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Thursday, 3 October 2024

इस तरह नवरात्रि में रखेंगे व्रत तो रहेंगे एनर्जी से भरपूर, छू भी नहीं पाएगी थकान, Dietician से जानें सही तरीका


 

Shardiya Navratri Diet Plan: हिंदुओं के प्रमुख त्योहार में से एक शारदीय नवरात्रि की आज से शुरुआत हो रही है. 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. बड़ी संख्या में लोग व्रत रखते हैं. नवरात्रि में व्रत रखना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है लेकिन इस दौरान कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए. क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही आपकी हेल्थ बिगाड़ सकती है. यहां आपको बता रहे हैं नवरात्रि के व्रत को करने का सही तरीका, जिससे आप व्रत भी रख पाएंगे और हेल्दी भी रहेंगे..

डाइटीशियन से जानें व्रत का सही तरीका

डाइटीशियन अंजू विश्वकर्मा का कहना है कि अगर आप सही तरीके से फास्टिंग (Fasting Tips For Navratri) करते हैं तो आपकी बॉडी डिटॉक्स होती है और इंटेस्टाइन रिलैक्स होती है. फास्टिंग से वेट भी काफी हद तक कंट्रोल हो सकता है. हालांकि ये बात भी है कि अगर आप ज्यादा देर तक भूखे रहते हैं तो सेहत को नुकसान भी पहुंच सकता है. इससे एसिडिटी, वीकनेस और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं. लंबे समय तक भूखा रहने से माइग्रेन ट्रिगर भी हो सकता है.

नवरात्रि में व्रत रखने के 5 Tips

1. नवरात्रि में व्रत के दौरान शरीर को जितना हो सके हाइड्रेट रखें. दिनभर में 2-3 लीटर पानी पीते रहें. खुद को हाइड्रेटेड रखने से बॉडी में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस रहता है और परेशानी नहीं होती है.

2. व्रत रहने के दौरान खूब फ्रूट्स खाएं. समय-समय पर ड्राई फ्रूट्स का सेवन भी करें. ऐसा करने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होगी और वीकनेस की समस्या भी नहीं होगी.

3. नवरात्रि व्रत में प्रोटीन फूड्स पनीर, दही और बादाम जैसी चीजों को भी खाते रहें. चूंकि प्रोटीन को पचने में काफी वक्त लगता है. ऐसे में लंबे समय तक आपका पेट भरा रहेगा और सेहत भी दुरुस्त रहेगी.

4. फास्टिंग में फ्राइड आइटम्स खाने से बचना चाहिए. इसकी जगह आप बिना तली-भुनी चीजों का सेवन कर सकते हैं. ऑयली चीजें खाने से सेहत को नुकसान पहुंचता है.

5. नवरात्रि का व्रत करते समय सबसे खास बात जिसका ध्यान रखना चाहिए, वह यह कि ज्यादा देर खाली पेट नहीं रहना चाहिए. हर 2-3 घंटे में कुछ न कुछ खाते रहें. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो एसिडिटी, सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती है और कमजोरी भी हो सतकी है.

ऐसे लोग व्रत रखने से बचें

डाइटिशियन अंजू विश्वकर्मा के मुताबिक डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, टीवी, कैंसर या अन्य किसी बीमारी से परेशान हैं तो 9 दिन का व्रत नहीं रखना चाहिए. अगर आप इस कंडीशन में भी व्रत रखते हैं तो आपकी तबीयत बिगड़ सकती है. प्रेगनेंट महिलाओं को भी 9 दिन का व्रत नहीं रखना चाहिए. अगर वे व्रत रखना चाह रही हैं तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही ऐसा करें. इस दौरान सेंधा नमक के बजाय सादा नमक खाएं ताकि सोडियम का मात्रा कम न होने पाए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

Tuesday, 1 October 2024

Health Alert: देशभर में बढ़ रहे हैं डेंगू-मलेरिया के मामले, दोनों के लक्षण बिल्कुल एक जैसे; कैसे करें अंतर?


