Wednesday, 13 March 2019

वायु प्रदूषण से दुनियाभर में 88 लाख लोगों की हर साल हुई मौत, स्टडी का दावा

पेरिस: यूरोप में वायु प्रदूषण से हर साल 790,000 लोगों की समय से पूर्व मौत हो गई और दुनियाभर में 88 लाख लोगों की मौत हुई.  यह संख्या हाल के आकलन से दोगुनी है. सोमवार को जारी एक अध्ययन के अनुसार, 40 से 80 प्रतिशत ये मौतें दिल का दौरा, आघात पड़ने और अन्य तरह की दिल की बीमारियों से हुई जो अभी तक धुंध से संबंधित हादसों के मुकाबले कम समझी जाती थी. शोधकर्ताओं के अनुसार, वाहनों, उद्योगों और खेतीबाड़ी के प्रदूषकों के जहरीले मिश्रण ने लोगों की जिंदगी 2.2 साल तक कम कर दी है.

जर्मनी में यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर मैन्ज के प्रोफेसर थॉमस मुंजेल ने बताया, ‘‘इसका मतलब है कि वायु प्रदूषण से एक साल में तंबाकू धूम्रपान के मुकाबले ज्यादा मौतें हुई.  विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक इसे साल 2015 में 72 लाख मौतें अधिक हुई. ’’ धूम्रपान से बचा जा सकता है लेकिन वायु प्रदूषण से नहीं.

छोटे और बड़े धूल के कणों,नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और ओजोन के मिश्रण से संज्ञानात्मक प्रदर्शन, श्रम उत्पादकता और शैक्षिक नतीजों में कमी आई. ‘यूरोपियन हार्ट’ पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन में यूरोप पर ध्यान केंद्रित किया गया लेकिन दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए भी सांख्यिकीय प्रणालियों को भी अपडेट किया गया.

शोध के मुख्य लेखक जोस लेलीवेल्ड ने बताय कि चीन में हर साल 28 लाख लोगों की मौत हुई जो मौजूदा आकलन से ढाई गुना अधिक है. 

लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से बढ़ता है डायबिटीज का खतरा, स्टडी का दावा

बीजिंग: लंबे समय तक प्रदूषित वायु में सांस लेने से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है. चीन में हाल ही में एक अध्ययन से यह बात सामने आई है.  मधुमेह से दुनियाभर में काफी आर्थिक और स्वास्थ्य बोझ बढ़ता है. विश्व भर में चीन में मधुमेह के सबसे अधिक मामले हैं. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि विकासशील देशों में वायु प्रदूषण और मधुमेह के बीच के संबंध के बारे में विरले ही जानकारी दी गई खासतौर से चीन में जहां पीएम 2.5 का स्तर अधिक है.

पीएम 2.5 या सूक्ष्म कण वायु प्रदूषक होते हैं जिनके बढ़ने पर लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है.  पीएम 2.5 कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि इससे दृश्यता कम हो जाती है. चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज फुवई होस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अमेरिका स्थित एमरॉय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर लंबे समय तक पीएम2.5 के संपर्क में रहने और 88,000 से अधिक चीनी वयस्कों से एकत्रित आंकड़ों के आधार पर मधुमेह के बीच संबंध का विश्लेषण किया.

शोध के नतीजों से पता चला कि लंबे समय तक पीएम2.5 के 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ने से मधुमेह का खतरा 15.7 प्रतिशत तक बढ़ गया. यह शोध पत्रिका एनवॉयरमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित हुआ है.

