Monday, 29 October 2018

प्रदूषण से परेशान? अपनाएं ये 10 आयुर्वेदिक उपाय !!

Pआप अपने जीवन में इन 10 आयुर्वेदिक तरीकों को अपना कर बढ़ते वायु प्रदूषण से खुद का बचाव कर सकते हैं.

नई दिल्ली : बढ़ता वायु प्रदूषण महानगरों में एक बड़ी समस्या बन कर उभरा है. महानगरों की इस प्रदूषित हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन के खतरनाक कण रहते हैं, जिसके कारण महानगरों में रहने वाले लोगों को कई तरह की बीमारियां होने का खतरा भी रहता है. डॉक्टरों का मानना है कि महानगरों में रहने वाले लोगों के फेफड़ों (lungs) में इससे सबसे ज्यादा संक्रमण होने की संभावना रहती है. प्रदूषण के कारण फेफड़ोंं (lungs) के अंदर वायु प्रवाह भी कम होने लगता है, जिस कारण फेफड़ों के अंदर मकस (mucous) काफी बढ़ जाता है. यह फेफड़ों को प्रभावी तरीके से बैक्टीरिया और वायरस को फ़िल्टर करने से भी रोकता है. वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर का कारण भी बन सकता है.

आयुर्वेद के अनुसार इस कारण त्रिदोष में असंतुलन होने की संभावना रहती है. इस कारण हमें कई अन्य बीमारियों भी हो सकती है. गुड़गांव के तनमत्रा आयुर्वेद की डॉक्टर ज्योत्सना मक्कड़ का मानना है कि प्रदूषण के प्रभाव को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता है, लेकिन आप अपने जीवन में इन 10 आयुर्वेदिक तरीकों को अपना कर इससे बचाव कर सकते हैं.

1. नास्य कर्म (Nasal Drop Treatment): नास्य कर्म प्रक्रिया आपके नाक के अंदर की गंदगी को साफ करने में मदद करती है, जिससे आप इस प्रदूषित हवा में शामिल प्रदूषकों (pollutants) के कारण होने वाली एलर्जी (Allergy) को रोक सकते हैं. इस उपचार का लाभ आप पंचकर्मा प्रक्रिया के माध्यम से भी ले सकते हैं, लेकिन इसे सही विशेषज्ञ की सलाह और निगरानी में हीं करना चाहिए. नास्य कर्म प्रक्रिया में हर दिन सुबह में नाक में बादाम के तेल या गाय घी की दो बूंद डालनी होती है. यह न केवल नाक के अंदर गए प्रदूषक कणों (pollutants) को साफ करता है. इसके साथ ही इससे आपकी श्वास प्रणाली (Respiratory System) में  के प्रदूषक कणों (pollutants) को नाक के पार जाने से रोकता है.

2. तिल का तेल (Sesame Oil) को नाक के अंदर खींचना: हालांकि नाक हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है जो हवा में मौजूद प्रदूषको (Pollutants) को रोकने के लिए सबसे अधिक प्रभावी फ़िल्टर है. Sesame Oil को नाक के अंदर खींचने से हम कुछ देर तक इस स्थिति से बच सकते हैं. आपको लगभग 15 मिनट तक मुंह में एक चम्मच तिल का तेल (Sesame Oil) डालकर रखना होगा और फिर उसे उगल देना होगा. इस उपाय से आप हानिकारक बैक्टीरिया को साफ कर सकते हैं. साथ ही यह हमारे मुंह के बाहर कई तरह की एलर्जी से लड़ने के लिए मौजूद श्लेष्म स्तर (mucous lining) को भी मजबूत करता है.

3. प्राणायाम और कपाल भाती : यह हमारी श्‍वास नली को साफ करने और प्रदूषण के दुष्प्रभाव से भी मुकाबला करने में मदद करता है. प्रदूषण से बचाव के लिए आप इन आसनों का नियमित रूप से अभ्यास करें.