 

देश के कई राज्य इन दिनों मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप झेल रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इस साल मानसून का असर अधिक रहने के कारण बाढ़-जलजमाव जैसी स्थिति भी अधिक देखी गई है जिसके कारण बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। जुलाई-अगस्त के माह में कर्नाटक और फिर असम में डेंगू के कारण पिछले कई सालों के रिकॉर्ड टूट गए। राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भी मच्छरों से होने वाली बीमारियों के केस पिछले कुछ हफ्तों में बढ़े हैं।


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डेंगू के साथ-साथ मलेरिया के रोगियों की संख्या भी अधिक देखी जा रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) द्वारा शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अकेले शुक्रवार को ही लखनऊ में डेंगू के 39 और मलेरिया के तीन नए मामले सामने आए। इसके साथ अब शहर में मच्छर जनित बीमारियों का आंकड़ा 837 पहुंच गया है। इसमें डेंगू के 429 और मलेरिया के 408 मामले हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को मच्छरों के काटने से बचने के लिए प्रयास करते रहने की सलाह दी है। 

दिल्ली-एनसीआर में कैसे हैं हालात?

उत्तर प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी भी डेंगू-मलेरिया का प्रकोप झेल रही है। सितंबर-अक्तूबर में हर बार इस रोग के कारण बड़ी संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार राजधानी में सितंबर के आखिरी हफ्तें में डेंगू के 300 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। इस साल 20 सितंबर तक दिल्ली में डेंगू के कुल 1229 मामले दर्ज किए गए और दो लोगों की मौतें भी हुई।

डेंगू के साथ मलेरिया के आंकड़े भी स्वास्थ्य विशेषों के लिए चिंता बढ़ा रहे हैं। 26 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में मलेरिया के 363 मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में ये आंकड़ा 294 था। 


क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल के डॉ अरविंद कुमार बताते हैं, डेंगू हो या मलेरिया इसका खतरा सभी उम्र के लोगों को होता है। बच्चों में डेंगू के गंभीर रूप लेने का जोखिम अधिक देखा जाता है। डेंगू की गंभीर स्थिति में प्लेटलेट्स काउंट कम होने और आंतरिक रक्तस्राव का खतरा रहता है जिसके जानलेवा दुष्प्रभाव हो सकते हैं। वहीं मलेरिया के कारण भी स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है।

डेंगू और मलेरिया के शुरुआती लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं, ऐसे में इसमें अतंर कर पाना कठिन हो सकता है।आइए जानते हैं कि इसकी पहचान कैसे की जा सकती है।
डेंगू में क्या होते हैं लक्षण?

डेंगू की स्थिति में अचानक तेज बुखार आने के साथ सिरदर्द, आंखों में जलन, भूख न लगने की समस्या, मसूड़ों से खून आने और त्वचा पर चकत्ते-दाने निकलने की दिक्कत हो सकती है। गंभीर स्थितियों में डेंगू के कारण ब्लड प्लेटलेस्टस काउंट कम होने लग जाता है। प्लेटलेट्स खून का थक्का बनाने में मदद करते हैं, ऐसे में इसकी कमी हो जाने के कारण रक्तस्राव होने लगता है जिसके कारण स्थिति बिगड़ सकती है।
मलेरिया में क्या होता  है?

मलेरिया भी मच्छरों के काटने से होने वाला बुखार है, इसमें भी अधिकतर लक्षण डेंगू के जैसे ही होते हैं। मलेरिया के कारण बुखार के साथ ठंड लगने, उल्टी, सूखी खांसी, पसीना आने और बेहोशी की समस्या होने का खतरा रहता है। गंभीर स्थितियों में मलेरिया के कारण चेतना में कमी, सांस लेने में कठिनाई, गहरे रंग का या पेशाब से खून आने की समस्या हो सकती है।
डेंगू और मलेरिया में क्या अंतर है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इन दिनों अगर आप तेज बुखार की समस्या के साथ परेशान हैं तो पहले ये जानना जरूरी है कि आपको डेंगू है या मलेरिया? 

मलेरिया में शाम को बुखार बढ़ने के साथ कमजोरी और ठंड लगने की दिक्कत हो सकती है जबकि डेंगू में तेज बुखार के साथ जोड़ों, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द के साथ त्वचा पर चकत्ते और दाने होने लगते हैं। इन लक्षणों के साथ आप बीमारी में आसानी से अंतर कर सकते हैं। हालांकि बीमारी की पुष्टि के लिए डॉक्टर के सलाह पर ब्लड टेस्ट जरूर कराएं। इन दोनों बीमारियों का समय पर इलाज प्राप्त करना बहुत जरूरी है।

नोट: यह लेख डॉक्टर्स का सलाह और मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 





Coffee Day 2024: कॉफी पीना इतना फायदेमंद हो सकता है सोचा भी नहीं होगा आपने, शोध में सामने आई बड़ी जानकारी


 चाय या कॉफी के शौकीन निश्चित तौर पर आप भी होंगे। पर ये फायदेमंद है या नुकसानदायक, लंबे समय से बड़ा सवाल रहा है। इस संबंध में किए गए अध्ययनों में बताया गया है कि अगर इनका सीमित मात्रा में सेवन किया जाए तो शरीर को कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं। विशेषतौर पर कॉफी पीने को सेहत के लिए बहुत लाभकारी पाया गया है।


जॉन्स हॉप्किंस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि नियमित रूप से अगर आप दो-तीन कप कॉफी पीते हैं तो इससे लिवर की बीमारियों का तो खतरा कम होता ही है, साथ ही इसे मस्तिष्क से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों से बचाने वाला भी पाया गया है। कॉफी में कई प्रकार के प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जिनसे गंभीर क्रोनिक बीमारियों के जोखिम से भी बचाव किया जा सकता है। 

कॉफी और इससे होने वाले लाभ

आमतौर पर कॉफी को उत्तेजक के रूप में जाना जाता है, कॉफी आपके ऊर्जा को बढ़ाने और तरोताजा महसूस करने में मदद करती है। हालांकि इसके लाभ यहीं तक सीमित नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि नियमित तौर पर अगर इसका सेवन किया जाए तो टाइप-2 डायबिटीज और डिप्रेशन के जोखिमों को कम करने से लेकर, वजन को नियंत्रित रखने, लिवर की बीमारियों से बचाने और कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने में भी इससे लाभ पाया जा सकता है।

लिवर की गंभीर बीमारियों से बचाव करने में भी इसके नियमित सेवन को फायदेमंद पाया गया है।

पेट और लिवर के लिए फायदेमंद

अध्ययनों से पता चलता है कि कॉफी, लिवर को स्वस्थ बनाने और इससे संबंधित बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती है। एक अध्ययन में पाया गया कि प्रतिदिन दो-तीन कप कॉफी पीने से लिवर की बीमारी वाले लोगों में लिवर स्केयर्स और लिवर कैंसर दोनों का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा कॉफी में मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स क्रोनिक लिवर रोगियों में असमय मृत्यु के खतरे को कम करने में भी फायदेमंद है। पेट को स्वस्थ रखने और इससे संबंधित बीमारियों से बचाव के लिए कॉफी पीना बहुत फायदेमंद है।

डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद

कुछ शोध बताते हैं कि नियमित रूप से कॉफी का सेवन आपमें टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने में भी मददगार है। 30 अध्ययनों की एक समीक्षा में शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिदिन 2 कप कॉफी पीने से इस प्रकार के मधुमेह होने का खतरा 6% तक कम हो सकता है। कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स को इंसुलिन संवेदनशीलता को ठीक रखने में भी फायदेमंद पाया गया है। हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि अधिक मात्रा में इसका सेवन शरीर के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक भी हो सकता है। 


अल्जाइमर रोग का कम हो सकता है जोखिम

अध्ययनों से पता चला है कि कॉफी पीने वाली महिलाओं में कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, मधुमेह और किडनी की बीमारियों के कारण मरने की आशंका कम होती है। कॉफी, अल्जाइमर रोग और पार्किंसंस रोग सहित कई अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों से बचाने में भी मदद कर सकती है। 13 अध्ययनों की एक समीक्षा में पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से कैफीन का संयमित मात्रा में सेवन करते थे, उनमें पार्किंसंस रोग विकसित होने का जोखिम काफी कम था।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Tue, 01 Oct 2024 10:37 AM IST