Monday, 3 December 2018

स्मार्टफोन और कंप्यूटर चलाते समय आपके सिर में हो रहा है दर्द तो हो जाएं चौकन्ने!

वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में सफलता हासिल हुई है कि स्मार्टफोन एवं कंप्यूटर कैसे आपके जीवन को प्रभावित कर रहा है.


वॉशिंगटन: वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में सफलता हासिल हुई है कि स्मार्टफोन एवं कंप्यूटर से निकलने वाली कृत्रिम रोशनी कैसे आपकी नींद को प्रभावित करती हैं. अब इन परिणामों के जरिए माइग्रेन, अनिद्रा, जेट लैग और कर्काडियन रिदम विकारों के नये इलाज खोजने में मदद मिल सकती है. अमेरिका के साल्क इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि आंखों की कुछ कोशिकाएं आस-पास की रोशनी को संसाधित करती हैं और हमारे बॉडी क्लॉक (कर्काडियन रिदम के तौर पर पहचान पाने वाली शारीरिक प्रक्रियाओं का रोजाना का चक्र) को फिर से तय करती हैं. ये कोशिकाएं जब देर रात में कृत्रिम रोशनी के संपर्क में आती हैं तो हमारा आंतरिक समय चक्र प्रभावित हो जाता है नतीजन स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियां खड़ी हो जाती हैं.


अनुसंधान के परिणाम ‘सेल रिपोर्ट्स’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. इनकी मदद से माइग्रेन (आधे सिर का दर्द), अनिद्रा, जेट लैग (विमान यात्रा की थकान और उसके बाद रात और दिन का अंतर न पहचान पाना) और कर्काडियन रिदम विकारों (नींद के समय पर प्रभाव) जैसी समस्याओं का नया इलाज खोजा जा सकता है. अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक इन विकारों को संज्ञानात्मक दुष्क्रिया, कैंसर, मोटापे, इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध, चयापचय सिंड्रोम और कई अन्य बीमारियों से जोड़ कर देखा जाता रहा है.

स्मार्टफोन यूजर हैं तो आप इन 10 बातों का ध्यान जरूर रखें, जानें क्या सही, क्या गलत
आज के दौर में आपके पास स्मार्टफोन का होना जितना आवश्यक है, उतनी ही आवश्यकता इसके सही तरीके से इस्तेमाल करने की भी है. आज की पीढ़ी के लिए स्मार्टफोन को एक दुरुपयोग वाले उपकरण के तौर पर भी देखा जाता है. इससे बचना जरूरी है. इसके लिए आपको कुछ खास बातों पर गौर करना होगा, इससे आप मोबाइल फोन को सही ढंग से चला सकेंगे और अपना खयाल भी रख सकेंगे.

लंबे समय तक स्मार्टफोन को चार्ज न करें
कभी भी अपने स्मार्टफोन को अधिक देर तक चार्ज में लगा कर न छोड़ दें. इससे आपका फोन अधिक गरम हो जाएगा. इसका हमेशा ध्यान रखें कि जैसे ही फुल चार्ज हो जाए, प्लग ऑफ कर दें. साथ ही कभी भी भीग चुके फोन को चार्जिंग में न लगाएं. उसे पहले अच्छी तरह सूखने दें.

कभी भी छाती से लगे शर्ट के पॉकेट में फोन न रखें
इस मुद्दे पर हालांकि काफी बहस होती रही है, लेकिन डॉक्टरों की यह सलाह है कि लोगों को मोबाइल फोन या कोई भी ट्रांसमिटिंग डिवाइस छाती के पास शर्ट के पॉकेट में नहीं रखनी चाहिए. यह बात आपके स्वास्थ्य से सीधे-सीधे जुड़ी है.

चार्ज होते समय इयरफोन लगा गाने न सुनें
हाल में दुनियाभर में कई ऐसी खबरें आईं कि चार्जिंग के दौरान लोग इयरफोन लगाकर गाने सुन रहे थे और हादसा हो गया. दरअसल ऐसा करने से इयरफोन के माध्यम से बिजली का झटका लग सकता है. यहां तक कि इस साल ऐसा करने से कई मौत की खबरें भी आई हैं.

