उन्हें कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ रहा है.
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