Tuesday, 12 March 2019

रोजाना नाश्ते में खाएं 50 ग्राम दलिया, कुछ दिन में ही दिखाई देगा चमत्कार

नई दिल्ली : दलिया यानी सेहत का खजाना. दलिये का सेवन आपके स्वास्थ्य को कई तरह से फायदा पहुंचाता है. अमूमन लोग दलिये का सेवन नाश्ते में करते हैं. यदि आप रोज सुबह 50 ग्राम दलिये खाते हैं तो यह आपके शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित होगा. दलिया विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होता है. इसके अलावा इसमें लो कैलोरी और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. दलिया एक ऐसा आहार है जो आपके शरीर में सभी पोषक तत्वों की मात्रा को पूरा करता है. सुबह में दलिया खाने से दिनभर के लिए जरूरी सभी तत्व पूरे हो जाते हैं. आगे पढ़िए प्रतिदिन दलिये के सेवन से होने वाले फायदे के बारे में विस्तार से.

कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करें
आजकल कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या आम है. दलिया में घुलनशील और अघुलनशील दोनों ही फाइबर पाए जाते हैं. शरीर में उच्च मात्रा में फाइबर होने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित रहती है. जिससे व्यक्ति को हृदय रोग होने की संभावना न के बराबर रहती है. एक शोध से भी साफ हो चुका है जो लोग प्रतिदिन दलिये का सेवन करते हैं, उन्हें हृदय रोग होने की आशंका न के बराबर होती है.

वजन घटाएं
भागदौड़ भरी जिंदगी और आधुनिक जीवनशैली के बीच युवाओं में वजन बढ़ने की आम समस्या है. कार्बोहाइड्रेट की उचित मात्रा वाले दलिये को सुबह के समय नाश्ते में खाने से शरीर में पूर्ण आहार पहुंचता है. जिससे आपका वजन नियंत्रित रहता है. थोड़ी सी मात्रा में ही दलिये का सेवन करने से आप पेट को भरा हुआ महसूस करते हैं.

हड्डियों को दें मजबूती
आजकल हड्डियों में कमजोरी आम समस्या है. मैग्नीशियम और कैल्शियम का खजाना होने के कारण दलिये का नियमित सेवन हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है. दलिया का नियमित सेवन करने वालों को उम्र दराज होने पर जोड़ों के दर्द की शिकायत नहीं होती. इसके अलावा दलिया खाने से पित्त की थैली में पथरी की समस्या भी दूर होती है.

डायबिटीज में असरकारक
दलिया और साबुत अनाज में मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा होती है. मैग्नीशियम लगभग 300 प्रकार के एंजाइम बनाता है, खासतौर पर ऐसे एंजाइम जो इंसुलिन के बनने में मददगार होते हैं. साथ ही ये ग्लूकोज की जरूरी मात्रा को भी ब्लड तक पहुंचाते हैं. रोजाना दलिया का सेवन करने से टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है.

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव
दलिये का सेवन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर से बचाता है. आजकल यह महिलाओं में होने वाली सबसे बड़ी समस्या बन गई है. साबुत अनाज चाहे वह दलिया हो या कुछ और उसमें फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका कम होती है. शोध से यह साफ हो चुका है कि फाइबरयुक्त अनाज से लंग, ब्रेस्ट, ओवेरियन कैंसर जैसे खतरनाक रोगों से निजात पाया जा सकता है.

हीमोग्लोबिन बढ़ाए
आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है. हीमोग्लोबिन कम होने से शरीर में कमजोरी और थकान की शिकायत आम हो जाती है. दलिया आयरन का अच्छा स्रोत है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बैलेंस करता है. इसके अलावा दलिया शरीर के तापमान और मेटाबॉलिज्म को भी सही मात्रा में बनाए रखता है.

ऊर्जा का स्रोत
दलिये का सेवन करने वाले व्यक्ति दिनभर ऊर्जावान महसूस करता है. ऐसा दलिया में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट के कारण होता है. प्रतिदिन एक कप दलिया खाकर शरीर में विटामिन बी1, बी2, मिनरल्स, मैग्नीशियम, मैग्नीज आदि की पूर्ति की जा सकती है. इसमें मौजूद न्यूट्रिीएंट्स शरीर से एंटी-ऑक्सीडेंट को बाहर निकालकर कई बीमारियों से बचाते हैं.

