Friday, 20 September 2024

Curd And Pomegranate: मीठे दही में अनार के दाने मिलाने पर फायदा होगा या नुकसान? यहां है जवाब



 Curd With Pomegranate : दही और अनार के दाने पोषक तत्वों से भरपूर हैं. दोनों ही शरीर के लिए जबरदस्त तरीके से फायदेमंद हैं. दही में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो शरीर के एनर्जी लेवल को बनाए रखता है. इसके अलावा इसमें कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6 और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्व भी खूब मिलते हैं.

वहीं, अनारदाना खून बढ़ाने का काम करता है. इससे भूख बढ़ती है, आंतों का सूजन खत्म होता है, त्वचा का रुखापन और गठिया का दर्द भी दूर हो जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि मीठी दही में अनार के दाने मिलाकर खाने फायदा होगा या नुकसान. यहां जानिए...

दही और अनार के दानों के फायदे या नुकसान

फ्रेश अनार के दानों को खाने के लिए उसे फ्रूट सलाद, दही, ओट्स चाट, जूस के साथ खा सकते हैं. इसके कई फायदे होते हैं. दही और अनार के दानों को मिलाकर खाने से शरीर को फायदा होता है. सुबह ब्रेकफास्ट में इन दोनों को साथ खाने से शरीर दिनभर एनर्जेटिक बना रहता है. इससे कई अन्य फायदे भी हैं.

दही और अनार के दाने खाने से फायदे

1. दही और अनार के दाने विटामिन सी से भरपूर होते हैं, जो सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद हैं. दोनों इम्यूनिटी बूस्ट करते हैं और हर मौसम में इंफेक्शन बचाते हैं. दोनों में पोटेशियम, मैग्निशियम, कैल्शियम और फोलेट भरपूर पाए जाते हैं, जो हार्ट की हेल्थ के लिए बेहद जरूरी हैं.

2. मीठी दही और अनार दोनों में प्रोटीन खूब पाया जाता है, जो हड्डियों को सेहतमंद रखता है. दोनों को मिलाकर खाने से मांसपेशियों में ताकत आ जाती है. ये ब्रेन बूस्टर का भी काम करते हैं. दिनभर शरीर को हेल्दी बनाने में मदद करते हैं. ब्रेकफास्ट में दोनों को साथ खाने से प्रोडक्टिविटी बढ़ती है.

3. दही और अनार के दाने शरीर का खून बढ़ाते हैं. दोनों रेड ब्लड सेल्स को बढ़ावा देने में मदद करते हैं. अगर किसी को हमेशा थकान और कमजोरी रहती है तो उन्हें ब्रेकफास्ट में इन दोनों चीजों को खाना चाहिए. उनकी समस्या झटपट दूर हो जाएगी.

4. दही और अनार से त्वचा को अंदर से मॉइस्चराइज़ेशन मिलता है और त्वचा ग्लोइंग होती है. 

5..दही और अनार का रायता पेट की जलन से आराम दिलाता है.

6. दही और अनार का रायता दिल के मरीज़ों के लिए भी फ़ायदेमंद होता है. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Wednesday, 18 September 2024

थायरॉइड की समस्या से हैं परेशान? तो रोजाना इन चार चीजों के सेवन से मिलेगा फायदा

 हम कैसा खाना खा रहे हैं? हमारा खाना हेल्दी है या नहीं? हमारे खाने में पोषक तत्व हैं या नहीं? हम समय पर खाना खा रहे हैं या नहीं? ऐसी नजाने कितनी बातें हमारे खानपान के लिए बेहद जरूरी हैं, क्योंकि अगर हमें बीमारियों से बचे रहना है तो एक हेल्दी डाइट का होना बेहद जरूरी है। हमारा पौष्टिक आहार हमें स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने में मदद करता है। दरअसल, हमारे आसपास कई ऐसी बीमारियां मौजूद हैं जो पलक झपकते ही हमें अपना शिकार बना लेती हैं। ऐसे में फिर अस्पताल के चक्कर और कई दवाओं का सेवन करना पड़ता है। वहीं, हम चाहें तो अपने खानपान से कई चीजों पर नियंत्रण रख सकते हैं। जैसे- थायरॉइड, क्योंकि कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका सेवन किया जाए, तो हमारा थायरॉइड कंट्रोल होने में मदद मिल सकती है। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में।

