Monday, 31 December 2018

Medical News Today: Can exercise lower blood pressure as effectively as drugs?

Millions of people live with high blood pressure, which can place them at risk of developing cardiovascular diseases. For this condition, doctors typically prescribe blood-lowering drugs, but could exercise help just as well?

people jogging
A new study suggests that exercise can be just as effective as drugs when it comes to keeping blood pressure under control.

According to the Centers for Disease Control and Prevention (CDC), approximately 75 million adults in the United States have to manage high blood pressure, where it exceeds the threshold of 140 millimeters of mercury (mm Hg).

The condition can increase their risk of developing heart disease or experiencing a stroke, both of which are leading causes of death in the U.S.

Moreover, high blood pressure drives an expense of around $48.6 billion per year nationally, including the cost of medication, accessed health care, and absence from work.

People with high blood pressure typically follow an antihypertensive or blood pressure-lowering treatment, which includes special medication. At the same time, specialists sometimes advise that people make lifestyle changes to help them manage their blood pressure.

One such change is to take regular, structured exercise that can be of several types:

    endurance exercises, such as walking, jogging, or swimming
    high-intensity interval training, involving short bursts of intensive exercise
    dynamic resistance, including strength training
    isometric resistance, such as the plank exercise
    a combination of endurance and resistance exercises

However, no studies have yet compared the effectiveness of physical activity in lowering blood pressure with that of antihypertensive medication.

A new study in the British Journal of Sports Medicine — a BMJ publication — aims to address this gap in the literature.
Findings indicate similar effects

Since there are no studies that directly compare the effects of blood pressure medication with those of structured exercise, the study analyzed the data of various research projects that focused on one or other of these approaches.

The researchers — from institutions across Europe and the U.S., including the London School of Economics and Political Science in the United Kingdom, and the Stanford University School of Medicine in California — explain that structured exercise helps lower systolic blood pressure, which measures the blood pressure in the blood vessels as the heart beats.

In the current study, they looked at the data from 194 clinical trials that focused on antihypertensive drugs and their impact on systolic blood pressure, and another 197 clinical trials, looking at the effect of structured exercise on blood pressure measurements. In total, these trials collected information from 39,742 participants.

Dr. Huseyin Naci — from the Department of Health Policy at the London School of Economics and Political Science — and colleagues conducted several sets of analyses on the data from the trials.
High blood pressure control with 'exercise in a pill'
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Could a new pill give you the benefits of exercise and help reduce your blood pressure?
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First, they compared the effects of all types of antihypertensive drugs with those of all kinds of exercise. Then, they looked at specific drug types versus specific types of exercise. Finally, they compared the impact of different exercise intensities with those of different drug dosages.

In the first instance, the investigators conducted these analyses by using data from healthy participants with normal blood pressure. Then, they repeated them with data from individuals with high blood pressure only.

They found that antihypertensive drugs were more effective in lowering blood pressure than structured exercise in the case of the general population. However, when they looked specifically at people with high blood pressure, they saw that exercise was as effective as most blood-lowering medication.


Moreover, the study authors concluded that there is "compelling evidence that combining endurance and dynamic resistance training was effective in reducing [systolic blood pressure]."
More exercise is beneficial

Still, the research team cautions that they based their analyses on many small-scale trials, and others should replicate their results with more extensive studies.

Dr. Naci and colleagues also strongly advise against giving up on antihypertensive medication and replacing it with exercise.

"We don't think, on the basis of our study, that patients should stop taking their antihypertensive medications," the researcher says in a podcast in which he speaks about the current research.

"But," Dr. Naci adds, "we hope that our findings will inform evidence-based discussions between clinicians and their patients."


The lead researcher notes that many people in the U.S. and throughout Europe lead sedentary lives and that they would benefit from taking more exercise.

At the same time, however, he emphasizes that doctors should make sure their patients can adhere to prescribed exercise regimens.

    "It's one thing to recommend that physicians start prescribing exercise to their patients, but we also need to be cognizant of the resource implications and ensure that the patients that have been referred to exercise interventions can adhere to them and so really derive benefit."

    Dr. Huseyin Naci

Saturday, 15 December 2018

अगर घर में हैं बुर्जुग तो दिखाएं उनको फिल्म और ले जाइए बाहर घुमाने नहीं तो...

ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की वरिष्ठ रिसर्च एसोसिएट डेजी फैनकोर्ट ने कहा, लोग मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ते हैं


लंदन: सिनेमा, थिएटर या संग्रहालय जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों के नियमित रूप से संपर्क में रहने से बुजुर्ग अवसाद से दूर रह सकते हैं. एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है. अवसाद एक बड़ा मुद्दा है, जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं, विशेषकर बुजुर्ग. अध्ययन में सामने आया कि वे लोग जो प्रत्येक दो-तीन महीने में फिल्में, नाटक या प्रदर्शनी देखते हैं, उनमें अवसाद विकसित होने का जोखिम 32 फीसदी कम होता है, वहीं जो महीने में एक बार जरूर यह सब चीजें करते हैं उनमें 48 फीसदी से कम जोखिम रहता है.

ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की वरिष्ठ रिसर्च एसोसिएट डेजी फैनकोर्ट ने कहा, "लोग मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ते हैं लेकिन हमें इसके व्यापक फायदों के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है. "ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकियाट्री में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इन सांस्कृतिक गतिविधियों की शक्ति सामाजिक संपर्क, रचनात्मकता, मानसिक उत्तेजना और सौम्य शारीरिक गतिविधि के संयोजन में निहित है, जो उन्हें प्रोत्साहित करती है.

फैनकोर्ट के मुताबिक, अगर हम तनाव या कुछ अलग सा महसूस करना शुरू कर देते हैं तो सांस्कृतिक जुड़ाव वह सामान्य चीज है, जिससे हम हमारे मानसिक स्वास्थ्य की सक्रिय रूप से मदद कर सकते हैं ताकि वह उस बिंदु तक न पहुंचे, जहां हमें किसी पेशेवर चिकित्सा मदद लेने की जरूरत आ पड़े. अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने 50 से ज्यादा की उम्र के 2,48 से अधिक लोगों का अध्ययन किया. 

Thursday, 13 December 2018

प्री-मैच्योर बेबी की सेहत के लिए मददगार साबित हो रही है कैफीन : शोध

शोधकर्ताओं द्वारा ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय और माउंट सिनाई अस्पताल के साथ मिलकर कनाडा के 26 एनआईसीयू से मिले आंकड़ों को संसाधित किया गया.


टोरंटो: निर्धारित समय से पूर्व जन्मे बच्चों (प्री-मैच्योर बेबी) को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वजन कम होना, शारीरिक विकास कमजोर होना ऐसी आम समस्याएं समयपूर्व जन्मे बच्चों के साथ जुड़ी रहती हैं. वहीं, हाल ही में एक शोध में यह जानकारी दी गई है कि अगर इन बच्चों को कैफीन की निश्चित मात्रा प्रतिदिन दी जाए, तो उनके मस्तिष्क विकास और श्वसन प्रणाली में सहायता मिल सकती है. इन शोधकर्ताओं में एक वैज्ञानिक भारतीय मूल का है.

29 सप्ताह से पहले जन्मे बच्चों पर किया गया शोध
कनाडा के केलगेरी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया कि 29 सप्ताह से पहले जन्मे बच्चों को नवजात गहन चिकित्सा कक्ष (एनआईसीयू) में कैफीन की निश्चित मात्रा दी गई, ताकि वे अपना जीवन बेहतर संभव तरीके से प्रारंभ कर सकें. यह शोध जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुआ है. इस विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर अभय लोढ़ा ने कहा, ''एनआईसीयू में एंटीबायोटिक्स के पश्चात कैफीन सर्वाधिक प्रभावकारी औषधि है.''
उन्होंने कहा, ''महत्त्वपूर्ण यह है कि हमने कैफीन से चिकित्सा के प्रयोग के दीर्घावधि वाले प्रभावों को समझा एवं यह सुनिश्चित किया कि न केवल शिशुओं की उत्तरजीविता हो अपितु उनका जीवन गुणवत्तापूर्वक भी हो.''

कैफीन चिकित्सा के नहीं दिखे नकारात्मक प्रभाव
शोधकर्ताओं द्वारा ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय और माउंट सिनाई अस्पताल के साथ मिलकर कनाडा के 26 एनआईसीयू से मिले आंकड़ों को संसाधित किया गया. उन्होंने पाया कि शुरूआती कैफीन चिकित्सा के तंत्रिका तंत्र विकास पर दीर्घावधि वाले नकारात्मक प्रभाव नहीं है. यह वास्तव में बेहतर संज्ञानात्मकता से संबंधित है और सुनने की अक्षमता एवं मिर्गी की परेशानियों को कम करती है. दल ने 18 से 24 महीने की आयु तक पहुंचे शिशुओं से मिले आंकड़ों का परीक्षण किया.

सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है हरा लहसुन, कई बीमरियों को रखता है दूर

हरे लहसुन में मौजूद पॉलीसल्फाइड भी भरपुर मात्रा में मौजूद होता है, जो इंसान को दिल की बीमारियों से बचाता है. इसके अलावा इसमें मैग्जीन की भी उच्च मात्रा होती है


नई दिल्ली: सर्दियों में सबसे खास बात होती है सर्दियों में मिलने वाली सब्जियां. इन्ही सब्जियों में से एक है हरी लहसुन. हरी लहसुन भी देखने में काफी हद्द तक हरे प्याज की तरह ही नजर आती है. वैसे तो लहसुन का प्रयोग दाल और सब्जियों में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है लेकिन इसकी पत्तियों से बनी सब्जी भी स्वाद में कुछ कम नहीं है और साथ ही ये सेहत के लिए भी फायदेमंद है. तो चलिए आपको बताते हैं हरा लहसुन खाने के कुछ फायदे-

आयरन का अच्छा स्त्रोत
किसी भी व्यक्ति के शरीर में विटामिन सी, मेटाबॉलिज्म में आयरन को बढ़ाने का काम करता है, इस बारे में तो आपको मालुम होगा लेकिन हरे लहसुन में मौजूद प्रोटीन फेरोपॉर्टिन कोशिका के बाहर से कोशिका के अंदर तक आयरन को संग्रहित करता है, जिसकी मदद से शरीर को आवश्यकतानुसार आयरन मिलता रहता है.

गुड कॉलेस्ट्रोल बढ़ाए
हरे लहसुन में मौजूद पॉलीसल्फाइड भी भरपुर मात्रा में मौजूद होता है, जो इंसान को दिल की बीमारियों से बचाता है. इसके अलावा इसमें मैग्जीन की भी उच्च मात्रा होती है, जो गुड कॉलेस्ट्रोल से जुड़ी होती है औऱ दिल को संतुलित रखने का काम करती है.

ब्लड शुगर को भी रखे नियंत्रित
यदि आपको हाई शुगर की परेशानी है तो हरे लहसुन आपकी हाई शुगर को कम करने में भी सहायक है. लहसुन की पत्तियों के सेवन से आपको फायदा होता है. डायबिटीज के रोगियों को इसका अवश्य ही सेवन करना चाहिए. ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए भी यह एक दवा की तरह काम करता है. हाई ब्लडप्रेशर को कम करने के लिए भी इसका सेवन करना फायदेमंद माना जाता है.

श्वसन तंत्र को करे मजबूत
सांस संबंधी समस्या होने पर भी सर्दियों में इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है. इससे श्वासन तंत्र की कार्य प्रणाली भी बेहतर होती है.

एक अच्छा एंटीसेप्टिक
हरा लहसुन एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपुर होचा है. इस वजह से यह एक अच्छे एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है. किसी भी प्रकार के घाव को जल्दी भरने के लिए आप इसका प्रयोग कर सकते हैं.

ब्लड सर्कुलेशन को भी करे ठीक
दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में भी हरा लहसुन काफी सहयोगी होता है.

Monday, 10 December 2018

सर्दी-जुकाम से तुरंत राहत दिलाएंगे ये घरेलु नुस्खे

घरेलू उपायों से न सिर्फ सर्दी के जल्दी ठीक होने की संभावना रहती है बल्कि इसके नुकसान भी न के बराबर ही है. तो चलिए आज जानते हैं उन घरेलू नुस्कों के बारे में जिसको फोलो करने से आप सर्दी और जुकाम की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं.


नई दिल्ली : दिसंबर को महीना आते ही पूरे उत्तर भारत में सर्दियों ने दस्तक दे दी है. सर्दियां आते ही जुकाम, सर्दी, सिरदर्द की समस्या भी आ हो गई है. खांसी और नाक से निकलने वाला पानी देखा जाए तो वैसे कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन ये एक ऐसी बीमारी भी है जो शरीर को तोड़कर रख देती है और दिमाग कुछ भी सोचने पर परेशान हो उठता है. अमूनन देखा जाता है कि सर्दी और जुकाम जैसी बीमारियों में दवाईयों का असर भी बेहद कम होता है.

