रोशनी का त्योहार कब प्रदूषण के त्योहार में तब्दील हो गया, पता ही नहीं चला! दिवाली की खुशियों के बीच सेहत का ध्यान कैसे रखें, बता रही हैं स्वाति गौड़
तो दिवाली का त्योहार रोशनी का प्रतीक है, इसलिए लोग इस अवसर पर खूब दीये जलाते हैं और जमकर लाइटिंग वगैरह भी करते हैं, लेकिन खूब सारी रोशनी के साथ-साथ दिवाली पर कानफोड़ू पटाखे भी भारी मात्रा में छोड़े जाते हैं, जिससे फैलने वाले प्रदूषण से हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ आस-पास के पर्यावरण पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है।
हालांकि दिवाली पर प्रदूषण की मार से बचने के लिए इस साल भी सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश जारी हुए हैं, जिसमें पटाखे छोड़ने के समय आदि के संबंध में कई बातें कही गयी हैं। लेकिन इन दिनों मौसम के बदलने और दिवाली के कारण पटाखों के साथ-साथ अन्य कई चीजों से पैदा होने वाले दमघोंटू प्रदूषण से बचने के लिए आपको अपने स्तर पर भी पुख्ता तैयारी करने की जरूरत है। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों व सांस की बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को बहुत अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता है।
बच्चों का ऐसे रखें ध्यान
दिवाली पर छोड़े जाने वाले कुछ पटाखे बहुत ज्यादा तेज आवाज के होते हैं, जो छोटे बच्चों की सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए कोशिश करें कि बच्चे को घर के अंदर ऐसे किसी स्थान पर रखें, जहां तेज पटाखों की आवाज कम से कम आये। कानों में रुई लगा देने से भी तेज आवाज से बचा जा सकता है। इसके अलावा पटाखों से निकलने वाला हानिकारक धुआं बच्चों के फेफड़ों को बहुत ज्यादा
नुकसान पहुंचा सकता है, जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसलिए घर के खिड़की-दरवाजे अच्छी तरह से बंद रखें, ताकि हानिकारक और जहरीला धुआं घर में प्रवेश न कर पाये।
घर में यदि बुजुर्ग हों तो
घर में बुजुर्ग व्यक्ति के होने पर कोशिश करें कि बहुत ज्यादा तेज आवाज वाले पटाखे न छोड़ें। न ही बुजुर्ग व्यक्ति खुद से ऐसे पटाखे छोड़ें, जिन्हें छोड़ने के तुरंत बाद तेजी से दूर जाना पड़ता है। उदाहरण के लिए रॉकेट, क्योंकि यह तेजी से हवा में जाता है और इससे बहुत हानिकारक धुआं भी निकलता है। अगर बच्चों के साथ पटाखे छोड़ रहे हैं, तो हानिकारक धुएं से बचने के लिए खुद मास्क जरूर पहनें।
सांस के मरीज बरतें विशेष सावधानी
जिन लोगों को सांस लेने में वैसे भी दिक्कत रहती है, उन्हें सलाह है कि वह दिवाली से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर मिल लें। डॉक्टर से दिवाली से पहले और बाद में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जरूरी दवाइयां लेना न भूलें। दिवाली वाले दिन घर से बाहर निकलने से परहेज करें। यदि धुएं की वजह से छाती में जकड़न व सांस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर द्वारा बताया गया इनहेलर लें या जरूरत पड़ने पर नेबुलाइजर जरूर लें। ऐसे में भाप लेने से भी थोड़ी-बहुत राहत मिल सकती है। लेकिन इसके बावजूद आराम न मिले और सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, तो तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल में चले जाएं।
दिवाली के बाद भी रहता है प्रदूषण पटाखों से निकलने वाला जहरीला धुआं और गैस वातारण में लंबे समय तक बने रहते हैं और अपना दुष्प्रभाव छोड़ते रहते हैं। इसलिए दिवाली बाद भी आप प्रदूषण के खतरों के प्रति सचेत रहें। कोशिश करें कि दिवाली की अगली सुबह या कुछ दिनों बाद तक तड़के घर से न निकलें। यदि निकलना भी पड़े तो कोशिश करें कि दोपहर के बाद ही घर से निकलें।
दरअसल, दिवाली के बाद वातावरण में जो धुएं की मोटी परत जम जाती है उसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए बाद में भी मास्क पहनें और ज्यादा दिक्कत होने पर गीला रूमाल नाक पर बांधें।
(डॉ. विजय दत्ता, सीनियर कंसल्टेंट, रेस्पाइरेटरी मेडिसिन, इंडियन स्पायनल इंजरी सेंटर, वसंत कुंज, नई दिल्ली से बातचीत पर आधारित)
