Wednesday, 13 March 2019

वर्ल्ड किडनी डे : पुनर्नवा पौधा बीमार गुर्दे को कर सकता है स्वस्थ

वर्ल्ड किडनी डे : पुनर्नवा पौधा बीमार गुर्दे को कर सकता है स्वस्थनई दिल्ली : आयुर्वेद में पुनर्नवा पौधे के गुणों का अध्ययन कर भारतीय वैज्ञानिकों ने इससे 'नीरी केएफटी' दवा की है, जिसके जरिए गुर्दा (किडनी) की बीमारी ठीक की जा सकती है. गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाएं फिर से स्वस्थ्य हो सकती हैं. साथ ही संक्रमण की आशंका भी इस दवा से कई गुना कम हो जाती है. हाल ही में पुस्तिका 'इंडो-अमेरिकन जर्नल ऑफ फॉर्मास्युटिकल रिसर्च' में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के अनुसार, पुनर्नवा में गोखुरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद, कमल ककड़ी जैसी बूटियों को मिलाकर बनाई गई दवा 'नीरी केएफटी' गुर्दे में क्रिएटिनिन, यूरिया व प्रोटीन को नियंत्रित करती है.
हीमोग्लोबिन भी बढ़ाता है यह पौधा
क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वस्थ्य करने के अलावा यह हीमोग्लोबिन भी बढ़ाती है. नीरी केएफटी के सफल परिणाम भी देखे जा रहे हैं. बीएचयू के प्रोफेसर डॉ. केएन  द्विवेदी का कहना है कि रोग की पहचान समय पर हो जाने पर गुर्दे को बचाया जा सकता है. कुछ समय पहले बीएचयू में हुए शोध से पता चला है कि गुर्दा संबंधी रोगों में केएफटी कारगार साबित हुई है.
एलोपैथी से निकलकर आयुर्वेद को अपनाना चाहिए
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के किडनी विशेषज्ञ डॉ. मनीष मलिक का कहना है कि देश में लंबे समय से गुर्दा विशेषज्ञों की कमी बनी हुई है. ऐसे में डॉक्टरों को एलोपैथी के ढांचे से निकलकर आयुर्वेद जैसी वैकल्पिक चिकित्सा को अपनाना चाहिए. आयुर्वेदिक दवा से अगर किसी को फायदा हो रहा है तो डॉक्टरों को उसे भी अपनाना चाहिए.
आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीते माह केंद्र सरकार ने आयुष मंत्रालय को देशभर में 12,500 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना करने की जिम्मेदारी सौंपी है. इन केंद्रों पर आयुष पद्धति के जरिए उपचार किया जाएगा. यहां वर्ष 2021 तक किडनी की न सिर्फ जांच, बल्कि नीरी केएफटी जैसी दवाओं से उपचार भी दिया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि गुर्दा की बीमारी की पहचान के लिए होने वाली जांच को सभी व्यक्तियों को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि मरीजों को शुरुआती चरण में ही उपचार दिलवाया जा सके.
एम्स के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एसके अग्रवाल का कहना है कि हर दिन 200 गुर्दा रोगी ओपीडी में पहुंच रहे हैं. इनमें 70 फीसदी मरीजों के गुर्दा फेल पाए जाते हैं. उनका डायलिसिस किया जाता है. प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) ही इसका स्थायी समाधान है. प्रत्यारोपण वाले मरीजों की संख्या भी काफी है. इस समय एम्स में गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए आठ माह की वेटिंग चल रही है. यहां सिर्फ 13 डायलिसिस की मशीनें हैं, जो वार्डो में भर्ती मरीजों के लिए हैं. इनमें से चार मशीनें हेपेटाइटिस 'सी' और 'बी' के मरीजों के लिए हैं. एम्स में सप्ताह में तीन दिन गुर्दा प्रत्यारोपण किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि गुर्दा खराब होने पर मरीज को सप्ताह में कम से कम दो या तीन बार डायलिसिस देना जरूरी है. मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. देश में सालाना 6,000 किडनी प्रत्यारोपण हो रहे हैं. इसलिए लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है.
एक नजर में
- 1,200 गुर्दा विशेषज्ञ हैं देश में
- 1,500 हीमोडायलिसिस केंद्र हैं देश में
- 10,000 डायलिसिस केंद्र भी हैं
- 80 फीसदी गुर्दा प्रत्यारोपण हो रहे निजी अस्पतालों में
- 2,800 गुर्दा प्रत्यारोपण हो चुके हैं एम्स में