क्या है दलिया
दलिया एक प्रकार का साबुत अनाज होता है जो शरीर को स्वास्थ्यवर्धक बनाता है. दलिया को बनाना और खाना बेहद आसान होता है. इसे दूध या फलों के साथ बनाया जा सकता है. आप मीठा या नमकीन दलिया भी बना सकते हैं. नाश्ते में दलिये का सेवन सबसे ज्यादा फायदेमंद बताया गया है. इसे पकाने से इसके पोषक तत्वों में किसी प्रकार की कमी नहीं आती.

सेक्सुअल परफारमेंस बढ़ाने में वियाग्रा से ज्यादा असरदार है यह तेल

सेक्सुअल परफारमेंस बढ़ाने में वियाग्रा से ज्यादा असरदार है यह तेलनई दिल्ली : सेक्सुअल प्रॉब्लम (Sexual Problem) से परेशान पुरुषों को आमतौर पर वियाग्रा खाने की सलाह दी जाती है. लेकिन कई शोध से यह भी साफ हुआ है कि वियाग्रा का लगातार सेवन आपकी सेक्सुअल पॉवर को तो बढ़ाता है लेकिन लंबे समय में यह शरीर को नुकसान भी पहुंचाती है. रिसर्च से पता चला है कि इसका सेवन करने वालों को सिर दर्द, दिल से संबंधित बीमारियां और लिवर संबंधी समस्या होने की ज्यादा संभावना होती है. लेकिन पिछले दिनों ग्रीस में हुई रिसर्च से चौकाने वाले परिणाम सामने आए हैं.
रिसर्च से पता चला है कि जैतून का तेल यानी ऑलिव ऑयल आपकी सेहत के साथ ही सेक्सुअल परफारमेंस को भी बढ़ाता है. रिसर्च में दावा किया गया है कि जो लोग नियमित रूप से जैतून के तेल का सेवन करते हैं उनकी सेक्सुअल परफारमेंस अन्य लोगों से कही अच्छी होती है. ग्रीस में हुई रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि जैतून के तेल का सेवन वियाग्रा की डोज लेने से ज्यादा कारगर होता है.
ग्रीस की यूनिवर्सिटी ऑफ एथेंस के वैज्ञानिकों ने रिसर्च के आधार पर यह दावा किया कि यदि कोई पुरुष हफ्ते में 9 चम्मच ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करता है तो उसकी नपुंसकता में 40 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है. इसके अलावा भी जैतून के तेल के फायदों के बारे में आप जानते ही होंगे. इसका सेवन आपके शरीर और हड्डियों के लिए अच्छा रहता है. इतना ही नहीं इसके सेवन से खून की नलियां स्‍वस्‍थ रहती हैं और शरीर में ब्‍लड सर्कुलेशन को बेहतर बना रहता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ एथेंस में हुई इस रिसर्च में 67 साल की औसतन आयु वाले 660 लोगों को शामिल किया गया था. रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों ने अपनी डाइट में नियमित रूप से ऑलिव ऑयल को लिया, उनको दूसरों की तुलना में कम समस्‍याएं हईं. इतना ही नहीं इस उम्र में भी उनकी सेक्सुअल परफारमेंस में भी सुधार हुआ. इन लोगों ने अपनी डायट में फल, सब्जियां, मछली और सूखे मेवे के अलावा ऑलिव ऑयल को प्रमुख तौर पर शामिल किया.
शोधकर्ताओं ने पाया कि वियाग्रा जैसी दवाओं का असर कुछ ही देर के लिए होता है. ये दवाएं लंबे समय के लिए फायदेमंद नहीं हैं. इनके कई साइड इफेक्‍ट भी होते हैं. वहीं ऑलिव ऑयल का इस्‍तेमाल करना एक दूरगामी समाधान है. इतना ही ऑलिव ऑइल के इस्‍तेमाल से डायबीटीज, हाई बीपी और मोटापे जैसी बीमारियों के होने की आशंका भी कम हो जाती है.

Monday, 11 March 2019

अगर आपके बच्चे को भी है 'डिजिटल लत' तो हो जाएं सावधान, हो सकते हैं ये बड़े नुकसान...

