शोधकर्ताओं ने कहा कि चूहों पर परीक्षण करने पर निष्कर्ष निकला कि यह नई दवाई पोलियो के विषाणु से पूरी तरह रक्षा करती है.
नई दिल्ली : वैज्ञानिकों ने पोलियो की एक नई दवाई बनाई है जिसे फ्रिज में रखने की जरूरत नहीं है और इसे दुनियाभर में कहीं भी उपयोग किया जा सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि पोलियो के शिकार मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना (यूएससी) के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई इंजेक्शन के माध्यम से दी जाने वाली दवाई पाउडर के रूप में जमी हुई और सूखी है और इसे सामान्य तापमान पर चार सप्ताह तक रखा जा सकता है जिसे बाद में रिहाइड्रेट भी किया जा सकता है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि चूहों पर परीक्षण करने पर निष्कर्ष निकला कि यह नई दवाई पोलियो के विषाणु से पूरी तरह रक्षा करती है.यूएससी के के स्कूल ऑफ मेडीसिन में मुख्य शोधकर्ता वू-जिन शिन ने कहा, "स्थिरीकरण कोई रॉकेट विज्ञान नहीं है इसलिए ज्यादातर वैज्ञानिक इस क्षेत्र में ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं."
शिन ने कहा, "हालांकि, किसी दवाई या टीका के शानदार होने से तब तक फर्क नहीं पड़ता जब तक एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में वह ठीक न हो." यह शोध एनबायो में प्रकाशित हुआ है.
वैज्ञानिकों ने सूखा कर नमी खत्म करके चेचक, टाईफाइड और मेनिंगोकोकल बीमारियों के लिए सामान्य तापमान में स्थिर रहने वाले टीके बनाए, लेकिन वैज्ञानिक पोलियो के लिए ऐसा टीका नहीं बना सके जो जमाने-सुखाने के बाद दोबारा नम मौसम में प्रभावशाली बनी रह सके.
(इनपुटः आईएएनएस)
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शोधकर्ताओं ने कहा कि चूहों पर परीक्षण करने पर निष्कर्ष निकला कि यह नई दवाई पोलियो के विषाणु से पूरी तरह रक्षा करती है.यूएससी के के स्कूल ऑफ मेडीसिन में मुख्य शोधकर्ता वू-जिन शिन ने कहा, "स्थिरीकरण कोई रॉकेट विज्ञान नहीं है इसलिए ज्यादातर वैज्ञानिक इस क्षेत्र में ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं."
शिन ने कहा, "हालांकि, किसी दवाई या टीका के शानदार होने से तब तक फर्क नहीं पड़ता जब तक एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में वह ठीक न हो." यह शोध एनबायो में प्रकाशित हुआ है.
वैज्ञानिकों ने सूखा कर नमी खत्म करके चेचक, टाईफाइड और मेनिंगोकोकल बीमारियों के लिए सामान्य तापमान में स्थिर रहने वाले टीके बनाए, लेकिन वैज्ञानिक पोलियो के लिए ऐसा टीका नहीं बना सके जो जमाने-सुखाने के बाद दोबारा नम मौसम में प्रभावशाली बनी रह सके.
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