तो दिवाली का त्योहार रोशनी का प्रतीक है, इसलिए लोग इस अवसर पर खूब दीये जलाते हैं और जमकर लाइटिंग वगैरह भी करते हैं, लेकिन खूब सारी रोशनी के साथ-साथ दिवाली पर कानफोड़ू पटाखे भी भारी मात्रा में छोड़े जाते हैं, जिससे फैलने वाले प्रदूषण से हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ आस-पास के पर्यावरण पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है।
हालांकि दिवाली पर प्रदूषण की मार से बचने के लिए इस साल भी सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश जारी हुए हैं, जिसमें पटाखे छोड़ने के समय आदि के संबंध में कई बातें कही गयी हैं। लेकिन इन दिनों मौसम के बदलने और दिवाली के कारण पटाखों के साथ-साथ अन्य कई चीजों से पैदा होने वाले दमघोंटू प्रदूषण से बचने के लिए आपको अपने स्तर पर भी पुख्ता तैयारी करने की जरूरत है। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों व सांस की बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को बहुत अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता है।
बच्चों का ऐसे रखें ध्यान
दिवाली पर छोड़े जाने वाले कुछ पटाखे बहुत ज्यादा तेज आवाज के होते हैं, जो छोटे बच्चों की सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए कोशिश करें कि बच्चे को घर के अंदर ऐसे किसी स्थान पर रखें, जहां तेज पटाखों की आवाज कम से कम आये। कानों में रुई लगा देने से भी तेज आवाज से बचा जा सकता है। इसके अलावा पटाखों से निकलने वाला हानिकारक धुआं बच्चों के फेफड़ों को बहुत ज्यादा
नुकसान पहुंचा सकता है, जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसलिए घर के खिड़की-दरवाजे अच्छी तरह से बंद रखें, ताकि हानिकारक और जहरीला धुआं घर में प्रवेश न कर पाये।
घर में यदि बुजुर्ग हों तो
घर में बुजुर्ग व्यक्ति के होने पर कोशिश करें कि बहुत ज्यादा तेज आवाज वाले पटाखे न छोड़ें। न ही बुजुर्ग व्यक्ति खुद से ऐसे पटाखे छोड़ें, जिन्हें छोड़ने के तुरंत बाद तेजी से दूर जाना पड़ता है। उदाहरण के लिए रॉकेट, क्योंकि यह तेजी से हवा में जाता है और इससे बहुत हानिकारक धुआं भी निकलता है। अगर बच्चों के साथ पटाखे छोड़ रहे हैं, तो हानिकारक धुएं से बचने के लिए खुद मास्क जरूर पहनें।
सांस के मरीज बरतें विशेष सावधानी
जिन लोगों को सांस लेने में वैसे भी दिक्कत रहती है, उन्हें सलाह है कि वह दिवाली से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर मिल लें। डॉक्टर से दिवाली से पहले और बाद में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जरूरी दवाइयां लेना न भूलें। दिवाली वाले दिन घर से बाहर निकलने से परहेज करें। यदि धुएं की वजह से छाती में जकड़न व सांस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर द्वारा बताया गया इनहेलर लें या जरूरत पड़ने पर नेबुलाइजर जरूर लें। ऐसे में भाप लेने से भी थोड़ी-बहुत राहत मिल सकती है। लेकिन इसके बावजूद आराम न मिले और सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, तो तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल में चले जाएं।
दिवाली के बाद भी रहता है प्रदूषण पटाखों से निकलने वाला जहरीला धुआं और गैस वातारण में लंबे समय तक बने रहते हैं और अपना दुष्प्रभाव छोड़ते रहते हैं। इसलिए दिवाली बाद भी आप प्रदूषण के खतरों के प्रति सचेत रहें। कोशिश करें कि दिवाली की अगली सुबह या कुछ दिनों बाद तक तड़के घर से न निकलें। यदि निकलना भी पड़े तो कोशिश करें कि दोपहर के बाद ही घर से निकलें।
दरअसल, दिवाली के बाद वातावरण में जो धुएं की मोटी परत जम जाती है उसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए बाद में भी मास्क पहनें और ज्यादा दिक्कत होने पर गीला रूमाल नाक पर बांधें।
(डॉ. विजय दत्ता, सीनियर कंसल्टेंट, रेस्पाइरेटरी मेडिसिन, इंडियन स्पायनल इंजरी सेंटर, वसंत कुंज, नई दिल्ली से बातचीत पर आधारित)
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