नई दिल्ली: अगर आप भी उन माता-पिता में से हैं, जो अपने छोटे बच्चों को खाना खिलाते समय या उन्हें व्यस्त रखने के लिए उनके हाथ में स्मार्टफोन या टेबलेट थमा देते हैं, तो समय रहते सावधान हो जाइए, क्योंकि यह आदत उन्हें न केवल आलसी बना सकती है, बल्कि उनकी उम्र के शुरुआती दौर में ही उन्हें डिजिटल एडिक्शन की ओर धकेल सकती है. अमेरिकन अकेडमी ऑफ पीडियेट्रिक्स (आप) के अनुसार, 18 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए केवल 15-20 मिनट ही स्क्रीन पर बिताना स्वास्थ्य के लिहाज से सही है.
Pregnancy Food: प्रेग्नेंसी के दौरान व्रत रखने से पहले जान लें डॉक्टर की सलाह
विशेषज्ञों का मानना है कि व्यस्त शेड्यूल और छोटे बच्चों की सुरक्षा के प्रति जरूरत से अधिक सुरक्षात्मक रुख रखने वाले माता-पिता अपने छोटे बच्चों को स्मार्ट स्क्रीन में संलग्न कर रहे हैं. खिलौनों के साथ खेलने या बाहर खेलने की जगह, इतनी छोटी उम्र में उन्हें डिजिटल स्क्रीन की लत लगा देना उनके सर्वागीण विकास में बाधा डाल सकता है, उनकी आंखों की रोशनी को खराब कर सकता है और बचपन में ही उन्हें मोटापे का शिकार बना सकता है, जो फलस्वरूप आगे चलकर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कॉलेस्ट्रॉल का कारण बन सकता है.
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मैक्स हेल्थकेयर, गुरुग्राम की मनोविशेषज्ञ सौम्या मुद्गल ने बताया, "खिलौने छोटे बच्चों के दिमाग में विजुअल ज्ञान और स्पर्श का ज्ञान बढ़ाते हैं." ज्यादा स्क्रीन टाइम छोटे बच्चों को आलस्य और समस्या सुलझाने, अन्य लोगों पर ध्यान देने और समय पर सोने जैसी उनकी ज्ञानात्मक क्षमताओं को स्थायी रूप से नष्ट कर सकता है.
72 फीसदी की रफ्तार से Digital हो रहा है इंडिया, Jio की वजह से बदली तस्वीर
स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बच्चों के लिए स्क्रीन पर सामान्य समय बिताने की सही उम्र 11 साल है. लेकिन, ब्रिटेन की ऑनलाइन ट्रेड-इन आउटलेट म्यूजिक मैगपाई ने पाया कि छह साल या उससे छोटी उम्र के 25 प्रतिशत बच्चों के पास अपना खुद का मोबाइल फोन है और उनमें से करीब आधे अपने फोन पर हर सप्ताह 21 घंटे तक का समय बिताते हैं. इस दौरान वे स्क्रीन पर गेम्स खेलते हैं और वीडियोज देखते हैं.
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विशेषज्ञ माता-पिता को अपने बच्चों को स्क्रीन पर 'ओपन-एंडिड' कंटेंट में संलग्न करने की सलाह देते हैं, ताकि यह एप पर समय बिताने के दौरान उनकी रचनात्मकता को बढ़ाने में मदद करे और यह उनके लिए केवल इनाम या उनका ध्यान बंटाने के लिए इस्तेमाल किए जाने के स्थान पर उनके ज्ञानात्मक विकास में योगदान दे. हालांकि, थोड़ी देर और किसी की निगरानी में स्क्रीन पर समय बिताना नुकसानदायक नहीं है.
संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा, 'नहीं छूटेगी 5G की बस, बदल जाएगी भारत की तस्वीर'
मुद्गल ने कहा, "प्रौद्योगिकी बच्चे के सामान्य सामाजिक परस्पर क्रिया और आसपास के परिवेश से सीखने में बाधा नहीं बननी चाहिए." एक बार स्मार्ट फोन या टेबलेट की लत लगने पर बाद में उन्हें स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से रोकने पर बच्चों में चिड़चिड़ा व्यवहार, जिद करना, बार-बार मांगना और सोने, खाने या फिर जागने में नखरे करने जैसे विदड्रॉल सिम्पटम की समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए UNICEF ने किया टीकू टॉक का आयोजन
विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को डिजिटल लत से दूर रखने के लिए माता-पिता को न केवल बच्चों के लिए, बल्कि खुद के लिए भी घर में डिजिटल उपकरणों से मुक्त जोन बनाने चाहिए, खासतौर पर खाने की मेज पर और बेडरूम में. मुद्गल ने कहा, "बच्चे वही सीखते हैं, जो वे देखते हैं. बच्चों को इस लत से दूर रखने के लिए माता-पिता को उनके सामने खुद भी सही उदाहरण रखना चाहिए."