4. अभयंगा ऑयल मसाज: इस उपाय से हमारे त्वचा (Skin) के अंदर मौजूद उन विषाक्त पदार्थ (Toxins) से छुटकारा पाने में मदद करता है, जो त्वचा (Skin) में चले जाते हैं. हमारे शरीर को विषाक्त पदार्थ (Toxins) से छुटकारा दिलाने (detoxifying) में यह रामबाण साबित हो सकता है. अभयंगा के लगातार प्रयोग आपके शरीर को रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है और आपको हमेशा ऊर्जावान रखता है. आप ऑयल मसाज के लिए तिल के तेल (Sesame Oil) या फिर किसी अन्य आयुर्वेदिक तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं.

5. स्वेदना मतलब पसीना बहाने का प्रयास : पसीना बहाने की इस प्रक्रिया को आयुर्वेद में स्वेदना कहा जाता है. सर्वांग (पूरा शरीर) को स्वेदना के माध्यम से जिसमें दशमूल जड़ी बूटी (दस पौधों की जड़ें) का उपयोग किया जाता है. इससे हमारे शरीर के अंदर मौजूद विषाक्त पदार्थ (Toxic Elements) बाहर करने में मदद करता है. इसके अलावा आप फेसियल स्टीम का भी प्रयोग कर सकते हैं. इसके लिए आप गर्म पानी में नीलगिरी ऑयल, तुलसी तेल, चाय के पेड़ का तेल और कैरम के बीज को मिलाकर चेहरे पर भाप ले सकते हैं..

6. नीम का पानी : इसके साथ त्वचा और बालों को धोकर भी आप अपनी त्वचा (Skin) और श्लेष्म झिल्ली(Mucous Membrance) में फंस गए प्रदूषक (pollutants) को साफ़ कर सकते हैं.

7. धूपन : आप जड़ी-बूटीयों को जलाकर धुआं भी ले सकते हैं. इसके लिए आप गूगल, करूर (Campour) अगुरु, लोबान, शालाकी जैसे जड़ी बूटीयों का इस्तेमाल कर सकते हैं. जड़ी बूटियों को जलाने और इन जड़ी बूटियों के धुएं को सांस लेने की प्रक्रिया आयुर्वेद में धूपन कहा जाता है. इससे न केवल हवा शुद्ध होती है बल्कि यह एक प्रभावी कीटाणुरोधक (Insecticide) के रूप में भी काम करता है. गूगल और शालाकी जैसी जड़ी बूटियां को कमरे में जलाकर रखने से आप अवसाद (Depression) और चिंता (Anxiety) जैसी समस्या से भी दूर हो सकते हैं.

8. संभव हो तो हवादार और खुले स्थानों में कुछ देर रहने का प्रयास करें.. क्योंकि हवा का सही तरीके (Proper Ventilation)नहीं होने से आपको सिरदर्द और सुस्ती की समस्या हो सकती है.. वैसे आम तौर पर आउटडोर हवा की गुणवत्ता है को इनडोर हवा से हमेशा बेहतर माना जाता है, लेकिन इस समय बेहतर होगा आप छोटी अवधि के लिए खिड़कियां को खोल कर रखें. फायरप्लेस और वेंटिलेशन सिस्टम को साफ रखें...

9. अगर संभव हो तो अलोवेरा, तुलसी, नीम, बांस, पीस लिली, अंग्रेजी आइवी, क्राइसेंथेमम्स, अरेका हथेली, मनी प्लांट जैसे पौधे अपने घर में उगाएं. ये पौधे न केवल हवा को साफ करने में मदद करते हैं. बल्कि नीम और तुलसी जैसे पौधे भी कई बीमारियों में काफी उपयोगी होते हैं...

10. आप हमेशा ताजा पके हुए गर्म भोजन करने का प्रयास करें. साथ हीं अपने आहार(Food Diet) में अदरक और कैरम के बीज को भी शामिल करें. श्वसन और प्रतिरक्षा प्रणाली( Respiratory and immunine system) को मजबूत करने के लिए तुलसी, पिपली, ट्रिफाला और घी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है...

(यह जानकारी गुड़गांव के तनमत्रा आयुर्वेदा की डॉक्टर ज्योत्सना मक्कड़ ने दी है)
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