एंटीऑक्सीडेंट से भरी सब्जियां और फल
  • हमें ऐसे फलों और सब्जियों का जरूर सेवन करना चाहिए, जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। इनमें टमाटर, शिमला मिर्च और ब्लूबेरी जैसी चीजें शामिल हैं। इनके सेवन से थायरॉइड की ग्रंथि को काफी लाभ पहुंच सकता है।
    कम आयोडीन वाली चीजें
    • आप उन चीजों का सेवन कर सकते हैं, जिनमें आयोडीन कम होता है क्योंकि ये थायरॉइड हार्मोन को कम करने में मदद करता है। इसके लिए आप बिना आयोडीन वाला नमक, कॉफी, नट-बटर, घर का बना ब्रेड, आलू, शहद, वाइट एग जैसी चीजों का सेवन कर सकते है।
      टायरोसिन
      • टायरोसिन अमीनो एसिड का उपयोग थायरॉइड ग्रंथि द्वारा टी3 और टी4 के उत्पादन के लिए किया जाता है। इसलिए आप डेयरी उत्पाद, फलियां और मीट जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं। इनसे आपको थायरॉइड मे काफी लाभ मिल सकता है।गोभी
      aaj ka health tips Eat these four foods to control thyroid
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      • वैसे तो हम कई तरह की सब्जियों का सेवन करते हैं। लेकिन आप गोभी का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि ये थायरॉइड को बढ़ने से रोकने में मदद करती है। इसके लिए आप ब्रोकली, कसावा, गोभी, पत्तागोभी, सरसों, शलजम, बांस की शाखा बोक टी जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं।

      नोट: प्रिया पांडेय योग्य और अनुभवी डायटिशियन (आहार विशेषज्ञ) हैं। उन्होंने कानपुर के सी.एस.जे.एम. विश्वविद्यालय से मानव पोषण में बी.एस.सी. किया है। उन्होंने कानपुर के आभा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आहार विशेषज्ञ के रूप में काम किया है। उन्होंने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में पोषण व्याख्यान के विषय के प्रतिनिधि के रूप में भी भाग लिया है। उनका इस क्षेत्र में 8 वर्ष का लंबा अनुभव है। 

      अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

Kidney Disease: किडनी की बीमारी का बढ़ रहा है खतरा, दिल्ली के पानी में है हद से ज्यादा नमक

 

report reveals that over 25 percent of water samples in Delhi have high salt content cause kidney disease Kidney Disease: किडनी की बीमारी का बढ़ रहा है खतरा, दिल्ली के पानी में है हद से ज्यादा नमक

दिल्ली के पानी में नमक की मात्रा काफी ज्यादा मिलती है. हर 4 में से 1 पानी के सैंपल में नमक की मात्रा काफी ज्यादा मिली है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के 25% से ज्यादा पानी में नमक काफी ज्यादा मात्रा में है. यह पानी इंसान के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. 

इस रिपोर्ट में दिल्ली से आगे राजस्थान है

देश की राजधानी दिल्ली की पानी का यह हाल काफी ज्यादा समस्या का विषय है. 'सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी' (CGWA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 25 प्रतिशत से ज्यादा पानी के सैंपल में नमक की मात्रा मिली है. इस मामले में दिल्ली से आगे राजस्थान है. वहां के पानी में 30% पानी के सैंपल में नमक मिले हैं. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि पानी में नमक की मात्रा काफी ज्यादा जो इंसान के पीने लायक पानी नहीं है. 

दिल्ली में 95 जगहों से लिया गया पानी का सैंपल

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने CGWA की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022-23 में दिल्ली के 95 जगहों से पानी की सैंपल लिए गए थे. इनमें से 24 सैंपल में EC 3,000 माइक्रो सीमेंस प्रति सेंटीमीटर से ज्यादा मिला है. EC का मतलब है इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी जो बताता है कि पानी में कितना नमक घुला हुआ है. नई दिल्ली, उत्तर, उत्तर पश्चिम, दक्षिण पश्चिम और पश्चिम दिल्ली से इकट्ठा किए गए थे.

सबसे ज्यादा कहां खारा पानी?

सबसे ज्यादा EC वाले इलाके हैं रोहिणी का बरवाला (9,623 यूनिट), पीतमपुरा का संदेश विहार (8,679 यूनिट) और टैगोर गार्डन (7,417 यूनिट)  शामिल है. नजफगढ़ टाउन, सुल्तानपुर दाबास, छावला, अलीपुर गढ़ी, हिरन कुदना गांव और सिंघू गांव में भी EC का लेवल काफी ज़्यादा बढ़ा हुआ पाया गया है.