Sunday, 10 March 2019

आज की लापरवाही, 2050 तक आपको बना सकती है बहराः WHO

वहीं 2050 तक ये संख्या बढ़ कर 90 करोड़ हो सकती है और इसका सबसे बड़ा कारण है लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहना.


नई दिल्लीः अगर आप भी अपने आस पास के शोर शराबे को नजरअंदाज कर रहे हैं तो ये लापरवाही आपको काफी भारी पड़ सकती है और यही लापरवाही आपको 2050 तक बहरा बना सकती है और ये हम नहीं कह रहे हैं. ये वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिसर्च बता रही है. दरअसल, हाल ही में की गई एक रिसर्च में पाया गया है कि इस समय दुनिया भर में जहां 44.6 करोड़ लोगों को सुनने में समस्या होती है वहीं 2050 तक ये संख्या बढ़ कर 90 करोड़ हो सकती है और इसका सबसे बड़ा कारण है लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहना.

अब मूक-बधिर बच्चों का होगा सफल इलाज

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें कहा गया है कि मौजूदा समय में जो 60 % लोग जो बहरेपन या सुनने से जुड़ी अन्य समस्यायें लेकर आते हैं वो ऐसी हैं जो पहले से ही रोकी जा सकती थीं. लेकिन समय पर इसका इलाज न हो पाने से उन्हें यह समस्याएं देखनी पड़ीं. इसका सबसे ज्यादा असर 12 से 35 साल के बीच की उम्र के लोगों पर पड़ता है. सर गंगाराम अस्पताल के ई एन टी स्पेशलिस्ट डॉ अजय स्वरूप के मुताबिक बड़ती उम्र के साथ सुनने में कमी आना आम है, लेकिन को लोग कम उम्र से ही ध्वनि प्रदूषण को नजरंदाज करते हैं उनको सुनने में दिक्कत बाकी लोगों के मुकाबले पहले शुरू हो जाती है.

इस बधिर लड़की ने जीतीं कई सौंदर्य प्रतियोगिताएं, फिर भी नहीं हो रही मीडिया में चर्चा

उन्होंने  भी बताया कि विकासशील देशों में इसका असर ज्यादा देखा जाता है, क्योंकि यह लोग प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट पर कम ध्यान देते हैं. लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहने से कान की नसें कमजोर पड़ने लगती हैं और धीरे-धीरे सुनने की शक्ति ही खत्म हो जाती है. जो आगे चल कर बहरेपन का रूप ले लेती हैं. इसमें सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात ये थी कि निकोटिन का इस्तेमाल करने से भी कान की नसें कमजोर पड़ जाती हैं, जिसके बारे में अधिकतर लोग तो सोच भी नहीं पाते हैं और लगातार निकोटिन के इस्तेमाल से बहरे होने लगते हैं.

