Lung Diseases and Infections: फेफड़ों से संबंधित बीमारियां पिछले दो दशकों में काफी बढ़ गई हैं। कई प्रकार के वायरस, बैक्टीरिया और फंगस के कारण फेफड़ों में संक्रमण का खतरा भी अधिक देखा जा रहा है, गंभीर स्थितियों में इसके जानलेवा दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। सामान्य सर्दी और अन्य ऊपरी श्वसन संबंधी बीमारियों के कारण फेफड़ों में संक्रमण हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, किसी भी प्रकार के संक्रमण पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए, फेफड़ों के मामले में और अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
डॉक्टर्स बताते हैं, फेफड़ों के अधिकांश संक्रमण एंटीबायोटिक या एंटीवायरल से ठीक हो सकते हैं, हालांकि कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती होने और गंभीर जटिलताओं का भी जोखिम रहता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी भी उम्र के लोग फेफड़ों में संक्रमण का शिकार हो सकते हैं।
फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे संबंधित बीमारियों की रोकथाम को लेकर हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग्स डे यानी विश्व फेफड़ा दिवस मनाया जाता है। आइए फेफड़ों में संक्रमण के कारण और इससे बचाव के बारे में समझते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अमर उजाला से बातचीत में पुणे में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ अमित प्रकाश बताते हैं, फेफड़ों का संक्रमण, चाहे वह किसी भी प्रकार या कारण से हो, आपके लिए जटिलताएं बढ़ा सकता है। इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान और उचित इलाज जरूरी है।
अमर उजाला से बातचीत में पुणे में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ अमित प्रकाश बताते हैं, फेफड़ों का संक्रमण, चाहे वह किसी भी प्रकार या कारण से हो, आपके लिए जटिलताएं बढ़ा सकता है। इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान और उचित इलाज जरूरी है।
- फेफड़ों के संक्रमण में बहुत ज्यादा या लंबे समय तक खांसी होना सबसे आम संकेत माना जाता है।
- इसमें बलगम भी आ सकता है। संक्रमण से ऊतकों की रक्षा करने और संक्रमण को रोकने में मदद के लिए हमारा शरीर बलगम का लेयर बनाता है। बलगम बनने का मतलब ये है कि आप संक्रमण या एलर्जी के शिकार हो गए हैं।
- सांस छोड़ते समय घरघराहट होना, सांस लेते समय आवाज आना भी फेफड़ों की समस्या का संकेत माना जाता है।
मौसमी इन्फ्लूएंजा या फ्लू फेफड़ों के सबसे आम संक्रमणों में से एक है। इन्फ्लूएंजा वायरस छींकने-खांसने से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है। मौसम बदलने के साथ ये संक्रमण काफी अधिक हो जाता है। इन्फ्लूएंजा वायरस को निमोनिया संक्रमण का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है, जो फेफड़ों को प्रभावित करने वाली समस्या है।
फ्लू से गले में खराश, नाक बहने, बुखार, ठंड लगने, शरीर में दर्द, खांसी और थकान जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। ये संक्रमण अगर ठीक नहीं हो रहा है तो सावधान हो जाना चाहिए।
बच्चों और बुजुर्गों निमोनिया का खतरा
निमोनिया, बच्चों और बुजुर्गों में फेफड़ों का सबसे आम संक्रमण है। ये एक या दोनों फेफड़ों में मौजूद वायु की थैलियों में सूजन पैदा करता है। वायु थैलियों में तरल पदार्थ या मवाद भर जाता है, जिससे कफ या मवाद के साथ खांसी, बुखार, ठंड लगने और सांस लेने में कठिनाई जैसी दिक्क्तें होती हैं। बैक्टीरिया, वायरस सहित कई तरह के रोगजनक निमोनिया का कारण बन सकते हैं।
निमोनिया एक गंभीर बीमारी मानी जाती है। वैसे तो कुछ दवाओं के साथ घर पर आसानी से ही इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन कुछ लोगों में यह जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए समय पर सही डॉक्टरी सलाह जरूरी है।
निमोनिया, बच्चों और बुजुर्गों में फेफड़ों का सबसे आम संक्रमण है। ये एक या दोनों फेफड़ों में मौजूद वायु की थैलियों में सूजन पैदा करता है। वायु थैलियों में तरल पदार्थ या मवाद भर जाता है, जिससे कफ या मवाद के साथ खांसी, बुखार, ठंड लगने और सांस लेने में कठिनाई जैसी दिक्क्तें होती हैं। बैक्टीरिया, वायरस सहित कई तरह के रोगजनक निमोनिया का कारण बन सकते हैं।
निमोनिया एक गंभीर बीमारी मानी जाती है। वैसे तो कुछ दवाओं के साथ घर पर आसानी से ही इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन कुछ लोगों में यह जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए समय पर सही डॉक्टरी सलाह जरूरी है।
ट्यूबरक्लोसिस संक्रमणट्यूबरक्लोसिस या टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नाम के बैक्टीरिया की वजह से होती है। यह फेफड़ों के लिए गंभीर संक्रमण में से एक हैं। टीबी रोग वाले लोगों की खांसी या छींक से निकलने वाले बूंदों के माध्यम से आसपास के अन्य लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है। लंबे समय से खांसी और खांसी में बलगम के साथ खून आना टीबी का संकेत होता है। ये संक्रमण शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है।
भारत साल 2025 तक तपेदिक (टीबी) को खत्म करने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा है।
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Wed, 25 Sep 2024 11:13 AM
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