पानी में घुले नमक का कैसे लगाया जाता है पता?

रिपोर्ट के मुताबिक EC पानी में घुले हुए नमक का पता लगाया जाता है. यह पता लगाने का आसान और तेज तरीका है. EC का काम है पानी में घुले ठोस पदार्थ (टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स - TDS)  से जुड़ा हुआ है. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मुताबिक पानी में TDS की मात्रा 500 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. यह EC के लगभग 750 माइक्रो सीमेंस प्रति सेंटीमीटर के बराबर है.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

Saturday, 14 September 2024

Stress is good for sperm. A new study says so

 

The researchers noticed changes in small particles which aid in sperm development after the stress had passed. (Photo: Getty Images)

In Short

Sperm quality and fertility have dropped possibly due to rising environmental stress

A study suggests better sperm movement after stress has passed, not during

Researchers noted that the stress-induced adjustments help sperm movement

Stress has a great impact on our reproductive health. High levels of stress that are chronic can have adverse effects on our sexual health as well. However, the latest study reveals that there is better sperm movement after a stressful event, not during.

The new study from the University of Colorado Anschutz Medical Campus sheds light on how stress affects reproduction and could help improve foetal development outcomes.

Over the past 50 years, sperm quality and fertility have dropped, possibly due to rising environmental stress. But researchers still don’t fully understand how these changes affect sperm.

the study reveals that stress impacts sperm motility, or its ability to move through the female reproductive system to fertilise an egg.

Changes in small particles called extracellular vesicles (EVs), which aid in sperm development, were noticed after the stress had passed.

These changes occurred after the stressor had passed, not during the stress experience, the researchers noted.

"Our research shows that sperm motility significantly improves after stress, which might help boost birth rates after stressful periods, like during the Covid pandemic," explained Tracy Bale, the study's lead author.


This effect was seen in both human and animal studies, suggesting a broader connection across species.


Dr Nickole Moon, the study's first author, compared the process to a car running more efficiently with a little extra fuel.


She noted that the stress-induced adjustments help sperm improve energy production and movement.


"Imagine you have a car that's struggling to get up a steep hill. When the engine is stressed, the car becomes less efficient. However, with a little more gas, you can boost the overall performance for a smoother drive. Just as your car becomes more efficient under stress, with the right adjustments, cells improve their energy production and movement when stress-induced factors are present," said Dr Moon.

While the study focused on males, researchers are also exploring how stress impacts both partners and foetal development, particularly the brain.


Dr Neill Epperson, a co-author, emphasised that understanding how stress affects fertility and passes through generations is key to advancing reproductive health.


The research team is continuing studies to explore how stress affects sperm and fertilisation, with plans for further trials to deepen their understanding of these mechanisms.



Friday, 13 September 2024

Vitamin D Deficiency: विटामिन-डी की कमी मचा सकती है शरीर में हड़कंप, दर्द और अकड़न से हो जाएगा हाल बेहाल


 

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। विटामिन-डी, जिसे सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है, हमारे शरीर के लिए एक बेहद जरूरी पोषक तत्व है। यह हमारी हड्डियों, इम्यून सिस्टम और मूड को बेहतर बनाए रखने के साथ-साथ और भी कई चीजों के लिए जरूरी होता है। हालांकि, अक्सर लोगों में इस विटामिन की कमी (Vitamin D Deficiency) रहती है।

इसके कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें कमजोर हड्डियां, डिप्रेशन और थायरॉइड की समस्या भी हो सकती है। इसलिए इसकी कमी से बचाव करना जरूरी है। इस आर्टिकल में, हम विटामिन-डी की कमी के कुछ सामान्य लक्षणों (Vitamin D Deficiency Signs) के बारे में जानेंगे और साथ ही, ये किन वजहों से होता है (Vitamin D Deficiency Causes) इस बारे में भी जानने की कोशिश करेंगे।