सुबह-सुबह पीएं अजवायन पानी, एक महीने में 3-4 किलोग्राम वजन कम होगा

नई दिल्ली: लाइफस्टाइल ऐसी हो गई है कि ज्यादातर लोग ओवर वेट (ज्यादा वजन) की समस्या से परेशान है. एक्सरसाइज करने का समय नहीं मिलता है. नौकरी करने की टाइमिंग ऐसी हो गई है कि आप चाहकर भी सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. कुल मिलाकर जिंदगी में अनुशासन की कमी हो गई है जिसका सीधा असर आपकी सेहत पर दिखता है. मोटा हो जाने से कई तरह की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन, आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. इस आर्टिकल में आपको एक ऐसे नुस्खे के बारे में बताने जा रहे हैं कि जिसे अपनाने से आपका कुछ ही दिनों में असर दिखने लगेगा.

यह एक घरेलू नुस्खा है. आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. सभी घरों में अजवायन उपलब्ध होता है. पानी में अजवायन डालकर रातभर भींगने के लिए छोड़ दें. सुबह उठने के बाद इस पानी का सेवन करें. इससे पेट की चर्बी कम होगी. इसमें थाइमोल पाया जाता है जो पेट की चर्बी को कम करता है.

वायु प्रदूषण से दुनियाभर में 88 लाख लोगों की हर साल हुई मौत, स्टडी का दावा

कहा जाता है कि थाइमोल मेटाबॉलिज्म को मजबूत करता है, पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है और एसिडिटी की समस्या को दूर करता है. इसके अलावा इसमें आयोडिन, फास्फोरस, कैल्शियम और पोटैशियम भी पाया जाता है. ये सभी शरीर के लिए बहुत जरूरी तत्व होते हैं.

लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से बढ़ता है डायबिटीज का खतरा, स्टडी का दावा

अजवायन युक्त पानी पीने से से चीनी और  पेट संबंधी दूसरी बीमारियां दूर होती हैं. इसके अलावा कब्ज की समस्या से निजात मिलती है. कई लोग गैस और अस्थमा की समस्या से परेशान रहते हैं. कुछ भी खाने पर उन्हें गैस हो जाता है. वे लोग अजवायन पानी का इस्तेमाल करेंगे तो कुछ ही दिनों में असर दिखने लगेगा. कहा जाता है कि अजवायन पानी का इस्तेमाल एक महीने तक लगातार करने से 3-4 किलोग्राम वजन जरूर कम हो जाता है.

वायु प्रदूषण से दुनियाभर में 88 लाख लोगों की हर साल हुई मौत, स्टडी का दावा

पेरिस: यूरोप में वायु प्रदूषण से हर साल 790,000 लोगों की समय से पूर्व मौत हो गई और दुनियाभर में 88 लाख लोगों की मौत हुई.  यह संख्या हाल के आकलन से दोगुनी है. सोमवार को जारी एक अध्ययन के अनुसार, 40 से 80 प्रतिशत ये मौतें दिल का दौरा, आघात पड़ने और अन्य तरह की दिल की बीमारियों से हुई जो अभी तक धुंध से संबंधित हादसों के मुकाबले कम समझी जाती थी. शोधकर्ताओं के अनुसार, वाहनों, उद्योगों और खेतीबाड़ी के प्रदूषकों के जहरीले मिश्रण ने लोगों की जिंदगी 2.2 साल तक कम कर दी है.