स्मार्टफोन के पास कभी न सोएं
इस बात का खास ध्यान रखें कि जहां आप सो रहे हैं वहां पास में कोई स्मार्टफोन तो नहीं. हमेशा सोते समय इसे अपने से दूर रखें. कभी भी स्मार्टफोन को तकिए के नीचे न रखें. यह न सिर्फ जोखिम भरा है, बल्कि इस पर यह बहस भी हुई है कि मोबाइल सिग्नल दिमाग पर असर डालता है.

धूप से हमेशा स्मार्टफोन को बचाए रखें
विशेषज्ञों का मानना है कि स्मार्टफोन को तेज धूप से बचा कर रखना चाहिए. खासकर जब फोन चार्जिंग में लगा हो तब इसका खास खयाल रखना चाहिए. दिन में कार के डैशबोर्ड या किसी गर्म स्थान पर मोबाइल रखकर चार्ज करने से बचना चाहिए. इससे आपका फोन अधिक गरम हो जाएगा. मोबाइल फोन के लिए सहन करने योग्य तापमान 0 डिग्री से 45 डिग्री सेंटीग्रेड तक है.

कभी भी सस्ते एडॉप्टर से फोन चार्ज न करें
हमेशा इस बात का खास ध्यान रखें कि अपने स्मार्टफोन को उसके साथ मिले चार्जर से ही चार्ज करें. अगर चार्जर खो जाए तो हमेशा ब्रांडेड चार्जर ही खरीदें. सस्ते चार्जर या एडॉप्टर से फोन को चार्ज न करें. सस्ते और नकली चार्जर सबसे बड़े जोखिमों में से एक हैं.

चार्ज करते समय फोन का कवर हटाना न भूलें
जब भी आप अपने स्मार्टफोन को चार्ज करें, फोन के कवर या केस को हटा दें. इससे चार्जिंग के समय फोन के ओवर हीट यानी अधिक गरम हो जाने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

अज्ञात सोर्स से ऐप डाउनलोड न करें
तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि कभी भी अज्ञात सोर्स या प्लेटफॉर्म से मोबाइल ऐप डाउनलोड नहीं करनी चाहिए. ऐसे ऐप न सिर्फ आपके फोन से डाटा चोरी कर सकते हैं बल्कि, आपके फोन को ऐसा डैमेज कर सकते हैं जिसे ठीक भी नहीं किया जा सकेगा. हमेशा आधिकारिक या सही माध्यम से ऐप डाउनलोड करें.

स्मार्टफोन को हमेशा लॉक रखें
जैसा कि सभी जानते हैं कि स्मार्टफोन में व्यक्तिगत जानकारियां होती हैं. ऐसे में हमेशा यह सलाह दी जाती है कि अपने स्मार्टफोन को सुरक्षित रखने के लिए उसे लॉक रखें. फोन को आप बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन जैसे फिंगरप्रिंट या कठिन पासवर्ड से लॉक रख सकते हैं.

Friday, 30 November 2018

अमेरिका की तरह भारत में भी जंक फूड के कारण लोग हो रहे डायबिटीज का शिकार : डॉ. सुभाष चंद्रा

जयपुर में नेत्र चिकित्सकों के इस सम्मेलन में पूरे देश से तकरीबन 650 नेत्र चिकित्सक और विदेशों से लगभग 30 सदस्य शामिल हो रहे हैं.


