Monday, 11 March 2019

अगर आपके बच्चे को भी है 'डिजिटल लत' तो हो जाएं सावधान, हो सकते हैं ये बड़े नुकसान...

नई दिल्ली: अगर आप भी उन माता-पिता में से हैं, जो अपने छोटे बच्चों को खाना खिलाते समय या उन्हें व्यस्त रखने के लिए उनके हाथ में स्मार्टफोन या टेबलेट थमा देते हैं, तो समय रहते सावधान हो जाइए, क्योंकि यह आदत उन्हें न केवल आलसी बना सकती है, बल्कि उनकी उम्र के शुरुआती दौर में ही उन्हें डिजिटल एडिक्शन की ओर धकेल सकती है. अमेरिकन अकेडमी ऑफ पीडियेट्रिक्स (आप) के अनुसार, 18 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए केवल 15-20 मिनट ही स्क्रीन पर बिताना स्वास्थ्य के लिहाज से सही है.
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विशेषज्ञों का मानना है कि व्यस्त शेड्यूल और छोटे बच्चों की सुरक्षा के प्रति जरूरत से अधिक सुरक्षात्मक रुख रखने वाले माता-पिता अपने छोटे बच्चों को स्मार्ट स्क्रीन में संलग्न कर रहे हैं. खिलौनों के साथ खेलने या बाहर खेलने की जगह, इतनी छोटी उम्र में उन्हें डिजिटल स्क्रीन की लत लगा देना उनके सर्वागीण विकास में बाधा डाल सकता है, उनकी आंखों की रोशनी को खराब कर सकता है और बचपन में ही उन्हें मोटापे का शिकार बना सकता है, जो फलस्वरूप आगे चलकर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कॉलेस्ट्रॉल का कारण बन सकता है.
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मैक्स हेल्थकेयर, गुरुग्राम की मनोविशेषज्ञ सौम्या मुद्गल ने बताया, "खिलौने छोटे बच्चों के दिमाग में विजुअल ज्ञान और स्पर्श का ज्ञान बढ़ाते हैं." ज्यादा स्क्रीन टाइम छोटे बच्चों को आलस्य और समस्या सुलझाने, अन्य लोगों पर ध्यान देने और समय पर सोने जैसी उनकी ज्ञानात्मक क्षमताओं को स्थायी रूप से नष्ट कर सकता है.
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स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बच्चों के लिए स्क्रीन पर सामान्य समय बिताने की सही उम्र 11 साल है. लेकिन, ब्रिटेन की ऑनलाइन ट्रेड-इन आउटलेट म्यूजिक मैगपाई ने पाया कि छह साल या उससे छोटी उम्र के 25 प्रतिशत बच्चों के पास अपना खुद का मोबाइल फोन है और उनमें से करीब आधे अपने फोन पर हर सप्ताह 21 घंटे तक का समय बिताते हैं. इस दौरान वे स्क्रीन पर गेम्स खेलते हैं और वीडियोज देखते हैं.
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विशेषज्ञ माता-पिता को अपने बच्चों को स्क्रीन पर 'ओपन-एंडिड' कंटेंट में संलग्न करने की सलाह देते हैं, ताकि यह एप पर समय बिताने के दौरान उनकी रचनात्मकता को बढ़ाने में मदद करे और यह उनके लिए केवल इनाम या उनका ध्यान बंटाने के लिए इस्तेमाल किए जाने के स्थान पर उनके ज्ञानात्मक विकास में योगदान दे. हालांकि, थोड़ी देर और किसी की निगरानी में स्क्रीन पर समय बिताना नुकसानदायक नहीं है.
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मुद्गल ने कहा, "प्रौद्योगिकी बच्चे के सामान्य सामाजिक परस्पर क्रिया और आसपास के परिवेश से सीखने में बाधा नहीं बननी चाहिए." एक बार स्मार्ट फोन या टेबलेट की लत लगने पर बाद में उन्हें स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से रोकने पर बच्चों में चिड़चिड़ा व्यवहार, जिद करना, बार-बार मांगना और सोने, खाने या फिर जागने में नखरे करने जैसे विदड्रॉल सिम्पटम की समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
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विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को डिजिटल लत से दूर रखने के लिए माता-पिता को न केवल बच्चों के लिए, बल्कि खुद के लिए भी घर में डिजिटल उपकरणों से मुक्त जोन बनाने चाहिए, खासतौर पर खाने की मेज पर और बेडरूम में. मुद्गल ने कहा, "बच्चे वही सीखते हैं, जो वे देखते हैं. बच्चों को इस लत से दूर रखने के लिए माता-पिता को उनके सामने खुद भी सही उदाहरण रखना चाहिए."