जर्मनी में यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर मैन्ज के प्रोफेसर थॉमस मुंजेल ने बताया, ‘‘इसका मतलब है कि वायु प्रदूषण से एक साल में तंबाकू धूम्रपान के मुकाबले ज्यादा मौतें हुई.  विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक इसे साल 2015 में 72 लाख मौतें अधिक हुई. ’’ धूम्रपान से बचा जा सकता है लेकिन वायु प्रदूषण से नहीं.

छोटे और बड़े धूल के कणों,नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और ओजोन के मिश्रण से संज्ञानात्मक प्रदर्शन, श्रम उत्पादकता और शैक्षिक नतीजों में कमी आई. ‘यूरोपियन हार्ट’ पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन में यूरोप पर ध्यान केंद्रित किया गया लेकिन दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए भी सांख्यिकीय प्रणालियों को भी अपडेट किया गया.

शोध के मुख्य लेखक जोस लेलीवेल्ड ने बताय कि चीन में हर साल 28 लाख लोगों की मौत हुई जो मौजूदा आकलन से ढाई गुना अधिक है. 

लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से बढ़ता है डायबिटीज का खतरा, स्टडी का दावा

बीजिंग: लंबे समय तक प्रदूषित वायु में सांस लेने से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है. चीन में हाल ही में एक अध्ययन से यह बात सामने आई है.  मधुमेह से दुनियाभर में काफी आर्थिक और स्वास्थ्य बोझ बढ़ता है. विश्व भर में चीन में मधुमेह के सबसे अधिक मामले हैं. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि विकासशील देशों में वायु प्रदूषण और मधुमेह के बीच के संबंध के बारे में विरले ही जानकारी दी गई खासतौर से चीन में जहां पीएम 2.5 का स्तर अधिक है.

पीएम 2.5 या सूक्ष्म कण वायु प्रदूषक होते हैं जिनके बढ़ने पर लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है.  पीएम 2.5 कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि इससे दृश्यता कम हो जाती है. चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज फुवई होस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अमेरिका स्थित एमरॉय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर लंबे समय तक पीएम2.5 के संपर्क में रहने और 88,000 से अधिक चीनी वयस्कों से एकत्रित आंकड़ों के आधार पर मधुमेह के बीच संबंध का विश्लेषण किया.

शोध के नतीजों से पता चला कि लंबे समय तक पीएम2.5 के 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ने से मधुमेह का खतरा 15.7 प्रतिशत तक बढ़ गया. यह शोध पत्रिका एनवॉयरमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित हुआ है.

Tuesday, 12 March 2019

रोजाना नाश्ते में खाएं 50 ग्राम दलिया, कुछ दिन में ही दिखाई देगा चमत्कार

नई दिल्ली : दलिया यानी सेहत का खजाना. दलिये का सेवन आपके स्वास्थ्य को कई तरह से फायदा पहुंचाता है. अमूमन लोग दलिये का सेवन नाश्ते में करते हैं. यदि आप रोज सुबह 50 ग्राम दलिये खाते हैं तो यह आपके शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित होगा. दलिया विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होता है. इसके अलावा इसमें लो कैलोरी और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. दलिया एक ऐसा आहार है जो आपके शरीर में सभी पोषक तत्वों की मात्रा को पूरा करता है. सुबह में दलिया खाने से दिनभर के लिए जरूरी सभी तत्व पूरे हो जाते हैं. आगे पढ़िए प्रतिदिन दलिये के सेवन से होने वाले फायदे के बारे में विस्तार से.

कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करें
आजकल कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या आम है. दलिया में घुलनशील और अघुलनशील दोनों ही फाइबर पाए जाते हैं. शरीर में उच्च मात्रा में फाइबर होने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित रहती है. जिससे व्यक्ति को हृदय रोग होने की संभावना न के बराबर रहती है. एक शोध से भी साफ हो चुका है जो लोग प्रतिदिन दलिये का सेवन करते हैं, उन्हें हृदय रोग होने की आशंका न के बराबर होती है.