देश में डायबिटीज के मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. इसी के चलते ज्यादातर लोगों को आंखों से जुड़ी बीमारी अपनी जद में ले रही है. इसी विषय पर बातचीत और जागरुकता फैलाने के लिए जयपुर में नेत्र चिकित्सकों की VRSI की कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा रही है. इसके शुभारम्भ के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर राज्यसभा सांसद डॉ सुभाष चंद्रा इस कार्यक्रम में पहुंचे. नेत्र चिकित्सकों के इस सम्मेलन में पूरे भारत से तकरीबन 650 नेत्र चिकित्सक और विदेशों से लगभग 30 सदस्य शामिल हो रहे हैं. सामान्य बोलचाल में इन चिकित्सकों को पर्दा रोग विशेषज्ञ कहा जाता है. यह वे चिकित्सक हैं जो आंखों के अति महत्वपूर्ण और भाग, दृष्टि से संबंधित बीमारियों का इलाज करते हैं.

इस मौके पर राज्यसभा सांसद डॉ. सुभाष चंद्रा ने बताया कि जब भी उन्हें कोई दिक्कत होती है और वह  दवाई लेते हैं तो उन्हें कभी भी दवाइयों का नाम याद नहीं रहता. यही मरीज और डॉक्टर के बीच एक विश्वास का रिश्ता होता है. डॉ. चंद्रा ने कहा कि ये चिंता की बात है कि देश मे नेत्र चिकित्सकों की कमी है. अमेरिका की तरह भारत में भी लोग जंक फूड खा रहे हैं और डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम बीमारियों को लेकर तो बात करते हैं,  लेकिन बेहतर लाइफस्टाइल को लेकर बात नहीं करते.

डॉ. सुभाष चंद्रा से जब चिकित्सकों ने हेल्थ चैनल को लेकर पूछा तो उन्होंने बताया कि भारत में तो नहीं, लेकिन अमेरिका में ज़ी लिविंग के नाम से इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है. योगा दिवस पर वहां यो 1 नाम से वेलनेस सेंटर की शुरुआत की गई है, जहां योगा, आयुर्वेद को लेकर बहुत कुछ प्रयोग किये जा रहे हैं, जिसके जरिये लोग बेहतर लाइफस्टाइल जी सकें और स्वस्थ्य रहें. उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद डॉक्टर्स से अपील करते हुए कहा कि जिस मुल्क में चिकित्सकों को भगवान का दर्जा दिया जाता हो वहां के चिकित्सकों को लोगों से बेहतर लाइफ स्टाइल जीने की अपील करनी चाहिए.

थूक, लार, कपड़े से फैलती है ये बीमारी, WHO ने बताया दूसरी सबसे बड़ी महामारी

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कांगो में फैली इबोला बीमारी अब तक के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी महामारी है. कुछ साल पहले फैली ये महामारी पश्चिमी अफ्रीका में हजारों लोगों की जान ले चुकी है.

जोहान्सबर्ग : विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कांगो में फैली इबोला बीमारी अब तक के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी महामारी है. कुछ साल पहले फैली ये महामारी पश्चिमी अफ्रीका में हजारों लोगों की जान ले चुकी है.


426 पहुंची मामलों की संख्या
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉ. पीटर सलामा ने गुरुवार को इसे मुश्किल की घड़ी बताया. कांगो के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इबोला के मामलों की संख्या 426 पहुंच गई है. इनमें 379 मामलों की पुष्टि कर दी गई है जबकि 47 लोगों के इसकी चपेट में आने का संदेह है.

रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र मिशन कर रहा काम
विद्रोही समूहों के हमले और स्थानीय लोगों के विरोध के चलते स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इबोला से निपटने के लिए अब तक की गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इबोला की रोकथाम के लिए कई कोशिशों को संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के साथ अंजाम दिया जा रहा है, लेकिन रोजाना होती गोलीबारी से इन प्रयासों में बाधा उत्पन्न हो रही है.

क्या है इबोला के लक्ष्ण
इबोला एक संक्रामक और घातक बीमारी है जो विषाणु के जरिए फैलती है. तेज बुखार और गंभीर आंतरिक रक्तस्राव इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं. यह इबोला से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, थूक, लार आदि से यह बीमारी तेजी से फैलती है.