Sunday, 10 March 2019

आज की लापरवाही, 2050 तक आपको बना सकती है बहराः WHO

वहीं 2050 तक ये संख्या बढ़ कर 90 करोड़ हो सकती है और इसका सबसे बड़ा कारण है लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहना.


नई दिल्लीः अगर आप भी अपने आस पास के शोर शराबे को नजरअंदाज कर रहे हैं तो ये लापरवाही आपको काफी भारी पड़ सकती है और यही लापरवाही आपको 2050 तक बहरा बना सकती है और ये हम नहीं कह रहे हैं. ये वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिसर्च बता रही है. दरअसल, हाल ही में की गई एक रिसर्च में पाया गया है कि इस समय दुनिया भर में जहां 44.6 करोड़ लोगों को सुनने में समस्या होती है वहीं 2050 तक ये संख्या बढ़ कर 90 करोड़ हो सकती है और इसका सबसे बड़ा कारण है लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहना.

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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें कहा गया है कि मौजूदा समय में जो 60 % लोग जो बहरेपन या सुनने से जुड़ी अन्य समस्यायें लेकर आते हैं वो ऐसी हैं जो पहले से ही रोकी जा सकती थीं. लेकिन समय पर इसका इलाज न हो पाने से उन्हें यह समस्याएं देखनी पड़ीं. इसका सबसे ज्यादा असर 12 से 35 साल के बीच की उम्र के लोगों पर पड़ता है. सर गंगाराम अस्पताल के ई एन टी स्पेशलिस्ट डॉ अजय स्वरूप के मुताबिक बड़ती उम्र के साथ सुनने में कमी आना आम है, लेकिन को लोग कम उम्र से ही ध्वनि प्रदूषण को नजरंदाज करते हैं उनको सुनने में दिक्कत बाकी लोगों के मुकाबले पहले शुरू हो जाती है.

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उन्होंने  भी बताया कि विकासशील देशों में इसका असर ज्यादा देखा जाता है, क्योंकि यह लोग प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट पर कम ध्यान देते हैं. लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहने से कान की नसें कमजोर पड़ने लगती हैं और धीरे-धीरे सुनने की शक्ति ही खत्म हो जाती है. जो आगे चल कर बहरेपन का रूप ले लेती हैं. इसमें सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात ये थी कि निकोटिन का इस्तेमाल करने से भी कान की नसें कमजोर पड़ जाती हैं, जिसके बारे में अधिकतर लोग तो सोच भी नहीं पाते हैं और लगातार निकोटिन के इस्तेमाल से बहरे होने लगते हैं.

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परेशानी की बात ये है कि जिस तरह से सभी बड़ी बिमारियों के लक्षण जल्दी सामने नहीं आते उसी तरह सुनने की क्षमता एक दिन में कम नहीं होती. आज जगह जगह शोर शराबा, तेज हॉर्न, डीजे, लाउडस्पीकर, ये सभी हमारी जीवनशैली में इस तरह से बस चुके हैं कि हमें उस वक्त तो इसके प्रभाव का पता नहीं चलता लेकिन अंदर ही अंदर ये हमारे कान को खोखला करता चला जाता है और लोगों को तब होश आता है जब उनके सुनने की क्षमता ख्तम हो जाती है.

Health Tips: हाई प्रोटीन से भरपूर हैं ये चीजें, वजन घटाने में ऐसे करेंगी मदद

डॉक्टर्स का कहना है कि "शारीरिक श्रम की कमी व अस्वस्थ जंक फूड का सेवन करने की वजह से अक्सर वजन बढ़ने की शिकायत देखने को मिलती है.