वैसे भी किसी ने कहा कि अगर आपको हेल्दी रहना है तो दवाईयां तभी लें, जब आपको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो. सर्दी और जुकाम से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका है घरेलू उपाए. घरेलू उपायों से न सिर्फ सर्दी के जल्दी ठीक होने की संभावना रहती है बल्कि इसके नुकसान भी न के बराबर ही है. तो चलिए आज जानते हैं उन घरेलू नुस्कों के बारे में जिसको फोलो करने से आप सर्दी और जुकाम की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं.

दूध और हल्दी: गर्म पानी या फिर गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से सर्दी जुकाम में तेजी से फायदा होता है. यह नुस्खा ना सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों के लिए भी कारगर साबित होता है. हल्दी एंटी वायरल और एंटी बैक्टेरियल होता है जो सर्दी जुकाम से लड़ने में काफी मददगार होता है.

अदरख की चाय: अदरख के यूं तो कई फायदे है लेकिन अदरख की चाय सर्दी-जुकाम में भारी राहत प्रदान करती है.  सर्दी-जुकाम या फिर फ्लू के सिम्टम में ताजा अदरख को बिल्कुल बारीक कर ले और उसमें एक कप गरम पानी या दूध मिलाए. उसे कुछ देर तक उबलने के बाद पीए. यह नुस्खा आपको सर्दी जुकाम से राहत पाने में तेजी से मदद करता है.

नींबू और शहद: नींबू और शहद के इस्तेमाल से सर्दी और जुकाम में फायदा होता है. दो चम्मच शहद में एक चम्मच नींबू का रस एक ग्लास गुनगुने पानी या फिर गर्म दूध में मिलाकर पीने से इसमें काफी लाभ होता है.

लहसुन: लहसुन सर्दी-जुकाम से लड़ने में काफी मददगार होता है. लहसुन में एलिसिन नामक एक रसायण होता है जो एंडी बैक्टेरियल, एंटी वायरल और एंटी फंगल होता है. लहसुन की पांच कलियों को घी में भुनकर खाए. ऐसा एक दो बार करने से जुकाम में आराम मिल जाता है. सर्दी जुकाम के संक्रमण को लहसुन तेजी से दूर करता है.

तुलसी पत्ता और अदरख: तुलसी और अदरख को सर्दी-जुकाम के लिए रामबाण माना जाता है. इसके सेवन से इसमें तुरंत राहत मिलती है. एक कप गर्म पानी में तुलसी की पांच-सात पत्तियां ले. उसमें अदरख के एक टुकड़े को भी डाल दे. उसे कुछ देर तक उबलने दे और उसका काढ़ा बना ले. जब पानी बिल्कुल आधा रह जाए तो इसे आप धीरे-धीरे पी ले. यह नुस्खा बच्चों के साथ बड़ों को भी सर्दी-जुकाम में राहत दिलाने के लिए असरदार होता है.

Sunday, 9 December 2018

डिप्रेशन का सबसे सरल और सस्ता इलाज, इंटरनेट पर जाएं और अपनाएं ये तरीका

इंटरनेट आधारित कई ऐप और वेबसाइटों ने अवसाद के उपचार का दावा किया.


वॉशिंगटन: वैज्ञानिकों ने पाया है कि आत्मनिर्देशित, इंटरनेट आधारित कई थैरेपी मंच अवसाद को प्रभावी तरीके से कम करते हैं. अमेरिका में इंडियाना विश्वविद्यालय (आईयू) के शोधकर्ताओं ने 4,781 प्रतिभागियों वाले, पहले के 21 अध्ययनों की समीक्षा की. बीते कई वर्ष में इंटरनेट आधारित कई ऐप और वेबसाइटों ने अवसाद के उपचार का दावा किया. अध्ययन ‘मेडिकल इंटरनेट रिसर्च’ में प्रकाशित हुआ है. इसमें ऐसे ऐप्लीकेशन पर ध्यान दिया गया, जिन्होंने मानसिक व्यवहार थैरेपी के साथ उपचार उपलब्ध कराया.  सोच के तौर-तरीकों में बदलाव और अवसाद कम करने के लक्षण एवं अन्य मानसिक विकृतियों पर केंद्रित यह एक किस्म की मनोवैज्ञानिक थैरेपी है.

आईयू में प्रोफेसर लॉरेंजो लॉरेंजो लॉसेस ने कहा, ‘‘इस अध्ययन से पहले मेरा मानना था कि पिछले अध्ययनों में संभवत: हल्के अवसाद, अन्य तरह की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रस्त लोगों और जिन लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बेहद कम थी, उन पर फोकस किया गया था. ’’ लॉरेंजो लॉसेस ने कहा, ‘‘मेरे लिये हैरानी की बात यह थी कि मामला यह नहीं था, जबकि विज्ञान यह सुझाव देता है कि इस तरह के ऐप और मंच बड़ी तादाद में लोगों की मदद कर सकते हैं. ’’

जानिए क्या है डिप्रेशन और कैसे होता है इसका इलाज
आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी चाहे हमें पूरे दिनभर लोगों की भीड़ के बीच व्यस्त रखती हो, लेकिन कहीं न कही हमारे भीतर एक शांति लगातार घर करती चली जाती है. क्योंकि हमारी दिनचर्या इतनी व्यस्त हो जाती है कि हमें अपने लिए समय नहीं मिल पाता है. दिनभर हमारे दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है. जो एक दिन किसी मानसिक बीमारी का रूप ले सकती है जिसे डिप्रेशन कहा जाता है.

क्या है डिप्रेशन
डिप्रेशन या दिमागी तकलीफ को लेकर एक गलत धारणा है कि ये सिर्फ उसे ही होती हैं, जिसकी जिंदगी में कोई बहुत बड़ा हादसा हुआ हो या जिसके पास दुखी होने की बड़ी वजहें हों. लोग अक्सर पूछते हैं, ''तुम्हें डिप्रेशन क्यों है? क्या कमी है तुम्हारी लाइफ में?'' यह पूरी तरह से गलत है. डिप्रेशन के दौरान इंसान के शरीर में खुशी देने वाले हॉर्मोन्स जैसे कि ऑक्सिटोसीन का बनना कम हो जाता है.

Monday, 3 December 2018

स्मार्टफोन और कंप्यूटर चलाते समय आपके सिर में हो रहा है दर्द तो हो जाएं चौकन्ने!

वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में सफलता हासिल हुई है कि स्मार्टफोन एवं कंप्यूटर कैसे आपके जीवन को प्रभावित कर रहा है.


वॉशिंगटन: वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में सफलता हासिल हुई है कि स्मार्टफोन एवं कंप्यूटर से निकलने वाली कृत्रिम रोशनी कैसे आपकी नींद को प्रभावित करती हैं. अब इन परिणामों के जरिए माइग्रेन, अनिद्रा, जेट लैग और कर्काडियन रिदम विकारों के नये इलाज खोजने में मदद मिल सकती है. अमेरिका के साल्क इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि आंखों की कुछ कोशिकाएं आस-पास की रोशनी को संसाधित करती हैं और हमारे बॉडी क्लॉक (कर्काडियन रिदम के तौर पर पहचान पाने वाली शारीरिक प्रक्रियाओं का रोजाना का चक्र) को फिर से तय करती हैं. ये कोशिकाएं जब देर रात में कृत्रिम रोशनी के संपर्क में आती हैं तो हमारा आंतरिक समय चक्र प्रभावित हो जाता है नतीजन स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियां खड़ी हो जाती हैं.


अनुसंधान के परिणाम ‘सेल रिपोर्ट्स’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. इनकी मदद से माइग्रेन (आधे सिर का दर्द), अनिद्रा, जेट लैग (विमान यात्रा की थकान और उसके बाद रात और दिन का अंतर न पहचान पाना) और कर्काडियन रिदम विकारों (नींद के समय पर प्रभाव) जैसी समस्याओं का नया इलाज खोजा जा सकता है. अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक इन विकारों को संज्ञानात्मक दुष्क्रिया, कैंसर, मोटापे, इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध, चयापचय सिंड्रोम और कई अन्य बीमारियों से जोड़ कर देखा जाता रहा है.

स्मार्टफोन यूजर हैं तो आप इन 10 बातों का ध्यान जरूर रखें, जानें क्या सही, क्या गलत
आज के दौर में आपके पास स्मार्टफोन का होना जितना आवश्यक है, उतनी ही आवश्यकता इसके सही तरीके से इस्तेमाल करने की भी है. आज की पीढ़ी के लिए स्मार्टफोन को एक दुरुपयोग वाले उपकरण के तौर पर भी देखा जाता है. इससे बचना जरूरी है. इसके लिए आपको कुछ खास बातों पर गौर करना होगा, इससे आप मोबाइल फोन को सही ढंग से चला सकेंगे और अपना खयाल भी रख सकेंगे.

लंबे समय तक स्मार्टफोन को चार्ज न करें
कभी भी अपने स्मार्टफोन को अधिक देर तक चार्ज में लगा कर न छोड़ दें. इससे आपका फोन अधिक गरम हो जाएगा. इसका हमेशा ध्यान रखें कि जैसे ही फुल चार्ज हो जाए, प्लग ऑफ कर दें. साथ ही कभी भी भीग चुके फोन को चार्जिंग में न लगाएं. उसे पहले अच्छी तरह सूखने दें.

कभी भी छाती से लगे शर्ट के पॉकेट में फोन न रखें
इस मुद्दे पर हालांकि काफी बहस होती रही है, लेकिन डॉक्टरों की यह सलाह है कि लोगों को मोबाइल फोन या कोई भी ट्रांसमिटिंग डिवाइस छाती के पास शर्ट के पॉकेट में नहीं रखनी चाहिए. यह बात आपके स्वास्थ्य से सीधे-सीधे जुड़ी है.

चार्ज होते समय इयरफोन लगा गाने न सुनें
हाल में दुनियाभर में कई ऐसी खबरें आईं कि चार्जिंग के दौरान लोग इयरफोन लगाकर गाने सुन रहे थे और हादसा हो गया. दरअसल ऐसा करने से इयरफोन के माध्यम से बिजली का झटका लग सकता है. यहां तक कि इस साल ऐसा करने से कई मौत की खबरें भी आई हैं.

स्मार्टफोन के पास कभी न सोएं
इस बात का खास ध्यान रखें कि जहां आप सो रहे हैं वहां पास में कोई स्मार्टफोन तो नहीं. हमेशा सोते समय इसे अपने से दूर रखें. कभी भी स्मार्टफोन को तकिए के नीचे न रखें. यह न सिर्फ जोखिम भरा है, बल्कि इस पर यह बहस भी हुई है कि मोबाइल सिग्नल दिमाग पर असर डालता है.

धूप से हमेशा स्मार्टफोन को बचाए रखें
विशेषज्ञों का मानना है कि स्मार्टफोन को तेज धूप से बचा कर रखना चाहिए. खासकर जब फोन चार्जिंग में लगा हो तब इसका खास खयाल रखना चाहिए. दिन में कार के डैशबोर्ड या किसी गर्म स्थान पर मोबाइल रखकर चार्ज करने से बचना चाहिए. इससे आपका फोन अधिक गरम हो जाएगा. मोबाइल फोन के लिए सहन करने योग्य तापमान 0 डिग्री से 45 डिग्री सेंटीग्रेड तक है.

कभी भी सस्ते एडॉप्टर से फोन चार्ज न करें
हमेशा इस बात का खास ध्यान रखें कि अपने स्मार्टफोन को उसके साथ मिले चार्जर से ही चार्ज करें. अगर चार्जर खो जाए तो हमेशा ब्रांडेड चार्जर ही खरीदें. सस्ते चार्जर या एडॉप्टर से फोन को चार्ज न करें. सस्ते और नकली चार्जर सबसे बड़े जोखिमों में से एक हैं.

चार्ज करते समय फोन का कवर हटाना न भूलें
जब भी आप अपने स्मार्टफोन को चार्ज करें, फोन के कवर या केस को हटा दें. इससे चार्जिंग के समय फोन के ओवर हीट यानी अधिक गरम हो जाने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

अज्ञात सोर्स से ऐप डाउनलोड न करें
तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि कभी भी अज्ञात सोर्स या प्लेटफॉर्म से मोबाइल ऐप डाउनलोड नहीं करनी चाहिए. ऐसे ऐप न सिर्फ आपके फोन से डाटा चोरी कर सकते हैं बल्कि, आपके फोन को ऐसा डैमेज कर सकते हैं जिसे ठीक भी नहीं किया जा सकेगा. हमेशा आधिकारिक या सही माध्यम से ऐप डाउनलोड करें.

स्मार्टफोन को हमेशा लॉक रखें
जैसा कि सभी जानते हैं कि स्मार्टफोन में व्यक्तिगत जानकारियां होती हैं. ऐसे में हमेशा यह सलाह दी जाती है कि अपने स्मार्टफोन को सुरक्षित रखने के लिए उसे लॉक रखें. फोन को आप बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन जैसे फिंगरप्रिंट या कठिन पासवर्ड से लॉक रख सकते हैं.