क्या करें, क्या ना करें...
इबालो के लक्ष्ण जैसे कि सिरदर्द, बुखार, दर्द, डायरिया, आंखों में जलन और/अथवा उल्‍टी की शिकायत हो तो तुरंत डॉक्टरों की सलाह लेनी चाहिए. विशेषज्ञों का मानना है कि इबालो का सही समय पर पता चलने पर और मरीज को उपचार मिलने पर इसे जड़ से खत्म किया जा सकता है. अगर आपके परिवार में किसी शख्स को यह बीमारी हो जाती है तो उससे थोड़ी सी दूरी बनाकर ही रखिए. जहां तक संभव हो मुंह पर मास्क, हाथों में दस्ताने पहनने के बाद ही मरीज के पास जाएं.

कैंसर के इलाज में बेहतर साबित हो सकती है नई नैनो तकनीक : अध्ययन

जर्नल्स ऑफ एडवांस्ड मैटेरियल्स’ में प्रकाशित अनुसंधान रिपोर्ट के मुताबिक इस रक्त जांच में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का पता लगाने और निगरानी करने की क्षमता है.


लंदन : देश-दुनिया में कैंसर जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहे लोगोंं के लिए राहत की खबर है. वैज्ञानिकों ने कैंसर पीड़ित लोगों के लिए ऐसा डिवाइस विकसित किया है, जिससे मरीज के खून की जांच होगी और सूक्ष्म कणों का इस्तेमाल कर कैंसर का पता लगाया जा सकेगा. खून के विश्लेषण के लिए ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई इस तकनीक से अब तक अज्ञात रहे अणुओं को पहचानने में मदद मिलेगी.



‘जर्नल्स ऑफ एडवांस्ड मैटेरियल्स’ में प्रकाशित अनुसंधान रिपोर्ट के मुताबिक, इस खून की जांच में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का पता लगाने और निगरानी करने की क्षमता है. किसी बीमारी की प्रतिक्रिया के रूप में रक्त प्रवाह में छोड़े गए मार्करों का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है क्योंकि वे बहुत छोटे होते हैं और संख्या में बहुत कम होते हैं.

अध्ययन से पता चला है कि छोटे अणु - विशेष रूप से प्रोटीन - कैंसर रोगियों के रक्त परिसंचरण में सूक्ष्म कणों के साथ चिपके रहते हैं. मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से मारिलेना हडजिडेमेट्रियो ने कहा, "कई रक्त जांचों में अस्पष्टता एक समस्या है जो या तो रोग का पता लगाने में विफल रहती हैं या झूठी सकारात्मक और झूठी नकारात्मक जानकारी देती हैं." उन्होंने कहा कि यह नई तकनीक बड़ा बदलाव लाने वाली साबित हो सकती है.

आखिरकार क्या है कैंसर
कैंसर एक जानलेवा बीमारी है. कैंसर के जानलेवा होने का मुख्य कारण ये है कि मरीज को इसके लक्ष्णों का बहुत देरी में पता चलता है, जिसके कारण यह गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है. कुछ मामलों में कैंसर का सही समय पर पता चलने पर इलाज संभव है, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह इंसान की जान ले लेती है.

ये हैं कैंसर की अवस्थाएं

- डॉक्टरों के मुताबिक पहली और दूसरी अवस्था में किसी भी इंसान में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है. इस ट्यूमर के टिश्यूज की गहराई का सही समय पर पता चलने पर इसका इलाज संभव है.

- तीसरी अवस्था में शरीर में कैंसर का ट्यूमर विकसित हो चुका होता है और इसके शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने की संभावना 100फीसदी तक रहती है.

- चौथी अवस्था कैंसर की आखिरी अवस्था होती है. इसमें कैंसर अपने शुरुआती हिस्से से अन्य अंगों में फैल जाता है. इसे विकसित या मैटास्टेटिक कैंसर कहा जाता है. इस अवस्था में इलाज और देखभाल मिलने के बावजूद मरीज की मौत हो जाती है.