IPL Auction 2018 : एक कान से सुनता है यह बॉलर, इसकी गेंदों पर बैट्समैन खा जाते हैं गच्चा

परेशानी की बात ये है कि जिस तरह से सभी बड़ी बिमारियों के लक्षण जल्दी सामने नहीं आते उसी तरह सुनने की क्षमता एक दिन में कम नहीं होती. आज जगह जगह शोर शराबा, तेज हॉर्न, डीजे, लाउडस्पीकर, ये सभी हमारी जीवनशैली में इस तरह से बस चुके हैं कि हमें उस वक्त तो इसके प्रभाव का पता नहीं चलता लेकिन अंदर ही अंदर ये हमारे कान को खोखला करता चला जाता है और लोगों को तब होश आता है जब उनके सुनने की क्षमता ख्तम हो जाती है.

Health Tips: हाई प्रोटीन से भरपूर हैं ये चीजें, वजन घटाने में ऐसे करेंगी मदद

डॉक्टर्स का कहना है कि "शारीरिक श्रम की कमी व अस्वस्थ जंक फूड का सेवन करने की वजह से अक्सर वजन बढ़ने की शिकायत देखने को मिलती है.

नई दिल्लीः आज के समय में हर कोई वजन बढ़ने की शिकायत से परेशान दिखाई देता है. ऐसे में हर कोई किसी न किसी तरह से मोटापे को कम करके फिट दिखने की कोशिश में जुटा रहता है और इसके लिए कई तरह के उपाय भी अपनाता है, लेकिन असफलता ही हाथ लगती है. चिकित्सकों का कहना है कि कुछ आसान चीजों को अपनाकर अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जा सकता है.  डॉक्टर्स का कहना है कि "शारीरिक श्रम की कमी व अस्वस्थ जंक फूड का सेवन करने की वजह से अक्सर वजन बढ़ने की शिकायत देखने को मिलती है. ऐसे में जरूरी होता है कि लोग अपने खाने का खास ख्याल रखें. इससे वजन घटाने में काफी आसानी होती है. तो चलिए बताते हैं आपको कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जो हर मौसम में आपके वजन को कंट्रोल करने में मददगार होती हैं.


ज्यादा आराम आपको बना सकता है विकलांग, रहना है स्वस्थ तो करें ये काम...

मेथी-
मेथी में न सिर्फ भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है, बल्कि यह वजन घटाने में भी बेहद मददगार होता है. इसके बेहतर रिजल्ट्स के लिए एक से दो चम्मच मेथी को रात भर के लिए पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उठकर इसे छानकर इसका पानी पी लें. मेथी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त करते हैं और वजन घटाने में मदद करते हैं.

कीवी-
कीवी भी वजन घटाने का सबसे असरदार फल है. इसका इस्तेमाल डायबिटीज के मरीजों के लिए भी बेहद अच्छा माना जाता है. कीवी ब्लड शुगर को कंट्रोल करती है और साथ ही साथ वजन बढ़ने से भी रोकती है. तो अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं तो यकीन मानिए इसका इस्तेमाल आपको इस समस्या से जरूर राहत दिलाएगा.

संतरा-
नींबू की ही तरह संतरे में भी फाइबर, विटामिन सी, फोलेट और पोटेशियम होता है जो वजन कम करने में मदद करता है. साथ ही साथ इसमें भारी मात्रा में प्रोटीन भी पाया जाता है. रोजाना संतरे के जूस पीने से बेहद जल्दी और कम समय में बढ़ते वजन से छुटकारा मिलता है.

अब शौक से खाएं मीठा, क्योंकि नारियल के रस से बने गुड़-शक्कर से शुगर के मरीजों को मिलेगा फायदा

अमरूद-
अमरूद किसे पसंद नहीं होता. बड़े से लेकर बच्चे तक इसे बड़े ही चांव से खाते हैं. ऐसे में अगर आपसे कोई कहे कि अमरूद खाने से वजन पर भी काफी असर पड़ता है तो आप क्या करेंगे. जी हां, अमरूद न सिर्फ वजन बल्कि स्किन के लिए भी बेहद अच्छा माना जाता है. तो अगर आप वजन कम करने के इच्छुक हैं तो अपने डायट में अमरूद जरूर शामिल करें.