नई दिल्ली : महिला दिवस पर महिलाओं की तमाम उपलब्धियों और उनके सामाजिक, आर्थिक सशक्तीकरण के बारे में बात करने वालों के लिए यह तथ्य परेशान करने वाला हो सकता है कि पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को किडनी की बीमारी ज्यादा होती है और हर वर्ष तकरीबन छह लाख महिलाएं इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा देती हैं. हमारा शरीर अपने आप में एक अनूठी मशीन है, जिसका हर पुर्जा अपने हिस्से का काम बिना रूके करता रहता है, लेकिन अगर किसी तरह की लापरवाही हो तो बीमारी अपना सिर उठाने लगती है और एक हिस्से की बीमारी दूसरे अंगों पर भी असर डालती है.
जानलेवा हो सकती है लापरवाही
किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसके प्रति लापरवाही जानलेवा हो सकती है. हाल के वर्ष खान-पान और दिनचर्या में बदलाव के चलते दुनियाभर में किडनी की बीमारी से प्रभावित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. मेडिकल साइंस में क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के नाम से पुकारे जाने वाले रोग का मतलब किडनी का काम करना बंद कर देना होता है. इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मार्च के दूसरे गुरुवार को 'वर्ल्ड किडनी डे' मनाया जाता है.
किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसके प्रति लापरवाही जानलेवा हो सकती है. हाल के वर्ष खान-पान और दिनचर्या में बदलाव के चलते दुनियाभर में किडनी की बीमारी से प्रभावित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. मेडिकल साइंस में क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के नाम से पुकारे जाने वाले रोग का मतलब किडनी का काम करना बंद कर देना होता है. इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मार्च के दूसरे गुरुवार को 'वर्ल्ड किडनी डे' मनाया जाता है.
20 करोड़ महिलाएं किडनी की समस्या से ग्रस्त
साल 2019 के 'वर्ल्ड किडनी डे' का थीम 'किडनी हेल्थ फॉर एवरी वन, एवरी वेयर' है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के आसपास आने वाले इस दिन पर महिलाओं को इस रोग के बारे में विशेष रूप से जागरूक किए जाने की जरूरत है. श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट डाक्टर राजेश अग्रवाल के अनुसार देश में औसतन 14 प्रतिशत महिलाएं और 12 प्रतिशत पुरुष किडनी की समस्या से पीड़ित हैं और पूरे विश्व में 19.5 करोड़ महिलाएं किडनी की समस्या से पीड़ित है.
साल 2019 के 'वर्ल्ड किडनी डे' का थीम 'किडनी हेल्थ फॉर एवरी वन, एवरी वेयर' है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के आसपास आने वाले इस दिन पर महिलाओं को इस रोग के बारे में विशेष रूप से जागरूक किए जाने की जरूरत है. श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट डाक्टर राजेश अग्रवाल के अनुसार देश में औसतन 14 प्रतिशत महिलाएं और 12 प्रतिशत पुरुष किडनी की समस्या से पीड़ित हैं और पूरे विश्व में 19.5 करोड़ महिलाएं किडनी की समस्या से पीड़ित है.
हर साल 2 लाख लोग इसकी चपेट में आ रहे
भारत में भी यह संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है, यहां हर साल 2 लाख लोग इस रोग की चपेट में आते हैं. शुरुआती अवस्था में बीमारी को पकड़ पाना मुश्किल होता है, क्योंकि दोनों किडनी 60 प्रतिशत खराब होने के बाद ही मरीज को इसका पता चल पाता है. उन्होंने बताया कि किडनी या गुर्दा 'राजमा' की शक्ल जैसा अंग है, जो पेट के दायें और बायें भाग में पीछे की तरफ स्थित होता है. किडनी खराब होने पर शरीर में खून साफ नहीं हो पाता और क्रिएटनिन बढ़ने लगता है. यदि दोनों किडनी अपना कार्य करने में सक्षम नहीं हों, तो उसे आम भाषा में किडनी फेल हो जाना कहते है.
भारत में भी यह संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है, यहां हर साल 2 लाख लोग इस रोग की चपेट में आते हैं. शुरुआती अवस्था में बीमारी को पकड़ पाना मुश्किल होता है, क्योंकि दोनों किडनी 60 प्रतिशत खराब होने के बाद ही मरीज को इसका पता चल पाता है. उन्होंने बताया कि किडनी या गुर्दा 'राजमा' की शक्ल जैसा अंग है, जो पेट के दायें और बायें भाग में पीछे की तरफ स्थित होता है. किडनी खराब होने पर शरीर में खून साफ नहीं हो पाता और क्रिएटनिन बढ़ने लगता है. यदि दोनों किडनी अपना कार्य करने में सक्षम नहीं हों, तो उसे आम भाषा में किडनी फेल हो जाना कहते है.
नारायणा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, गुरुग्राम में कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डाक्टर सुदीप सिंह के अनुसार खून को साफ कर ब्लड सर्कुलेशन में मदद करने वाले गुर्दे कई कारणों से खराब हो सकते हैं. इनमें खानपान की खराब आदतों के अलावा नियमित रूप से दर्दनिवारक दवाओं का सेवन भी एक बड़ी वजह हो सकता है. धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी डाक्टर सुमन लता ने कहा, 'इस वर्ल्ड किडनी डे' हम डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या लम्बे समय से किसी बीमारी से पीड़ित लोगों से अपनी किडनी को स्वस्थ रखने की अपील करते हैं.
यूरीन टेस्ट के साथ केएफटी जैसे सरल परीक्षण किडनी की जांच का सस्ता और सुविधाजनक तरीका है. इसमें लापरवाही न बरतें. 'उन्होंने बताया कि आमतौर पर मूत्र मार्ग में संक्रमण और गर्भावस्था की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण महिलाओं में किडनी रोग होने की आशंका बढ़ जाती है. रोग के शुरूआती लक्षणों में लगातार उल्टी आना, भूख नहीं लगना, थकान और कमजोरी महसूस होना, पेशाब की मात्रा कम होना, खुजली की समस्या होना, नींद नहीं आना और मांसपेशियों में खिंचाव होना प्रमुख हैं.
उन्होंने बताया कि किडनी फेल होना दुनियाभर में महिलाओं की मौत का आठवां बड़ा कारण है. नियमित जांच कराने से रोग की शुरुआत में ही इसका पता चल जाता है और दवा से इसे ठीक करना संभव हो पाता है, लेकिन यदि समय रहते इसके बारे में पता न चले तो खून को साफ करने के लिए डायलिसिस की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है या फिर किडनी बदलवानी पड़ती है, जो एक लंबी, खर्चीली और कष्टकारी प्रक्रिया है जो हर जगह उपलब्ध भी नहीं है.
We are urgently in need of Kidney donors with the sum of $500,000.00 USD,(3 crore) All donors are to reply via Email: healthc976@gmail.com
ReplyDeleteCall or whatsapp +91 9945317569