वजन घटाएं
भागदौड़ भरी जिंदगी और आधुनिक जीवनशैली के बीच युवाओं में वजन बढ़ने की आम समस्या है. कार्बोहाइड्रेट की उचित मात्रा वाले दलिये को सुबह के समय नाश्ते में खाने से शरीर में पूर्ण आहार पहुंचता है. जिससे आपका वजन नियंत्रित रहता है. थोड़ी सी मात्रा में ही दलिये का सेवन करने से आप पेट को भरा हुआ महसूस करते हैं.

हड्डियों को दें मजबूती
आजकल हड्डियों में कमजोरी आम समस्या है. मैग्नीशियम और कैल्शियम का खजाना होने के कारण दलिये का नियमित सेवन हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है. दलिया का नियमित सेवन करने वालों को उम्र दराज होने पर जोड़ों के दर्द की शिकायत नहीं होती. इसके अलावा दलिया खाने से पित्त की थैली में पथरी की समस्या भी दूर होती है.

डायबिटीज में असरकारक
दलिया और साबुत अनाज में मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा होती है. मैग्नीशियम लगभग 300 प्रकार के एंजाइम बनाता है, खासतौर पर ऐसे एंजाइम जो इंसुलिन के बनने में मददगार होते हैं. साथ ही ये ग्लूकोज की जरूरी मात्रा को भी ब्लड तक पहुंचाते हैं. रोजाना दलिया का सेवन करने से टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है.

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव
दलिये का सेवन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर से बचाता है. आजकल यह महिलाओं में होने वाली सबसे बड़ी समस्या बन गई है. साबुत अनाज चाहे वह दलिया हो या कुछ और उसमें फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका कम होती है. शोध से यह साफ हो चुका है कि फाइबरयुक्त अनाज से लंग, ब्रेस्ट, ओवेरियन कैंसर जैसे खतरनाक रोगों से निजात पाया जा सकता है.

हीमोग्लोबिन बढ़ाए
आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है. हीमोग्लोबिन कम होने से शरीर में कमजोरी और थकान की शिकायत आम हो जाती है. दलिया आयरन का अच्छा स्रोत है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बैलेंस करता है. इसके अलावा दलिया शरीर के तापमान और मेटाबॉलिज्म को भी सही मात्रा में बनाए रखता है.

ऊर्जा का स्रोत
दलिये का सेवन करने वाले व्यक्ति दिनभर ऊर्जावान महसूस करता है. ऐसा दलिया में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट के कारण होता है. प्रतिदिन एक कप दलिया खाकर शरीर में विटामिन बी1, बी2, मिनरल्स, मैग्नीशियम, मैग्नीज आदि की पूर्ति की जा सकती है. इसमें मौजूद न्यूट्रिीएंट्स शरीर से एंटी-ऑक्सीडेंट को बाहर निकालकर कई बीमारियों से बचाते हैं.

क्या है दलिया
दलिया एक प्रकार का साबुत अनाज होता है जो शरीर को स्वास्थ्यवर्धक बनाता है. दलिया को बनाना और खाना बेहद आसान होता है. इसे दूध या फलों के साथ बनाया जा सकता है. आप मीठा या नमकीन दलिया भी बना सकते हैं. नाश्ते में दलिये का सेवन सबसे ज्यादा फायदेमंद बताया गया है. इसे पकाने से इसके पोषक तत्वों में किसी प्रकार की कमी नहीं आती.