  • थकान- विटामिन-डी की कमी से अक्सर थकान और कमजोरी होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि विटामिन-डी हमारे शरीर की मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है, जिससे ऊर्जा उत्पादन कम होता है।
  • हड्डियों का दर्द- विटामिन-डी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसकी कमी से हड्डियों में कमजोरी और दर्द हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि विटामिन-डी कैल्शियम के अवशोषण के लिए जरूरी है।
  • मांसपेशियों की कमजोरी- विटामिन-डी की कमी से मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द हो सकता है। इससे मांसपेशियों के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।
  • माइग्रेन- कुछ लोगों के लिए, विटामिन-डी की कमी से माइग्रेन या सिरदर्द हो सकता है।
  • मूड स्विंग्स- विटामिन-डी हमारे दिमाग के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसकी कमी से मूड स्विंग्स, चिंता और डिप्रेशन हो सकता है।
  • मुंहासे- विटामिन-डी की कमी से मुंहासे की समस्या बढ़ सकती है।
  • इन्फेक्शन- विटामिन-डी हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। लेकिन इसकी कमी से इम्युनिटी कमजोर होती है और बार-बार संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • बालों का झड़ना- विटामिन-डी बालों के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। इसकी कमी से बालों का झड़ना हो सकता है।
  • दांतों की समस्याएं- विटामिन-डी दांतों के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। इसकी कमी से दांतों की समस्याएं जैसे कैविटी और मसूड़े की बीमारी हो सकती है।

विटामिन-डी की कमी के कारण (Vitamin D Deficiency Causes)

विटामिन-डी की कमी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं-

  • धूप में कम रहना- विटामिन-डी मुख्य रूप से सूरज की रोशनी का हमारी त्वचा के संपर्क में आने से बनता है। यदि आप पर्याप्त समय धूप में नहीं बिताते हैं, तो आप में विटामिन-डी की कमी हो सकती है।
  • डाइट में विटामिन-डी की कमी- विटामिन-डी कुछ फूड आइटम्स में भी पाया जाता है, जैसे मछली, अंडे, और मशरूम। यदि आप इन फूड आइटम्स का भरपूर सेवन नहीं करते हैं, तो आपको विटामिन-डी की कमी हो सकती है।
  • मोटापा- मोटापा विटामिन-डी के अवशोषण को प्रभावित कर सकता है।
  • कुछ दवाएं- कुछ दवाएं भी विटामिन-डी के अवशोषण को कम कर सकती हैं।
  • बुढ़ापा- उम्र बढ़ने के साथ विटामिन-डी का अवशोषण कम हो सकता है।

विटामिन-डी की कमी का इलाज

  • यदि आपको विटामिन-डी की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। वो ब्लड टेस्ट करके ये पता लगा सकते हैं कि आपके आपके शरीर में विटामिन-डी का स्तर क्या है और उसके मुताबिक इलाज बता सकते हैं।
  • हालांकि, विटामिन-डी की कमी का इलाज आमतौर पर विटामिन-डी की सप्लीमेंट्स लेने से किया जाता है। आपका डॉक्टर आपके शरीर की जरूरतों के आधार पर खुराक निर्धारित कर सकते हैं। इसके साथ ही, धूप में समय बिताने और विटामिन-डी से भरपूर फूड्स खाने से भी इसकी कमी को दूर किया जा सकता है।

संजीवनी से कम नहीं इस पेड़ के पत्ते, त्वचा रोग- दर्द से लेकर डायबिटीज तक में कारगर, जानें उपयोग


 ऋषिकेश: आयुर्वेद में नीम को अत्यधिक महत्व दिया गया है. यह एक शक्तिशाली औषधि है, जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है. नीम की पत्तियां, छाल और बीज सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. यह एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुणों से संपन्न है, जिससे यह त्वचा के रोगों, जैसे एक्जिमा और पिंपल्स, के इलाज में सहायक है. खाली पेट नीम का सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है. इसके अतिरिक्त नीम का उपयोग शुगर लेवल को नियंत्रित करने और पाचन सुधारने में भी होता है.

नीम के औषधीय गुण
लोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित कायाकल्प हर्बल क्लिनिक के डॉ राजकुमार (डी. यू. एम) ने बताया कि नीम का वैज्ञानिक नाम Azadirachta indica है. नीम के फायदे अत्यंत विविध और प्रभावशाली हैं. यह एक शक्तिशाली डिटॉक्सिफायर के रूप में काम करता है, जिससे शरीर की विषाक्तता कम होती है और अंगों की कार्यक्षमता बेहतर होती है. नीम की पत्तियों में जिंक और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण मिनरल्स होते हैं, जो त्वचा के रोगों को दूर करने में सहायक हैं. इसका रस या तेल सूजन और दर्द में भी राहत प्रदान करता है. विशेषकर जोड़ों के दर्द में. इसके अलावा, नीम का उपयोग बालों को स्वस्थ और मजबूत बनाने में भी किया जाता है, क्योंकि यह स्कैल्प को साफ करता है और डैंड्रफ को कम करता है.कुल मिलाकर नीम एक सम्पूर्ण स्वास्थ्यवर्धक औषधि है.