मोटापा कम करना चाहते हैं! अपनाएं ये 7 हेल्दी आदतें, 15 दिन में दिखेगा फर्क

 नई दिल्ली: मोटापा आपकी पर्सनालिटी पर खराब असर तो डालता ही है, कई रोगों को दावत भी देता है. इसमें डायबिटीज, हृदय रोग प्रमुख हैं. समय पर खाना न खाना, अनियमित जीवनशैली इसको बढ़ावा देती है. अगर आप मोटापा कम करना चाहते हैं तो सबसे पहले अपनी जीवनशैली में बदलाव कर लें. नियमित समय पर जगना, योगा, समय पर खाना जरूरी शामिल कर लें. आइए ऐसी ही 9 हेल्दी आदत पर नजर डाल लेते हैं:

1. फाइबरयुक्त भोजन करें
फाइबर हमारे भोजन का अहम हिस्‍सा है. फाइबर से शरीर को न केवल ऊर्जा मिलती है बल्कि यह इंसुलिन के स्तर को भी कम करता है. आपको रोजाना 25-35 ग्राम फाइबर एक दिन में लेना चाहिए. इसलिए अपने आहार में उच्च फाइबरयुक्त वाली चीजें शामिल करें. इससे कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रित होता है. अंकुरित अनाज, चोकर, फल व सब्जियां, दाल व बींस में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

2. प्रोटीन और सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं
प्रोटीन और सब्जियां शरीर के वसा को कम करते हैं, खास करके उस समय भी जब आप व्यायाम नहीं करते. प्रोटीन हमारे शरीर के विकास और स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है. बिना प्रोटीन के त्वचा, रक्त, मांसपेशियों, और हड्डियों की कोशिकाओं का विकास नहीं हो सकता. प्रोटीन-युक्त भोजन पर्याप्त मात्रा में लेने से हमारे शरीर का मेटाबोलिज्म ठीक रहता है. शरीर में ऊर्जा बनी रहती है, और ब्लड सुगर का स्तर नियंत्रण में रहता है. मटर, दाल, राजमा, बीन्स, पनीर, दूध, अंडा में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है. इन्हें अपने आहार में जरूर शामिल कर लें.

3. कम कॉर्बोहाइड्रेट वाला भोजन लें
कार्बोहाइड्रेट शरीर को शक्ति देने का प्रमुख स्रोत होते हैं लेकिन इनकी अधिकता कई जानलेवा रोगों का कारण भी बन सकती है. डायबिटीज इसमें से प्रमुख है. कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार मोटापा घटाने में बहुत मददगार होता है. कम कार्बोहाइड्रेट का मतलब आहार में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होना है. हमें ऐसे खाद्य पदार्थ लेने चाहिए जिसमें प्रोटीन ज्यादा हो, कार्ब की मात्रा कम हो. पनीर, अंकुरित अनाज, दूध, सोयाबीन ऐसे ही पदार्थ है जिन्हें अपनी डाइट में जरूर लें. कम पोषण वाले आहर जैसे पास्ता, ब्रेड, चावल, आलू या तले खाद्य पदार्थ का सेवन कम से कम करें.

4. अपना डाइट चार्ट जरूर बनाएं
अगर आप खुद को फिट रखना चाहते हैं और मोटापा से छुटकारा पाना चाहते हैं तो अपना डाइट चार्ट जरूर बनाएं और उसका ईमानदारी से पालन करें. डाइट चार्ट में हेल्दी आहार शामिल करें. यह भी तय करें कि आप उतनी ही कैलोरी का आहार लेंगे, जितनी आपके शरीर को जरूरत है. सुबह उठकर पानी का सेवन करें, नाश्ते में अंडे, उबली सब्जियां, चुकंदर ले सकते हैं. नाश्ते के 3 घंटे बाद कोई पेय पदार्थ लें. दोपहर के भोजन पोषणयुक्त होना चाहिए ताकि आपका वजन नियंत्रण में रहे. स्नैक्स और रात के खाना भी डाइट चार्ट के अनुसार लें.
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5. प्रचुर मात्रा में पानी पिएं
पानी आपके शरीर के माध्यम से पोषक तत्व देता है. इसलिए अगर आप फिट रहना चाहते हैं तो प्रचुर मात्रा में पानी पिएं. फिट रहने के लिए एक दिन में कम से कम डेढ़ से तीन लीटर पानी पिएं. हाई कैलोरी ड्रिंक्स मसलन सोडा, जूस का सेवन कम करें लेकिन चाय या कॉफी बिना क्रीमर के ले सकते हैं.

6. रोज तीन मिनट दौड़ें
रोजाना तीन मिनट दौड़ने से भी मोटापा कम करने में मदद मिलेगी. तेजी से पैदल चलने से आपका वजन तेजी से कम होता है. अगर आपने इसे 15 दिन तक फॉलो करें तो आपको उसका असर जरूर दिखाई देगा. पैदल चलने की आदत डाल लें. लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों से जाएं. साइक्लिंग भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है. योगा करना भी फायदेमंद साबित होगा.

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7. भरपूर नींद लें
शरीर में वसा को कम करने की कई प्रक्रियाएं उस समय होती हैं, जब आप सो रहे होते हैं. इसलिए 6-8 घंटे गहरी नींद लें. एक नए अध्ययन के मुताबिक, कम सोने से वजन बढ़ सकता है. उसकी एक वजह तो यह है कि जगे रहने से भूख भी लगती है, बल्कि पाचन क्रिया धीमा होने से कैलरी खर्च होने की रफ्तार घट जाती है, शरीर को कम ऊर्जा की जरूरत होती है.






मोटापा आपकी पर्सनालिटी पर खराब असर तो डालता ही है, कई रोगों को दावत भी देता है.

Thursday, 29 November 2018

पोलियो वैक्सीनेशन की दिशा में बड़ा कदम, ऐसे जड़ से खत्म हो सकती है बीमारी!

शोधकर्ताओं ने कहा कि चूहों पर परीक्षण करने पर निष्कर्ष निकला कि यह नई दवाई पोलियो के विषाणु से पूरी तरह रक्षा करती है.


नई दिल्ली : वैज्ञानिकों ने पोलियो की एक नई दवाई बनाई है जिसे फ्रिज में रखने की जरूरत नहीं है और इसे दुनियाभर में कहीं भी उपयोग किया जा सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि पोलियो के शिकार मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना (यूएससी) के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई इंजेक्शन के माध्यम से दी जाने वाली दवाई पाउडर के रूप में जमी हुई और सूखी है और इसे सामान्य तापमान पर चार सप्ताह तक रखा जा सकता है जिसे बाद में रिहाइड्रेट भी किया जा सकता है.

शोधकर्ताओं ने कहा कि चूहों पर परीक्षण करने पर निष्कर्ष निकला कि यह नई दवाई पोलियो के विषाणु से पूरी तरह रक्षा करती है.यूएससी के के स्कूल ऑफ मेडीसिन में मुख्य शोधकर्ता वू-जिन शिन ने कहा, "स्थिरीकरण कोई रॉकेट विज्ञान नहीं है इसलिए ज्यादातर वैज्ञानिक इस क्षेत्र में ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं."


शिन ने कहा, "हालांकि, किसी दवाई या टीका के शानदार होने से तब तक फर्क नहीं पड़ता जब तक एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में वह ठीक न हो." यह शोध एनबायो में प्रकाशित हुआ है.


वैज्ञानिकों ने सूखा कर नमी खत्म करके चेचक, टाईफाइड और मेनिंगोकोकल बीमारियों के लिए सामान्य तापमान में स्थिर रहने वाले टीके बनाए, लेकिन वैज्ञानिक पोलियो के लिए ऐसा टीका नहीं बना सके जो जमाने-सुखाने के बाद दोबारा नम मौसम में प्रभावशाली बनी रह सके.

(इनपुटः आईएएनएस)
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Wednesday, 28 November 2018

क्या आप डायबिटिक हैं? अपने दिन की शुरुआत करें 3 तरह के डायबिटिक फ्रेंडली डिशेस से

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) के मुताबिक यह आदत बना सकती है आपको ज्यादा स्वस्थ, आइए जानतेे हैं क्या हैंं... 

नई दिल्ली: किसी ने सच ही कहा है कि ब्रेकफास्‍ट राजा की तरह, लंच राजकुमार की तरह और डिनर गरीब की तरह करना चाहिए. ये काफी हद तक सही भी है, क्‍योंकि नाश्ता हमारे दिन का सबसे अहम हिस्सा है. जो कि हमें पूरे दिन काम करने की ताकत और स्फूर्ति देता है. डिनर के बाद से रात भर में हमारी बॉडी को फास्टिंग मोड से बाहर लाने के लिए नाश्ता बेहद जरूरी है. अगर आप डायबिटिक हैं तो आपका नाश्ता आपको बड़ी मुसीबतों से बचा सकता है. आज हम डायबिटीज से मुकाबला करने वाली ऐसी कुछ टेस्टी डिशेज का खजाना आपको बताने जा रहे हैं.

रात भर की भूख के बाद दिन की शुरुआत करने के लिए हमें काफी ऊर्जा की जरुरत पड़ती है जो सुबह के नाश्ते से पूरी होती है. इसलिए ये भी जरूरी है कि हमारा नाश्ता टेस्टी के साथ हेल्दी भी हो. अगर आप डायबिटिक हैं तो आपके लिए ये बात और भी जरुरी हो जाती है. क्‍योंकि नाश्ते में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (glycaemic index) वाले खाने से शरीर में ब्‍लड शुगर लेवल संतुलित रखने में मदद मिलती है.

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) के मुताबिक नाश्ते में पीनट बटर या आलमंड (बादाम) बटर खाने से शरीर में प्रोटीन (Protein) और कार्बोहाईड्रेट (Carbohydrate) की मात्रा संतुलित रहेगी. तो फिर देर किस बात की, आइए जानते हैं कि कैसे हम अपनी सुबह को बना सकते हैं लाजवाब.

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फोटो साभार : @FoodFlicker - Twitter

बनाना ओट ब्रेड (Banana Oat Bread)

आम तौर पर ब्रेड को नाश्ते का प्रधान माना जाता है और कई घरों में इसका हर रोज सुबह नाश्ते में इस्तेमाल भी होता है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि ज्यादातर ब्रेड मैदा से बनी होती हैं. जिसमें कार्ब्स तो बहुत होता ही है, साथ ही उसमें फाइबर और बाकी जरूरी पोषक तत्वों की भी कमी होती है. जो कि ब्लड शुगर लेवल के लिए ठीक नहीं है. इसलिए अब केले और ओट ब्रेड को अपनी डाइट में शामिल कर एक स्वस्थ दिन की शुरुआत करें. इस मील की खास बात है इसमें मौजूद फाइबर, प्रोटीन और हेलदी फैट जो शरीर को जादा से जादा उर्जा देने का काम करते हैं.

पालक पेनकेक्स(Spinach Pancakes)
ये मील उन सब्जियों से बनी है जो कि शरीर के भीतर मौजूद पानी में आसानी से घुल जाती है जिससे ब्लड शुगर लेवल पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इस मील की सामग्री में गेहूं का आंटा, दूध, दही, मशरुम और पालक का इस्तेमाल होता है. पालक इस मील में डायबिटिक लोगो के लिए सबसे फायदेमंद सब्जी है क्‍योंकि यह मील फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होती है.

फोटो साभाार : @EeYuva - Twitter

जई की इडली (Oats Idli)
ये मील हाई ब्लड प्रेशर(high blood pressure) वाले लोगों के लिए सबसे अच्छे फूड्स में से है जिसे आप अपनी हाइपरटेंशन डाइट(hypertension diet) में भी शामिल कर सकते हैं. यह स्वादिष्ट, हलकी और मुलायम इडली जई(oats) से बनाई जाती है जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी है. जई फाइबर से भरपूर होती है जो कि ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने में एक अहम् भूमिका निभाती है.