सेक्सुअल परफारमेंस बढ़ाने में वियाग्रा से ज्यादा असरदार है यह तेल

सेक्सुअल परफारमेंस बढ़ाने में वियाग्रा से ज्यादा असरदार है यह तेलनई दिल्ली : सेक्सुअल प्रॉब्लम (Sexual Problem) से परेशान पुरुषों को आमतौर पर वियाग्रा खाने की सलाह दी जाती है. लेकिन कई शोध से यह भी साफ हुआ है कि वियाग्रा का लगातार सेवन आपकी सेक्सुअल पॉवर को तो बढ़ाता है लेकिन लंबे समय में यह शरीर को नुकसान भी पहुंचाती है. रिसर्च से पता चला है कि इसका सेवन करने वालों को सिर दर्द, दिल से संबंधित बीमारियां और लिवर संबंधी समस्या होने की ज्यादा संभावना होती है. लेकिन पिछले दिनों ग्रीस में हुई रिसर्च से चौकाने वाले परिणाम सामने आए हैं.
रिसर्च से पता चला है कि जैतून का तेल यानी ऑलिव ऑयल आपकी सेहत के साथ ही सेक्सुअल परफारमेंस को भी बढ़ाता है. रिसर्च में दावा किया गया है कि जो लोग नियमित रूप से जैतून के तेल का सेवन करते हैं उनकी सेक्सुअल परफारमेंस अन्य लोगों से कही अच्छी होती है. ग्रीस में हुई रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि जैतून के तेल का सेवन वियाग्रा की डोज लेने से ज्यादा कारगर होता है.
ग्रीस की यूनिवर्सिटी ऑफ एथेंस के वैज्ञानिकों ने रिसर्च के आधार पर यह दावा किया कि यदि कोई पुरुष हफ्ते में 9 चम्मच ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करता है तो उसकी नपुंसकता में 40 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है. इसके अलावा भी जैतून के तेल के फायदों के बारे में आप जानते ही होंगे. इसका सेवन आपके शरीर और हड्डियों के लिए अच्छा रहता है. इतना ही नहीं इसके सेवन से खून की नलियां स्‍वस्‍थ रहती हैं और शरीर में ब्‍लड सर्कुलेशन को बेहतर बना रहता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ एथेंस में हुई इस रिसर्च में 67 साल की औसतन आयु वाले 660 लोगों को शामिल किया गया था. रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों ने अपनी डाइट में नियमित रूप से ऑलिव ऑयल को लिया, उनको दूसरों की तुलना में कम समस्‍याएं हईं. इतना ही नहीं इस उम्र में भी उनकी सेक्सुअल परफारमेंस में भी सुधार हुआ. इन लोगों ने अपनी डायट में फल, सब्जियां, मछली और सूखे मेवे के अलावा ऑलिव ऑयल को प्रमुख तौर पर शामिल किया.
शोधकर्ताओं ने पाया कि वियाग्रा जैसी दवाओं का असर कुछ ही देर के लिए होता है. ये दवाएं लंबे समय के लिए फायदेमंद नहीं हैं. इनके कई साइड इफेक्‍ट भी होते हैं. वहीं ऑलिव ऑयल का इस्‍तेमाल करना एक दूरगामी समाधान है. इतना ही ऑलिव ऑइल के इस्‍तेमाल से डायबीटीज, हाई बीपी और मोटापे जैसी बीमारियों के होने की आशंका भी कम हो जाती है.

Monday, 11 March 2019

अगर आपके बच्चे को भी है 'डिजिटल लत' तो हो जाएं सावधान, हो सकते हैं ये बड़े नुकसान...

नई दिल्ली: अगर आप भी उन माता-पिता में से हैं, जो अपने छोटे बच्चों को खाना खिलाते समय या उन्हें व्यस्त रखने के लिए उनके हाथ में स्मार्टफोन या टेबलेट थमा देते हैं, तो समय रहते सावधान हो जाइए, क्योंकि यह आदत उन्हें न केवल आलसी बना सकती है, बल्कि उनकी उम्र के शुरुआती दौर में ही उन्हें डिजिटल एडिक्शन की ओर धकेल सकती है. अमेरिकन अकेडमी ऑफ पीडियेट्रिक्स (आप) के अनुसार, 18 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए केवल 15-20 मिनट ही स्क्रीन पर बिताना स्वास्थ्य के लिहाज से सही है.
Pregnancy Food: प्रेग्नेंसी के दौरान व्रत रखने से पहले जान लें डॉक्टर की सलाह
विशेषज्ञों का मानना है कि व्यस्त शेड्यूल और छोटे बच्चों की सुरक्षा के प्रति जरूरत से अधिक सुरक्षात्मक रुख रखने वाले माता-पिता अपने छोटे बच्चों को स्मार्ट स्क्रीन में संलग्न कर रहे हैं. खिलौनों के साथ खेलने या बाहर खेलने की जगह, इतनी छोटी उम्र में उन्हें डिजिटल स्क्रीन की लत लगा देना उनके सर्वागीण विकास में बाधा डाल सकता है, उनकी आंखों की रोशनी को खराब कर सकता है और बचपन में ही उन्हें मोटापे का शिकार बना सकता है, जो फलस्वरूप आगे चलकर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कॉलेस्ट्रॉल का कारण बन सकता है.
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मैक्स हेल्थकेयर, गुरुग्राम की मनोविशेषज्ञ सौम्या मुद्गल ने बताया, "खिलौने छोटे बच्चों के दिमाग में विजुअल ज्ञान और स्पर्श का ज्ञान बढ़ाते हैं." ज्यादा स्क्रीन टाइम छोटे बच्चों को आलस्य और समस्या सुलझाने, अन्य लोगों पर ध्यान देने और समय पर सोने जैसी उनकी ज्ञानात्मक क्षमताओं को स्थायी रूप से नष्ट कर सकता है.
72 फीसदी की रफ्तार से Digital हो रहा है इंडिया, Jio की वजह से बदली तस्वीर
स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बच्चों के लिए स्क्रीन पर सामान्य समय बिताने की सही उम्र 11 साल है. लेकिन, ब्रिटेन की ऑनलाइन ट्रेड-इन आउटलेट म्यूजिक मैगपाई ने पाया कि छह साल या उससे छोटी उम्र के 25 प्रतिशत बच्चों के पास अपना खुद का मोबाइल फोन है और उनमें से करीब आधे अपने फोन पर हर सप्ताह 21 घंटे तक का समय बिताते हैं. इस दौरान वे स्क्रीन पर गेम्स खेलते हैं और वीडियोज देखते हैं.
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विशेषज्ञ माता-पिता को अपने बच्चों को स्क्रीन पर 'ओपन-एंडिड' कंटेंट में संलग्न करने की सलाह देते हैं, ताकि यह एप पर समय बिताने के दौरान उनकी रचनात्मकता को बढ़ाने में मदद करे और यह उनके लिए केवल इनाम या उनका ध्यान बंटाने के लिए इस्तेमाल किए जाने के स्थान पर उनके ज्ञानात्मक विकास में योगदान दे. हालांकि, थोड़ी देर और किसी की निगरानी में स्क्रीन पर समय बिताना नुकसानदायक नहीं है.
संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा, 'नहीं छूटेगी 5G की बस, बदल जाएगी भारत की तस्वीर'
मुद्गल ने कहा, "प्रौद्योगिकी बच्चे के सामान्य सामाजिक परस्पर क्रिया और आसपास के परिवेश से सीखने में बाधा नहीं बननी चाहिए." एक बार स्मार्ट फोन या टेबलेट की लत लगने पर बाद में उन्हें स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से रोकने पर बच्चों में चिड़चिड़ा व्यवहार, जिद करना, बार-बार मांगना और सोने, खाने या फिर जागने में नखरे करने जैसे विदड्रॉल सिम्पटम की समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए UNICEF ने किया टीकू टॉक का आयोजन
विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को डिजिटल लत से दूर रखने के लिए माता-पिता को न केवल बच्चों के लिए, बल्कि खुद के लिए भी घर में डिजिटल उपकरणों से मुक्त जोन बनाने चाहिए, खासतौर पर खाने की मेज पर और बेडरूम में. मुद्गल ने कहा, "बच्चे वही सीखते हैं, जो वे देखते हैं. बच्चों को इस लत से दूर रखने के लिए माता-पिता को उनके सामने खुद भी सही उदाहरण रखना चाहिए."