खाली पेट नीम के पत्ते चबाने के फायदे

खाली पेट नीम के पत्ते चबाने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं. यह शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है, जिससे पाचन तंत्र साफ रहता है. नीम के पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं और संक्रमण से बचाते हैं. इसके नियमित सेवन से रक्तदाब नियंत्रित रहता है और ब्लड शुगर लेवल स्थिर होता है, जिससे डायबिटीज के रोगियों को लाभ होता है. नीम के पत्ते चबाने से त्वचा की समस्याएं भी कम होती हैं और शरीर की प्राकृतिक चमक बढ़ती है.

Hair Mask For Healthy Hair: झड़ते बालों से हैं परेशान तो इस्तेमाल करें ये घरेलू हेयर मास्क


 Hair Mask For Healthy Hair: बदलते मौसम और खराब लाइफस्टाइल का सीधा असर लोगों की त्वचा और बालों पर पड़ता है। त्वचा का ध्यान तो हममे से ज्यादातर लोग रख लेते हैं लेकिन परेशानी खड़ी होती है बालों की समस्याएं आने पर। हर किसी के लिए उसके बाल काफी अहम होते हैं, लेकिन खराब खानपान और मौसम में बदलाव की वजह से बाल तेजी से झड़ने लगते हैं।

अगर सही समय पर बालों का झड़ना न रोका जाए तो इससे आपकी परेशानी काफी ज्यादा बढ़ भी सकती है। अगर आप भी झड़ते बालों से परेशान हैं, तो यहां हम आपको एक ऐसे घरेलू हेयर मास्क के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके बालों को झड़ने से रोकेगा। इस हेयर मास्क में कई ऐसी चीजें डाली गई हैं, जो बालों को जड़ों से मजबूत बनाने में सहायक हैं। 


हेयर मास्क बनाने का सामान
  • अंडा – 1 
  • ऑलिव ऑयल - 2 चम्मच
  • शहद – 1 चम्मच
  • एलोवेरा जेल – 2 चम्मच
हेयर मास्क बनाने का तरीका



पहला स्टेप-  इस हेयर मास्क को बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में अंडा फोड़ें और उसे अच्छी तरह से फेंट लें।



दूसरा स्टेप - अंडा फेंटने के बाद इसमें जैतून का तेल मिलाएं। दोनों चीजों को एक साथ सही से मिक्स करें, ताकि इसका मिश्रण सही से तैयार हो पाए। 

तीसरा स्टेप-  शहद एक नैचुरल मॉइस्चराइजर है और स्कैल्प की नमी को बनाए रखने में मदद करता है। ऐसे में इसे अपने हेयर मास्क में सही से मिक्स करें। 

चौथा स्टेप-  सबसे आखिर में एलोवेरा जेल मिलाकर पेस्ट सही से मिक्स करें और इसे लगाने की तैयारी शुरू करें।  

ऐसे बालों में लगाएं



हेयर मास्क को ब्रश या हाथों से बालों की जड़ों और स्कैल्प पर लगाएं। ध्यान रखें कि इसे आप आसानी से बालों में 30-40 मिनट तक लगा रहने दे सकते हैं। इसके बाद हल्के शैंपू और गुनगुने पानी से बाल धो लें। मास्क लगाने के बाद बालों में तत्काल हीटिंग टूल्स का इस्तेमाल नहीं करें। 

ऐसे बालों में लगाएं


हेयर मास्क को ब्रश या हाथों से बालों की जड़ों और स्कैल्प पर लगाएं। ध्यान रखें कि इसे आप आसानी से बालों में 30-40 मिनट तक लगा रहने दे सकते हैं। इसके बाद हल्के शैंपू और गुनगुने पानी से बाल धो लें। मास्क लगाने के बाद बालों में तत्काल हीटिंग टूल्स का इस्तेमाल नहीं करें। 

डिसक्लेमर : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला इस लेख में दी गई जानकारी को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। त्वचा संबंधी किसी भी तरह की अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली