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Tuesday, 1 October 2024

Coffee Day 2024: कॉफी पीना इतना फायदेमंद हो सकता है सोचा भी नहीं होगा आपने, शोध में सामने आई बड़ी जानकारी


 चाय या कॉफी के शौकीन निश्चित तौर पर आप भी होंगे। पर ये फायदेमंद है या नुकसानदायक, लंबे समय से बड़ा सवाल रहा है। इस संबंध में किए गए अध्ययनों में बताया गया है कि अगर इनका सीमित मात्रा में सेवन किया जाए तो शरीर को कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं। विशेषतौर पर कॉफी पीने को सेहत के लिए बहुत लाभकारी पाया गया है।


जॉन्स हॉप्किंस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि नियमित रूप से अगर आप दो-तीन कप कॉफी पीते हैं तो इससे लिवर की बीमारियों का तो खतरा कम होता ही है, साथ ही इसे मस्तिष्क से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों से बचाने वाला भी पाया गया है। कॉफी में कई प्रकार के प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जिनसे गंभीर क्रोनिक बीमारियों के जोखिम से भी बचाव किया जा सकता है। 

कॉफी और इससे होने वाले लाभ

आमतौर पर कॉफी को उत्तेजक के रूप में जाना जाता है, कॉफी आपके ऊर्जा को बढ़ाने और तरोताजा महसूस करने में मदद करती है। हालांकि इसके लाभ यहीं तक सीमित नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि नियमित तौर पर अगर इसका सेवन किया जाए तो टाइप-2 डायबिटीज और डिप्रेशन के जोखिमों को कम करने से लेकर, वजन को नियंत्रित रखने, लिवर की बीमारियों से बचाने और कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने में भी इससे लाभ पाया जा सकता है।

लिवर की गंभीर बीमारियों से बचाव करने में भी इसके नियमित सेवन को फायदेमंद पाया गया है।

पेट और लिवर के लिए फायदेमंद

अध्ययनों से पता चलता है कि कॉफी, लिवर को स्वस्थ बनाने और इससे संबंधित बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती है। एक अध्ययन में पाया गया कि प्रतिदिन दो-तीन कप कॉफी पीने से लिवर की बीमारी वाले लोगों में लिवर स्केयर्स और लिवर कैंसर दोनों का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा कॉफी में मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स क्रोनिक लिवर रोगियों में असमय मृत्यु के खतरे को कम करने में भी फायदेमंद है। पेट को स्वस्थ रखने और इससे संबंधित बीमारियों से बचाव के लिए कॉफी पीना बहुत फायदेमंद है।

डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद

कुछ शोध बताते हैं कि नियमित रूप से कॉफी का सेवन आपमें टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने में भी मददगार है। 30 अध्ययनों की एक समीक्षा में शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिदिन 2 कप कॉफी पीने से इस प्रकार के मधुमेह होने का खतरा 6% तक कम हो सकता है। कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स को इंसुलिन संवेदनशीलता को ठीक रखने में भी फायदेमंद पाया गया है। हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि अधिक मात्रा में इसका सेवन शरीर के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक भी हो सकता है। 


अल्जाइमर रोग का कम हो सकता है जोखिम

अध्ययनों से पता चला है कि कॉफी पीने वाली महिलाओं में कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, मधुमेह और किडनी की बीमारियों के कारण मरने की आशंका कम होती है। कॉफी, अल्जाइमर रोग और पार्किंसंस रोग सहित कई अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों से बचाने में भी मदद कर सकती है। 13 अध्ययनों की एक समीक्षा में पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से कैफीन का संयमित मात्रा में सेवन करते थे, उनमें पार्किंसंस रोग विकसित होने का जोखिम काफी कम था।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Tue, 01 Oct 2024 10:37 AM IST 

Wednesday, 25 September 2024

World Lung Day 2024: क्यों होता है फेफड़ों में संक्रमण, बच्चे भी हो सकते हैं शिकार? विशेषज्ञ से जानिए सबकुछ

 


Lung Diseases and Infections:  फेफड़ों से संबंधित बीमारियां पिछले दो दशकों में काफी बढ़ गई हैं। कई प्रकार के वायरस, बैक्टीरिया और फंगस के कारण फेफड़ों में संक्रमण का खतरा भी अधिक देखा जा रहा है, गंभीर स्थितियों में इसके जानलेवा दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। सामान्य सर्दी और अन्य ऊपरी श्वसन संबंधी बीमारियों के कारण फेफड़ों में संक्रमण हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, किसी भी प्रकार के संक्रमण पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए, फेफड़ों के मामले में और अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।


डॉक्टर्स बताते हैं, फेफड़ों के अधिकांश संक्रमण एंटीबायोटिक या एंटीवायरल से ठीक हो सकते हैं, हालांकि कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती होने और गंभीर जटिलताओं का भी जोखिम रहता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी भी उम्र के लोग फेफड़ों में संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। 

फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे संबंधित बीमारियों की रोकथाम को लेकर हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग्स डे यानी विश्व फेफड़ा दिवस मनाया जाता है। आइए फेफड़ों में संक्रमण के कारण और इससे बचाव के बारे में समझते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

अमर उजाला से बातचीत में पुणे में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ अमित प्रकाश बताते हैं, फेफड़ों का संक्रमण, चाहे वह किसी भी प्रकार या कारण से हो, आपके लिए जटिलताएं बढ़ा सकता है। इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान और उचित इलाज जरूरी है। 
  • फेफड़ों के संक्रमण में बहुत ज्यादा या लंबे समय तक खांसी होना सबसे आम संकेत माना जाता है। 
  • इसमें बलगम भी आ सकता है। संक्रमण से ऊतकों की रक्षा करने और संक्रमण को रोकने में मदद के लिए हमारा शरीर बलगम का लेयर बनाता है। बलगम बनने का मतलब ये है कि आप संक्रमण या एलर्जी के शिकार हो गए हैं।
  • सांस छोड़ते समय घरघराहट होना, सांस लेते समय आवाज आना भी फेफड़ों की समस्या का संकेत माना जाता है।

फ्लू के कारण फेफड़ों में संक्रमण

मौसमी इन्फ्लूएंजा या फ्लू फेफड़ों के सबसे आम संक्रमणों में से एक है। इन्फ्लूएंजा वायरस छींकने-खांसने से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है। मौसम बदलने के साथ ये संक्रमण काफी अधिक हो जाता है। इन्फ्लूएंजा वायरस को निमोनिया संक्रमण का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है, जो फेफड़ों को प्रभावित करने वाली समस्या है।

फ्लू से गले में खराश, नाक बहने, बुखार, ठंड लगने, शरीर में दर्द, खांसी और थकान जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। ये संक्रमण अगर ठीक नहीं हो रहा है तो सावधान हो जाना चाहिए। 
बच्चों और बुजुर्गों निमोनिया का खतरा

निमोनिया, बच्चों और बुजुर्गों में फेफड़ों का सबसे आम संक्रमण है। ये एक या दोनों फेफड़ों में मौजूद वायु की थैलियों में सूजन पैदा करता है। वायु थैलियों में तरल पदार्थ या मवाद भर जाता है, जिससे कफ या मवाद के साथ खांसी, बुखार, ठंड लगने और सांस लेने में कठिनाई जैसी दिक्क्तें होती हैं। बैक्टीरिया, वायरस सहित कई तरह के रोगजनक निमोनिया का कारण बन सकते हैं।

निमोनिया एक गंभीर बीमारी मानी जाती है। वैसे तो कुछ दवाओं के साथ घर पर आसानी से ही इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन कुछ लोगों में यह जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए समय पर सही डॉक्टरी सलाह जरूरी है।
ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण

ट्यूबरक्लोसिस या टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नाम के बैक्टीरिया की वजह से होती है। यह फेफड़ों के लिए गंभीर संक्रमण में से एक हैं।  टीबी रोग वाले लोगों की खांसी या छींक से निकलने वाले बूंदों के माध्यम से आसपास के अन्य लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है। लंबे समय से खांसी और खांसी में बलगम के साथ खून आना टीबी का संकेत होता है। ये संक्रमण शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है।

भारत साल 2025 तक तपेदिक (टीबी) को खत्म करने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा है। 

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Wed, 25 Sep 2024 11:13 AM
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।