नई दिल्लीः आज के समय में हर कोई वजन बढ़ने की शिकायत से परेशान दिखाई देता है. ऐसे में हर कोई किसी न किसी तरह से मोटापे को कम करके फिट दिखने की कोशिश में जुटा रहता है और इसके लिए कई तरह के उपाय भी अपनाता है, लेकिन असफलता ही हाथ लगती है. चिकित्सकों का कहना है कि कुछ आसान चीजों को अपनाकर अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जा सकता है.  डॉक्टर्स का कहना है कि "शारीरिक श्रम की कमी व अस्वस्थ जंक फूड का सेवन करने की वजह से अक्सर वजन बढ़ने की शिकायत देखने को मिलती है. ऐसे में जरूरी होता है कि लोग अपने खाने का खास ख्याल रखें. इससे वजन घटाने में काफी आसानी होती है. तो चलिए बताते हैं आपको कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जो हर मौसम में आपके वजन को कंट्रोल करने में मददगार होती हैं.


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मेथी-
मेथी में न सिर्फ भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है, बल्कि यह वजन घटाने में भी बेहद मददगार होता है. इसके बेहतर रिजल्ट्स के लिए एक से दो चम्मच मेथी को रात भर के लिए पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उठकर इसे छानकर इसका पानी पी लें. मेथी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त करते हैं और वजन घटाने में मदद करते हैं.

कीवी-
कीवी भी वजन घटाने का सबसे असरदार फल है. इसका इस्तेमाल डायबिटीज के मरीजों के लिए भी बेहद अच्छा माना जाता है. कीवी ब्लड शुगर को कंट्रोल करती है और साथ ही साथ वजन बढ़ने से भी रोकती है. तो अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं तो यकीन मानिए इसका इस्तेमाल आपको इस समस्या से जरूर राहत दिलाएगा.

संतरा-
नींबू की ही तरह संतरे में भी फाइबर, विटामिन सी, फोलेट और पोटेशियम होता है जो वजन कम करने में मदद करता है. साथ ही साथ इसमें भारी मात्रा में प्रोटीन भी पाया जाता है. रोजाना संतरे के जूस पीने से बेहद जल्दी और कम समय में बढ़ते वजन से छुटकारा मिलता है.

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अमरूद-
अमरूद किसे पसंद नहीं होता. बड़े से लेकर बच्चे तक इसे बड़े ही चांव से खाते हैं. ऐसे में अगर आपसे कोई कहे कि अमरूद खाने से वजन पर भी काफी असर पड़ता है तो आप क्या करेंगे. जी हां, अमरूद न सिर्फ वजन बल्कि स्किन के लिए भी बेहद अच्छा माना जाता है. तो अगर आप वजन कम करने के इच्छुक हैं तो अपने डायट में अमरूद जरूर शामिल करें.

Saturday, 9 March 2019

सुबह खाली पेट नारियल के पानी में शहद मिला कर पीने के हैं कई फायदे, पढ़ें खबर

उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर में फ्री रेडिकल बढ़ने लगता है, जिससे चेहरे पर झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं.

नई दिल्ली: आप में से कई लोग नारियल पानी के बहुत से फायदों के बारे में जानते होंगे. नारियल के पानी में मौजूद पौष्टिक तत्व आज के इस दूषित वातावरण से बचाने में भी उपयोगी है. इन्फेक्टिव जर्म्स शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन नारियल का पानी शरीर की रक्षा करने में मदद करता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि रोज सुबह नारियल के पानी को शहद में मिलाकर पीने से शरीर को काफी लाभ होता है.

नारियल के पानी में शहद मिलाकर पीने से पेट दर्द, अम्लता जैसी पाचन संबंधी बीमारियां दूर हो जाती हैं. वहीं नियमित रूप से नारियल पानी और शहद के मिश्रण को पीने से इम्यून सिस्टम भी स्ट्रॉन्ग होता है और आपको कई बीमारियों से बचाता है. इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं.

उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर में फ्री रेडिकल बढ़ने लगता है, जिससे चेहरे पर झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं. हालांकि, एक उम्र के बाद ही ऐसा होता है और अगर आप उम्र बढ़ने के लक्षण जैसे सफेद बाल, झुर्रियां, थकान जैसा महसूस करने लगें तो आपोक सतर्क हो जाना चाहिए. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर इस मिश्रण से आपको समय से पहले बुढ़ापे को रोकने में मदद मिलेगी.

नारियल के पानी और शहद के मिश्रण में पाचन तंत्र में सुधार करने की क्षमता है. इसके अलावा यह कब्ज से निजात दिलाने में भी उपयोगी है. इस पेय में मौजूद फाइबर आंतो में जाम मल को नरम करता है और आसानी से बाहर निकालने में मदद करती है.

Friday, 8 March 2019

ना दवाई, ना डॉक्टर घर बैठे ऐसे पहचानिए ब्रेस्ट कैंसर के लक्ष्ण

इस अभियान के चलते शहरी औरतों के साथ-साथ खास तौर पर ग्रामीण महिलाओं को जागरुक करने की कोशिश की जा रही है.


आज देशभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. जिसमें महिला सशक्तिकरण, सामान्य अधिकारों, और महिलायों से जुड़ी हर एक छोटी बड़ी बातों पर चर्चा की जा रही है. ऐसे में महिलाओं के स्वास्थ को लेकर हेल्थवायर ने ‘वी केयर फॉर शी’ नाम से अभियान चलाया. जिसके तहत 14 साल की उम्र से लेकर 60 साल की उम्र की औरतों को ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों से लेकर उनके उपचार के बारे में जागरुक किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में हर वर्ग की महिलायों ने भाग लिया साथ ही महिलायों के लिए काम कर रहे एनजीओे के वाल्‍टीयर्स को भी अमंत्रित किया गया. कार्यक्रम में हाल ही में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री के लिए अॉस्कर जीत कर आई स्नेहा और सुमन को सम्मानित किया गया.


इस अभियान के चलते शहरी औरतों के साथ-साथ खास तौर पर ग्रामीण महिलाओं को जागरुक करने की कोशिश की जा रही है. जिसमें अनुभवी डॉकटरों की मदद से बताया जा रहा है कि कैसे महिलाएं घर में ही ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों का पता लगा सकती हैं. इसके लिए हफ्ते में एक बार औरतों को हफ्ते में एक बार नहाने के समय अपने स्तन को हाथ के छू कर देखना होगा और इन खास बातों पर ध्यान देना होगा.

- स्तन में कहीं गांठ या सूजन तो नहीं है.

- किसी तरह की ऐलर्जी

- छूने पर दर्द का एहसास तो नही है.

- ब्रेस्ट के आकार में कोई असामान्य बदलाव.

- ब्रेस्ट के आस पास की त्वचा का छड़ना

- निपल में से किसी तरह का डिस्चार्ज होना.

अगर इनमें से कोई लक्षण महिलाओं को महसूस होते हैं तो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा हो सकता है. ऐसे में जल्द ले जल्द किसी प्रमाणित डॉक्टर की सलह ले. सही समय पर इलाज के जरिए ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकता है. अपोलो इंद्रप्रस्थ अस्पताल की डॉ रमेश सरीन ने बताया की भारत में महिलायों में बिमारियों का सबसे बड़ा करण है समय पर जांच न होना. खास तौर पर गांव में गांव में महिलाएं अपने स्वास्थ को लेकर खुल कर बात करने में झिझकती हैं. यहां तक की डॉक्टरों के सामने भी खुल कर अपनी तकलीफ नहीं बतातीं. ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि कितनी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जानती होंगी या फिर इसके बारे में अपने परिवार में बात करती होंगी. इस स्थति में महिलाओं को जागरुक करना बहुत जरुरी है.

Tuesday, 5 March 2019

हवा में प्रदूषण हर घंटे ले रहा है 800 लोगों की जान, एक साल में होती हैं इतनी लाख मौतें

जिनेवा : संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण एवं मानवाधिकारों के जानकार ने कहा है कि घर के अंदर और बाहर होने वाले वायु प्रदूषण के कारण हर साल करीब 70 लाख लोगों की मौत समय से पहले हो जाती है जिनमें छह लाख बच्चे शामिल हैं .हवा में प्रदूषण हर घंटे ले रहा है 800 लोगों की जान, एक साल में होती हैं इतनी लाख मौतें
6 अरब लोग ले रहे प्रदूषित हवा में सांस
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ डेविड बोयड ने कहा कि करीब छह अरब लोग नियमित रूप से इतनी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं कि इससे उनका जीवन और स्वास्थ्य जोखिम में घिरा रहता है. पर्यावरण एवं मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक ने सोमवार को मानवाधिकार परिषद से कहा, “इसके बावजूद इस महामारी पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है क्योंकि ये मौतें अन्य आपदाओं या महामारियों से होने वाली मौतों की तरह नाटकीय नहीं हैं.” 
हर घंटे मरते हैं 800 लोग 
बोयड ने कहा, “हर घंटे 800 लोग मर रहे हैं जिनमें से कई तकलीफ झेलने के कई साल बाद मर रहे हैं, कैंसर से, सांस संबंधी बीमारी से या दिल की बीमारी से जो प्रत्यक्ष तौर पर प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण होती है.” कनाडा की ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बोयड ने कहा कि स्वच्छ हवा सुनिश्चित नहीं कर पाना स्वस्थ पर्यावरण के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि यह वे अधिकार हैं जिन्हें 155 देशों ने कानूनी मान्यता दी है और इसे वैश्विक मान्यता प्राप्त होनी चाहिए. 

Saturday, 2 March 2019

पनीर बनाने के अलावा भी फटे हुए दूध के हैं कई फायदे, इन बीमारियों को रखेगा दूर

पनीर बनाने के अलावा भी फटे हुए दूध के हैं कई फायदे, इन बीमारियों को रखेगा दूर
नई दिल्ली: कई लोग ऐसा मानते हैं कि फटा हुआ दूध खराब होता है या फिर उसका इस्तेमाल केवल पनीर बनाने के लिए किया जा सकता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि फटा हुआ दूध कई अलग मायनों में भी आपके  शरीर के लिए फायदेमंद होता है. जितने फायदे नॉरमल दूध के होते हैं उतने ही फायदे फटे हुए दूध के भी होते हैं. 
चाहे दूध कच्चा हो, उबला हुआ या फटा हुआ, उसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है लेकिन दूध के फटने पर उसमें खटास आने के कारण उसका टेस्ट अच्छा नहीं लगता और दूध फट जाना एक बहुत ही सामान्य बात है. लेकिन फटे हुए दूध का इस्तेमाल कर आप  कई फायदे पा सकते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि फटे हुए दूध के क्या फायदे हैं. 
प्रतिरक्षक तंत्र करे मजबूत
फटे हुए दूध के पानी में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है. यह पानी आपके लिए काफी लाभदायक है. जैसे- इस पानी से मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है. इससे इम्यून पॉवर विकसित होता है. इस पानी में रोगों से लड़ने की भी क्षमता होती है, और इससे ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल रहते है. इसके पानी से शरीर पर किसी भी तरह का कोई बुरा प्रभाव नही पड़ता है.     
कॉलेस्ट्रोल को करे कंट्रोल
कई रिसर्च में ये सामने आया है कि नियमित तौर पर फटे हुए दूध का सेवन करने से कॉलेस्ट्रोल का स्तर नियंत्रित रहता है. आपको बता दें, अगर कॉलेस्ट्रोल नियंत्रण में रहता है तो हार्ट अटैक और स्ट्रॉक आने की सम्भावना कम हो जाती है. 
आटे को बनाए नरम
आप इस पानी का प्रयोग आटे को गूंदने के लिए भी कर सकते हैं, जिससे बनने वाली रोटियां बहुत नरम व मुलायम हो जाती हैं, तथा इसका स्वाद भी बढ़ जाता है. इसके साथ ही आपको इससे भरपूर प्रोटीन भी मिलेगा. आपको बता दें इस पानी को थेपला या आटे मे डालकर कई प्रकार के व्यंजन बनाने के लिए भी काम मे लिया जाता है. दूध रक्तसंचार को दुरुस्त रखता है, जिससे त्वचा की कोशिकाएं स्वस्थ रहती हैं. 
चेहरे के लिए भी उपयोगी
आप इस फटे हुए दूध को बेसन, हल्दी और चंदन में मिलाकर अपने चेहरे पर भी लगा सकते हैं. ये चेहरे को चमकदार बनाने में मदद करता है और त्वचा को भी कोमल बनाता है.
अंडे में मिला कर करें सेवन
फटे दूध के थक्कों को आप अंडे में मिक्स करके भी खा सकते हैं. इससे अंडा बहुत ही स्वादिष्ट लगता है. उबले अंडे को इसमें मिला कर खाने से ये ज्यादा टेस्टी लगता है. इसके सेवन से आपके शरीर को प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा भी ज्यादा मिलती है.