द लैंसेट ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित हालिया अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया में भारत, मुंह के कैंसर के मामले में (तंबाकू और सुपारी के कारण, धुंआरहित तंबाकू उत्पाद) सबसे ऊपर है। साल 2022 में वैश्विक स्तर पर मुंह के कैंसर के 1.20 लाख से अधिक मामले सामने आए थे जिसमें से 83,400 मामले भारत से ही थे।
अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि मुंह के कैंसर के ज्यादातर मामले तंबाकू चबाने से होते हैं। हर साल सामने आने वाले ओरल कैंसर के 30 प्रतिशत से अधिक मामले धुआं रहित तम्बाकू के सेवन के कारण रिपोर्ट किए जाते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि ओरल कैंसर बड़े खतरे के रूप में बढ़ता देखा जा रहा है, इसके कारण साल दर साल स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ भी बढ़ गया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
इस अध्ययन के सह-लेखकों में से एक डॉ पंकज चतुर्वेदी कहते हैं, तंबाकू-गुटखा और सुपारी मुंह के कैंसर के अलावा सबम्यूकस फाइब्रोसिस नामक बीमारी का भी खतरा बढ़ा देते हैं। दुर्भाग्य से यह हमारी युवा आबादी को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बीमारी है जो परिवारों को भावनात्मक और आर्थिक रूप से बर्बाद कर रही है।
हमें धुंआ रहित तंबाकू और सुपारी पर नियंत्रण के लिए मौजूदा कानूनों और नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है। तंबाकू किसी भी प्रकार में हो, इससे सेहत को गंभीर क्षति होने का खतरा होता है।
धूम्ररहित तम्बाकू बड़ा खतरा
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ये और भी चिंताजनक है कि तंबाकू उद्योग से जुड़ी कंपनियां सेलिब्रिटीज को विज्ञापनों के लिए नियुक्त करती हैं। इन विज्ञापनों को आम जनता पर सीधा असर होता है।
अनुमान है कि विश्वभर में 300 मिलियन (30 करोड़) लोग तम्बाकू और 600 मिलियन (60 करोड़) लोग सुपारी का सेवन करते हैं। एशियाई देशों में इसका जोखिम और भी अधिक है। मुंह के कैंसर के बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए इस दिशा में बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
लक्षणों की पहचान और जांच जरूरी
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कारकों में तंबाकू सेवन (सिगरेट, सिगार,चबाने वाला तंबाकू और सूंघने वाली वस्तुएं) प्रमुख हैं। अत्यधिक शराब का सेवन, ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) नामक यौन संचारित वायरस के कारण भी ये कैंसर हो सकता है।
डॉक्टर कहते हैं, यदि आपके होंठ या मुंह में कोई घाव हो जो ठीक न हो रहा हो, मुंह के अंदर सफेद या लाल धब्बा हो, दांत कमजोर होते जा रहे हों, मुंह और कान में अक्सर दर्द बना रहता हो या निगलने में कठिनाई होती हो तो इस बारे में तुरंत चिकित्सक की सलाह ले लें। समय पर कैंसर का निदान हो जाने से इसका इलाज और जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
स्रोत और संदर्भ
Global burden of oral cancer in 2022 attributable to smokeless tobacco and areca nut consumption: a population attributable fraction analysis
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